प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस के ‘गरीबी हटाओ' नारे पर तंज करते हुए रविवार को कहा कि नारा लगाना अलग बात है लेकिन प्रधानमंत्री आवास और उज्ज्वला रसोई गैस सिलिंडर पाने के बाद अब देश के गरीब यह कहते हैं कि अमीर और गरीब का भेद मिट गया है. मोदी ने अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी के दो दिवसीय दौरे के पहले दिन द्वितीय ‘काशी-तमिल संगमम' कार्यक्रम की शुरुआत की और कहा कि यह कार्यक्रम ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की भावना को लगातार मजबूत कर रहा है और तमिलनाडु से काशी आने का मतलब है महादेव के एक घर से उनके दूसरे घर में आना.
मोदी ने कटिंग मेमोरियल मैदान में विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों को सम्बोधित किया और कांग्रेस के ‘गरीबी हटाओ' के नारे का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘गरीबी हटाओ का नारा तो अलग बात है लेकिन अब एक बहन ने कहा कि गरीब और अमीर का भेद मिट गया है. जब एक गरीब कहता है कि मेरे घर में गैस का चूल्हा आते ही गरीबी और अमीरी का भेद खत्म हो गया है. उस संतोष की बात ही कुछ और है.''
उन्होंने ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा' को किसी राजनीतिक पार्टी का नहीं बल्कि देश का काम करार दिया और कहा कि यह यात्रा सरकार द्वारा चलायी जा रही परियोजनाओं को लेकर जनता की प्रतिक्रिया जानने का अवसर है. साथ ही यह यात्रा खुद उनके लिये भी एक कसौटी और परीक्षा है कि जो उन्होंने कहा था, वह वास्तव में जनता तक पहुंच भी रहा है या नहीं.
प्रधानमंत्री ने देशवासियों का आह्वान किया कि वे भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का मिजाज बनाएं. सुविधाओं से वंचित लोगों को जब योजनाओं की सारी जानकारी मिलती है तो उनको लगता है कि यही समय है हम भी कुछ करें. जब 140 करोड़ लोगों के मन में यह लगता है कि यही समय है, तब देश आगे बढ़ के रहेगा.
उन्होंने कहा कि विकसित भारत का सपना हर देशवासी के मन में उसी तरह पलना चाहिये जैसे कि आजादी की दीवानगी उस वक्त लोगों के मन में बस गयी थी. उस वक्त हिन्दुस्तान का हर व्यक्ति कहने लगा था कि वह आजादी के लिये काम कर रहा है. पूरे देश में जब यह माहौल बन गया था और देश उठ खड़ा हुआ था, तब अंग्रेजों को देश से भागना पड़ा था.
मोदी ने कहा, ‘‘अगर इस समय 140 करोड़ देशवासी इसी मिजाज से बढ़ जाएं कि अब हमें देश को आगे ले जाना है, तो हर एक की जिंदगी बदलनी ही है. एक बार मन में यह बीज रहेगा तो 2047 में भारत विकसित राष्ट्र बन जाएगा. मन बन जाता है तो मंजिल दूर नहीं होती.''
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘विकसित भारत संकल्प यात्रा एक प्रकार से देश का काम है. यह किसी राजनीतिक दल का काम नहीं है. मैं मानता हूं जो इस काम को करता है वह बहुत पवित्र काम करता है. जो दूर से देख रहा है या अखबार में पढ़ रहा है उसे समझना चाहिए कि मेरी गाड़ी छूट रही है. मैं मौका छोड़ रहा हूं.''
बाद में प्रधानमंत्री ने नमो घाट से ‘काशी तमिल संगमम' के दूसरे संस्करण का आरंभ किया. उन्होंने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा, ‘‘काशी तमिल संगमम ऐसा अविरल प्रवाह है जो एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को लगातार मजबूत कर रहा है. यही प्रवाह है आज हमारे राष्ट्र की आत्मा को सींच रहा है.''
उन्होंने कहा, ‘‘आदि शंकराचार्य और रामानुजाचार्य जैसे संतों ने भारत को एकजुट किया. उन्होंने अपनी यात्राओं के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना की भावना जागृत की.''
उन्होंने तमिलनाडु से आए अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘तमिलनाडु से काशी आने का मतलब है महादेव के एक घर से उनके दूसरे घर में आना. तमिलनाडु से काशी आने का मतलब है मदुरई मीनाक्षी के यहां से काशी विशालाक्षी के यहां आना. इसलिए तमिलनाडु और काशीवासियों के बीच हृदय में जो प्रेम है वह अलग भी है और अद्वितीय भी.''
मोदी ने कहा, ‘‘पिछले वर्ष काशी तमिल संगमम शुरू होने के बाद से ही इस यात्रा से दिनोंदिन लाखों लोग जुड़ रहे हैं. विभिन्न मतों के धर्मगुरु, छात्र, कलाकार, साहित्यकार, शिल्पकार और पेशेवर और न जाने कितने क्षेत्रों के लोगों को इस संगम से आपसी संवाद और संपर्क का एक प्रभावी मंच मिला है.''
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम भारतवासी एक होते हुए भी बोली, भाषा, वेशभूषा खान-पान और रहन-सहन सहित कितनी ही विविधताओं से भरे हुए हैं. भारत की यह विविधता उस आध्यात्मिक चेतना में रची बसी है जिसके लिए तमिल में कहा गया है- निलेलाम गंगै, निलमेल्लाम काशी. यह वाक्य महान पांड्य राजा पराक्रम पांडियन का है जिसका अर्थ है कि हर जल गंगाजल है और भारत का हर भूभाग काशी है.''
