भारत ने साइंस और स्पेस के क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाई...मन की बात में पीएम मोदी

पीएम मोदी ने मन की बात में कहा कि 2025 ने हमें ऐसे कई पल दिए जिन पर हर भारतीय को गर्व हुआ. देश की सुरक्षा से लेकर खेल के मैदान तक, विज्ञान की प्रयोगशालाओं से लेकर दुनिया के बड़े मंचों तक, भारत ने हर जगह अपनी मजबूत छाप छोड़ी.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात के 129वें संस्करण में भारत की साइंस और स्पेस में प्रगति पर बात की
  • शुभांशु शुक्ला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचने वाले पहले भारतीय बनकर देश का नाम रोशन किया है
  • Smart India Hackathon 2025 में छात्रों ने सरकारी विभागों की वास्तविक जीवन की समस्याओं पर प्रभावी समाधान किए
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
नई दिल्ली:

पीएम मोदी आज मन की बात के 129वें एडिशन को संबोधित कर रहे हैं. मन की बात में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, "भारत ने साइंस और स्पेस के क्षेत्र में भी बड़ी छलांग लगाई है. कैप्टन शुभांशु शुक्ला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचने वाले पहले भारतीय बने. पर्यावरण सुरक्षा और वन्यजीव संरक्षण से जुड़ी कई पहल भी 2025 में शुरू हुईं. भारत में अब चीतों की संख्या 30 से ज़्यादा हो गई है."

ये भी पढ़ें : क्या कांग्रेस को RSS से सीखने की जरूरत? सवाल पर शशि थरूर बोले- अनुशासन तो होना ही चाहिए

स्टूडेंट्स ने दिए सॉल्यूशन

पीएम मोदी ने कहा कि 'Smart India Hackathon 2025' का समापन इसी महीने हुआ है. इस Hackathon के दौरान 80 से अधिक सरकारी विभागों की 270 से ज्यादा समस्याओं पर स्टूडेंट्स ने काम किया. स्टूडेंट ने ऐसे सॉल्यूशन दिए, जो वास्तिवक जीवन की चुनौतियों से जुड़े थे. Geetanjali IISc... यह अब सिर्फ एक क्लास नहीं, Campus का सांस्कृतिक केंद्र है. यहां हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत है, लोक परंपराएं हैं, शास्त्रीय विधाएं हैं, छात्र यहां साथ बैठकर रियाज करते हैं.

जहां चाह, वहां राह

प्रोफेसर साथ बैठते हैं, उनके परिवार भी जुड़ते हैं. दुबई में रहने वाले कन्नड़ा परिवारों ने खुद से एक जरूरी सवाल पूछा - हमारे बच्चे Tech-World में आगे तो बढ़ रहे हैं, लेकिन कहीं वो अपनी भाषा से दूर तो नहीं हो रहे हैं? यहीं से जन्म हुआ 'कन्नड़ा पाठशाले' का... एक ऐसा प्रयास, जहां बच्चों को 'कन्नड़ा' पढ़ना, सीखना, लिखना और बोलना सिखाया जाता है. 'जहां चाह, वहां राह'... इस कहावत को सच कर दिखाया है मणिपुर के एक युवा मोइरांगथेम सेठ जी ने, उनकी उम्र 40 साल से भी कम है. मोइरांगथेम जी मणिपुर के जिस दूर-सुदूर क्षेत्र में रहते थे वहां बिजली की बड़ी समस्या थी.

ये भी पढ़ें : नए साल से पहले दिल्ली-NCR में 'रेड जोन', हवा हुई जहरीली, हालात गंभीर

फिजी में भारतीय संस्कृति का प्रसार

इस चुनौती से निपटने के लिए उन्होंने Local Solution पर जोर दिया और उन्हें ये सॉल्यूशन मिला Solar Power में. फिजी में भारतीय भाषा और संस्कृति के प्रसार के लिए एक सराहनीय पहल हो रही है. वहां की नई पीढ़ी को तमिल भाषा से जोड़ने के लिए कई स्तरों पर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं.

Advertisement

Featured Video Of The Day
UP में ब्राह्मण विधायकों की बैठक पर बवाल! पंकज चौधरी की सख्त चेतावनी, नाराजगी या जातिगत राजनीति?