लोकसभा में पीएम मोदी का संबोधन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज लोकसभा को संबोधित किया. पीएम मोदी ने सबसे पहले महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए लोगों को आभार जताया. इसके बाद पीएम मोदी ने कहा कि गंगा जी को धरती पर लाने के लिए भागीरथ का प्रयास लगा था. वैसा ही प्रयास हमने इस बार महाकुंभ में भी देखा. पूरे विश्व ने जब महाकुंभ के रूप में भारत के विराट स्वरूप के दर्शन किए. सबके प्रयास का यही साक्षात स्वरूप है. ये जनता जनार्दन का, जनता जनार्दन के संकल्पों के लिए, जनता जनार्दन के संकल्पों से प्रेरित महाकुंभ था.
लोकसभा में पीएम मोदी ने क्या कुछ बोला, प्वाइंट्स में जानें
- मैं प्रयागराज महाकुंभ को एक अहम पड़ाव के रूप में देखता हूं, जिसमें जागृत होते देश का प्रतिबिंब दिखता है. हमने करीब डेढ़ महीने तक भारत में महाकुंभ का उत्साह देखा, उमंग का अनुभव किया. कैसे चिंता से ऊपर उठ श्रद्धालु श्रद्धा भाव से जुटे. ये हमारी बहुत बड़ी ताकत है.
- मैं प्रयागराज में हुए महाकुंभ वक्तव्य देने के लिए उपस्थित हुआ हूं. मैं कोटि कोटि देशवासियों को नमन करता हूं, जिनकी वजह से महाकुंभ का सफल आयोजन हुआ. महाकुंभ की सफलता में अनेक लोगों को योगदान है. मैं सभी कर्मयोगियों का अभिनंदन करता हूं.
- मैं देशभर के श्रद्धालुओं, यूपी की जनता, विशेषतौर पर प्रयागराज की जनता का धन्यवाद करता हूं. गंगाजी को धरती को लाने के लिए एक भगीरथ प्रयास लगा था. वैसे ही एक महाप्रयास इस भव्य आयोजन में हमने देखा है.
- पूरे विश्व ने महाकुंभ के रूप में भारत के विराट स्वरूप के दर्शन किए हैं. महाकुंभ में हमने हमारी राष्ट्रीय चेतना के जागरण के विराट दर्शन किए हैं. महाकुंभ ने उन शंकाओं और आशंकाओं को भी उचित जवाब दिया है, जो हमारे सामर्थ्य को लेकर कुछ लोगों को मन में रहती है.
- मैं ये भी देख रहा हूं कि पीढ़ी दर पीढ़ी हमारे संस्कारों के आगे बढ़ना का क्रम सहजता से आगे बढ़ रहा है. हमारी मॉडर्न पीढ़ी कितनी श्रद्धा से महाकुंभ से जुड़े रहें.
- भारत का युवा अपनी परंपरा, आस्था और श्रद्धा को पूरे गर्व के साथ अपना रहा है. जब विरासत पर गर्व का भाव बढ़ता है तो हम ऐसी ही भव्य तस्वीरें देखते हैं जो हमने महाकुंभ में देखीं. जिससे भाईचारा बढ़ता है.
- महाकुंभ से अनेक अमृत निकलें. एकता का अमृत इसका पवित्र प्रसार है. महाकुंभ के आयोजन में देश के हर कोने से आए लोग एक हो गए. लोग अहम त्याग, मैं नहीं हम की भावना से प्रयागराज में जुटे और पवित्र त्रिवेणी का हिस्सा बनें.
- जब अलग-अलग भाषा बोलने वाले लोग संगम तट पर हर-हर गंगे का उद्घोष करते हैं तो एकता की भावना बढ़ती है, हमनें देखा है कि वहां छोटे बड़े का कोई भेद नहीं था. एकता का अद्भुत तत्व हमारे अंदर रचा-बसा है.
- एकता की यही भावना भारतीयों का बहुत बड़ा सौभाग्य है, जब पूरी दुनिया में बिखराव है. एकजुटता का ये प्रदर्शन भारत की विशेषता है. इसी का विराट रूप हमने प्रयागराज में देखा है. हमारा दायित्व है कि एकता में अनेकता की इसी विशेषता को हम निरंतर समृद्ध करते रहें.
- मैं एक बार फिर महाकुंभ के आयोजन से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति की सराहना करता हूं, नमन करता हूं और अपनी शुभकामनाएं देता हूं.
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