मोदी ने किसी कालखंड का जिक्र किए बगैर कहा, ‘‘जब उत्तर में आक्रांताओं द्वारा हमारी आस्था के केंद्रों पर, काशी पर आक्रमण हो रहा था तब राजा पराक्रम पांडियन ने तेन काशी और शिवकाशी में यह कहकर मंदिरों का निर्माण कराया था कि काशी को मिटाया नहीं जा सकता.''
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि काशी तमिल संगमम के जरिए देश के युवाओं में अपनी इस प्राचीन परंपरा के प्रति उत्साह बढ़ा है. तमिलनाडु से बड़ी संख्या में लोग और वहां के युवा काशी आ रहे हैं. यहां से प्रयाग, अयोध्या और दूसरे तीर्थ स्थल में भी जा रहे हैं. यह जरूरी है कि हम एक-दूसरे के बारे में, एक-दूसरे की परंपराओं के बारे में अपनी साझी विरासत के बारे में जानें. दक्षिण और उत्तर में काशी तथा मदुरई का उदाहरण हमारे सामने है. दोनों महान मंदिरों के शहर हैं. मुझे विश्वास है कि काशी तमिल संगम का यह संगम इसी तरह हमारी विरासत को सशक्त करता रहेगा.''
मोदी ने कहा, ‘‘मुझे बताया गया है कि काशी तमिल संगम में आने वाले लोगों को अयोध्या दर्शन कराने की भी विशेष व्यवस्था की गई है. महादेव के साथ ही रामेश्वरम की स्थापना करने वाले भगवान राम के दर्शन का सौभाग्य मिलना अद्भुत है.''
उन्होंने विद्या शक्ति पहल के तहत विज्ञान और गणित में वाराणसी के हजारों छात्रों को ऑनलाइन सहायता प्रदान करने के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) की संयुक्त पहल पर संतोष व्यक्त किया.
प्रधानमंत्री ने कहा कि ये विकास काशी और तमिलनाडु के लोगों के बीच भावनात्मक और रचनात्मक बंधन का प्रमाण हैं.
कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे.
मोदी ने कई स्टॉल का भ्रमण किया और विकसित भारत यात्रा वैन और एक प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम में भी शिरकत की. उन्होंने विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों और छात्रों से भी बातचीत की.
‘काशी तमिल संगमम' के दूसरे संस्करण में साहित्य, प्राचीन ग्रंथ, दर्शन, अध्यात्म, संगीत, नृत्य, नाटक, योग और आयुर्वेद पर व्याख्यान भी होंगे. इसके अतिरिक्त, ‘‘नवाचार, व्यापार, ज्ञान विनिमय, शिक्षा तकनीक और अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकी'' पर संगोष्ठी कराने की योजना बनाई गई है.
मोदी ने इस अवसर पर कन्याकुमारी से बनारस के लिए ‘काशी तमिल संगमम एक्सप्रेस' को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. रविवार 17 दिसंबर से 31 दिसंबर तक आयोजित होने वाले ‘काशी तमिल संगमम' के दूसरे संस्करण के दौरान तमिलनाडु एवं पुडुचेरी के 1,400 लोग वाराणसी, प्रयागराज और अयोध्या की यात्रा करेंगे.
एक सरकारी बयान के मुताबिक कार्यक्रम में तमिलनाडु और काशी की कला, संगीत, हथकरघा, हस्तशिल्प, व्यंजन एवं अन्य विशेष उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी. इसके अलावा काशी और तमिलनाडु की संस्कृतियों पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होगा.
इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रविवार को अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे. काशी पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री के काफिले पर लोगों ने फूलों से वर्षा की. इसी दौरान उनका कारवां रोककर एक एम्बुलेंस को रास्ता दिया गया.
मोदी अपने इस दौरे के दौरान काशी तथा आसपास के क्षेत्रों के विकास के लिए 19,000 करोड़ रुपये से अधिक की 37 परियोजनाओं का शिलान्यास व उद्घाटन करेंगे.
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री करीब सवा तीन बजे विशेष विमान ने बाबतपुर हवाई अड्डे पर पहुंचे. इस दौरान राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनकी अगवानी की. इसके बाद प्रधानमंत्री का काफिला हवाई अड्डे से कटिंग मेमोरियल मैदान के लिये रवाना हुआ. इस दौरान मोदी के स्वागत में सड़क के दोनों किनारे खड़े लोगों ने उनके नारे लगाये.
प्रधानमंत्री की इस यात्रा के दौरान एक ऐसा भी अवसर आया जब उनका काफिला रोककर एक एंबुलेंस को रास्ता दिया गया. प्रधानमंत्री के काफिले के वाहन सड़क पर एक तरफ किनारे रुक गये और एंबुलेंस अपने गंतव्य को रवाना हो गयी.
प्रधानमंत्री कटिंग मेमोरियल मैदान पहुंचे जहां उन्होंने आयुष्मान योजना के लाभार्थियों से मुलाकात की. इसके अलावा उन्होंने विकसित भारत संकल्प यात्रा प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया. इस दौरान उन्होंने स्कूली बच्चों से भी भेंट की.
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