नवरात्रि व्रत में क्या है PM मोदी का एक फल वाला नियम, जानिए

PM Modi Navratri Vrat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नवरात्रि उपवास के दौरान क्या खाते पीते हैं. कैसे खुद को ऊर्जावान रखते हैं, इसको लेकर उन्होंने कई अहम राज हाल में एक इंटरव्यू में खोले थे.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
PM Modi Navratri Vrat

PM Modi Fasting Rules:  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नवरात्रि के दौरान पूरे 9 दिन उपवास रखते हैं. वो बेहद संयम और अनुशासन के साथ ये व्रत रखते हैं. अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन से विशेष साक्षात्कार में पीएम मोदी ने उपवास को लेकर अपनी सोच और समझ को विस्तार से बताया था. प्रधानमंत्री ने उपवास को लेकर शरीर के अंदर और बाहरी अनुभवों को भी साझा किया था. इसमें एक बेहद दिलचस्प बात पूरे नवरात्रि भर एक ही फल खाने का प्रयोग भी था. आइए जानते हैं कि पॉडकास्ट के दौरान पीएम मोदी ने उपवास को लेकर क्या बातें बताईं...लेक्स फ्रिडमैन ने उपवास पर पीएम से सवालों के पहले बताया कि कैसे वो खुद 45 घंटे यानी करीब दो दिन से उपवास पर हैं, ताकि वो इस पर सवाल करने के पहले उसके असर को महसूस कर सकें.

चार महीने तक एक पहर ही भोजन, एक समय एक ही फल
पीएम मोदी ने कहा, हमारे यहां चातुर्मास की परंपरा है. वर्षा ऋतु में पाचन क्रिया मंद पड़ जाती है. जून मध्य से दीपावली तक करीब 4 महीने या साढ़े चार महीने ये एक पहर ही भोजन करता हूं. नवरात्रि के दौरान भी मैं 9 दिन का उपवास करता हूं. मैं गरम पानी पीता हूं. वैसे मैं हमेशा ही गरम पानी पीता हूं. दूसरा मार्च अप्रैल में चैत्र नवरात्रि आता है. नवरात्रि के समय मैं एक फल ही 9 दिन खाता हूं. जैसे पपीता है तो 9 दिन तक रोजाना यही लूंगा. दिन में सिर्फ एक बार ही उसे ग्रहण करूंगा. 50-55 सालों से उपवास को लेकर मैं ऐसा कर रहा हूं.

उपवास का अर्थ भोजन छोड़ देना भर नहीं
प्रधानमंत्री ने कहा, उपवास का मतलब खाना छोड़ देना भर नहीं है, जैसा कि ज्यादातर लोग समझते हैं. ये सिर्फ एक फिजिकल एक्टिविटी नहीं है. किसी को कठिनाई के कारण खाना नहीं मिला तो उसे आप उपवास कैसे मानेंगे. उपवास एक वैज्ञानिक आध्यात्मिक प्रक्रिया है.

व्रत से 5-7 दिन पहले तैयारी
पीएम मोदी ने कहा, मैं लंबे समय तक उपवास रखता हूं. उपवास के 5-7 दिन पहले अंदरूनी तौर पर खुद को तैयार करने के लिए मैं योग, आयुर्वेदिक और पारंपरिक पद्धतियों को अपनाता हूं. उपवास शुरू होने के पहले बहुत सारा पानी पीता हूं. इससे डिटॉक्सिफिकेशन के लिए मेरा शरीर तैयार होता है.

उपवास का अर्थ समर्पण, अनुशासन
प्रधानमंत्री ने बताया, मेरे लिए उपवास समर्पण, अनुशासन होता है. व्रत के समय मैं कितनी भी बाहर की गतिविधि करता हूं, लेकिन मैं अंतर्मन में खोया रहता हूं. मैं अपने भीतर रहता हूं और वो अद्भुत अनुभूति होती है. मैं किताबों, उपदेश या पारिवारिक कारणों से उपवास नहीं रखता हूं. लेकिन ये मेरा खुद का अनुभव है.

पहले उपवास ने बदली जिंदगी
प्रधानमंत्री ने अपने पहले उपवास को जिंदगी बदलने वाला अनुभव बताया. पीएम ने बताया, स्कूली दिनों के दौरान गोरक्षा को लेकर आंदोलन चल रहा था. उस वक्त सार्वजनिक जगह पर उपवास का कार्यक्रम था. मेरा मन वहां जाने का हुआ. उस छोटी आयु में मुझे वहां जाकर नई चेतना और ऊर्जा मिली. मैंने पाया कि उपवास का संबंध सिर्फ खाने-पीने से नहीं है. मेरी ये धारणा बनी कि ये कोई विज्ञान है. फिर मैंने धीरे-धीरे अपने शरीर और मन को गढ़ने का प्रयास किया. मैं लंबी प्रक्रिया से निकला हूं. मेरी एक्टिविटी में कोई कमी नहीं आती. उपवास के दौरान मैं कहीं अपने विचार व्यक्त करता हूं तो मैं खुद आश्चर्यचकित होता हूं कि ये विचार कहां से आते हैं.

Advertisement

उपवास में भी सारी जिम्मेदारी निभाते हैं पीएम
उपवास के दौरान प्रधानमंत्री के तौर पर सारी जिम्मेदारी निभाने और एक बड़े नेता के तौर पर दूसरे विदेशी नेताओं से मुलाकात के सवाल का भी उन्होंने जवाब दिया. पीएम मोदी ने कहा,मैं पता नहीं होने देता, फिर CM-PM बना तो पता चलने लगा. उन्होंने बताया कि ओबामा के साथ द्विपक्षीय बैठक थी, डिनर भी था. जब उन्हें पता चला कि पीएम कुछ खाएंगे नहीं तो वो चौंके. गर्म पानी आया, तो मैंने बोला, मेरा डिनर आ गया है. जब दूसरी बार गया तो उन्हें याद था और वो बोले, इस बार लंच में आपको डबल खाना पड़ेगा.

इंद्रियों में आती है अलग ताकत
पीएम मोदी ने कहा, जीवन में आंतरिक और बाह्य दोनों प्रकार के अनुशासन के लिए उपवास क्यों जरूरी है. ये जीवन को गढ़ने में बहुत काम आता है. आपने (फ्रिडमैन) कहा कि आप दो दिन से उपवास में हैं. आपकी जितनी इंद्रिय हैं, स्वाद, सूंघने या देखने की... उसमें अलग ही सक्रियता आती है. कोई आपके पास चाय लेकर भी आता है तो उसकी खुशबू का दूर से ही अहसास हो जाता है. आपकी सारी इंद्रियां बहुत सक्रिय हो जाती हैं. चीजों को ग्रहण करने और प्रतिक्रिया देने की उनकी क्षमता कई गुना बढ़ जाती है. आपके विचार और प्रभाव को प्रखरता मिलती है. नयापन आता है. आप एकअदम आउट ऑफ बॉक्स सोचते हैं.

Advertisement

Featured Video Of The Day
Syed Suhail | क्या सोनम वांगचुक ने हिंसा के लिए उकसाया? | Leh Protest | Bharat Ki Baat Batata Hoon