'ये बातें कांग्रेस में सुनने को नहीं मिलेंगी...', PM मोदी ने खरगे की तारीफ करते हुए राज्यसभा में ली ऐसी चुटकी, लगे खूब ठहाके

राज्यसभा में पीएम मोदी ने कहा कि सभापति जी, खरगे जी आपके सामने बढ़िया- बढ़िया शेर सुनाते रहते हैं. इसके बाद प्रधानमंत्री ने खरगे पर गोपाल दास नीरज की कविता के माध्यम से जोरदार हमला बोला.

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नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने लोकसभा के बाद गुरुवार को राज्यसभा से भी कांग्रेस पर जमकर पलटवार किया. भाषण की शुरुआत मुस्कुराते हुए की, लेकिन इसके बाद नेहरू से लेकर खरगे तक, कांग्रेस को खूब सुनाया. अपने लंबे भाषण में  पीएम मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पर भी अपने चिरपरिचित अंदाज में चुटकी थी. थोड़ी तारीफ और उसके बहाने कांग्रेस पर बड़ा निशाना. चुटकी का अंदाज ऐसा था कि सदन में ठहाके लग गए. सभापति जगदीप धनखड़ भी खुद को रोक नहीं पाए. पीएम मोदी ने खरगे के भाषण का जिक्र करते हुए सभापति से मुखातिब होते हुए कहा, 'खरगे जी आपके सामने बढ़िया बढ़िया शेर सुनाते रहते हैं. उनका शौक है शेर सुनाने का. सभापति जी आप भी बहुत मजा लेते हैं. एक शेर मैंने भी कहीं पढ़ा था.' 

तमाशा करने वालों को क्या खबर
हमने कितने तूफानों को पार कर दीया जलाया है. 

पीएम ने कहा कि खरगे जी का मैं सम्मान करता हूं. शरद पवार जी, खरगे जी, देवगौड़ा जी बैठे हैं, उनकी यह असामान्य सिद्धियां हैं, जिसका मैं सम्मान करता हूं. इस दौरान खरगे कुछ बोलते सुने गए. इस पर  पीएम ने पलटकर कहा कि खरगे जी आपको अपने घर (कांग्रेस) में तो ये बातें सुनने को नहीं मिलेंगी, लेकिन मैं ही बता देता हूं. यह कहते ही सदन में ठहाके गूंज उठे.   

पीएम ने कहा कि खरगे जी कविताएं पढ़ रहे थे. लेकिन जो बातें बता रहे थे उसमें आपने सही पकड़ा था कि बताओ तो सही कि यह कविता है कब की? सभापति जी उनको पता था यह कविता कब की है.  लेकिन भीतर कांग्रेस की दुर्दशा का इतना दर्द पड़ा है, वहां हालत यह है कि बोल नहीं सकते, तो उन्होंने सोचा कि यह अच्छा मंच है, यहीं बोल दें. इसलिए उन्होंने नीरज की कविता से अपनी घर की हालत यहां बताई. प्रधानमंत्री ने कहा कि खरगे जी को मैं नीरज जी की कुछ पंक्तियां सुनाना चाहता हूंकांग्रेस सरकार के समय नीरज जी ने यह लिखा था.

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है बहुत अंधियारा, अब सूरज निकलना चाहिए
जिस तरह से भी हो, यह मौसम बदलना चाहिए

नीरज ने कांग्रेस के उस कालखंड में यह कविता कही थी. 1970 में जब कांग्रेस का राज चलता था, उस समय नीरज जी का एक कविता संग्रह प्रकाशित हुआ था- फिर दीप जलेगा. उसमें उन्होंने कहा था-

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मेरे देश उदास न हो
फिर दीप जलेगा 
तिमिर ढलेगा..

पीएम मोदी ने कहा कि सौभाग्य देखिए कि हमारे प्रेरणा पुरुष अटल जी ने भी 40 साल पहले कहा था

सूरज निकलेगा
अंधेरा छंटेगा
कमल खिलेगा

नीरज का कहना था कि जब तक कांग्रेस का सूरज चमकता रहा, देश अंधेरे में रहा.

कांग्रेस के लिए ‘परिवार प्रथम' : प्रधानमंत्री मोदी
 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि ‘सबका साथ, सबका विकास' उनकी सरकार का मूलमंत्र रहा है जबकि कांग्रेस का मूलमंत्र ‘परिवार प्रथम' रहा है.  राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर राज्यसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि उसने राजनीति का एक ऐसा मॉडल तैयार किया था, जिसमें ‘झूठ, फरेब, भ्रष्टाचार परिवारवाद, तुष्टीकरण आदि का घालमेल था. 

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उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस के मॉडल में ‘परिवार प्रथम' ही सर्वोपरि है. इसलिए, उनकी नीति-रीति, वाणी-वर्तन उस एक चीज को संभालने में ही खपता रहा है.'' प्रधानमंत्री ने कहा कि वह बड़े गर्व के साथ कहते हैं कि पांच-छह दशकों तक लोगों के पास वैकल्पिक मॉडल नहीं था लेकिन 2014 के बाद देश को एक नया मॉडल देखने को मिला, जो तुष्टीकरण पर आधारित नहीं है, बल्कि 'संतुष्टीकरण' पर आधारित है.

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उन्होंने कहा, ‘‘पहले के मॉडल खासकर कांग्रेस के शासन में हर चीज में तुष्टीकरण था. यही उसकी राजनीति का सार बन गया. कुछ छोटे समूहों को कुछ देता और दूसरों को वंचित रखना. चुनाव के समय, झूठे आश्वासन दिया। उसने लोगों को बेवकूफ बनाकर अपनी राजनीति चलाई.''

मोदी ने कहा कि भाजपा नीत सरकार संसाधनों के अधिकतम उपयोग पर ध्यान केंद्रित कर रही है.  प्रधानमंत्री ने कहा कि जीवंत मीडिया और लोकतंत्र वाले देश ने उन्हें तीसरी बार देश की सेवा का मौका दिया और यह इसलिए संभव हो सका क्योंकि जनता ने विकास के उनके मॉडल को परखा, समझा और समर्थन दिया है.

उन्होंने कहा, ‘‘इस मॉडल को हमें एक शब्द में समझना है तो यह है ‘राष्ट्र प्रथम'. इसी भावना और समर्पित भाव से हमने लगातार अपनी नीतियों में, अपने कार्यक्रमों में, वाणी-वर्तन के माध्यम से देश की सेवा करने का प्रयास किया है.'' प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस द्वारा 'सबका साथ-सबका विकास' की अपेक्षा करना बहुत बड़ी गलती होगी.  उन्होंने कहा, ‘‘ये उनकी सोच-समझ के बाहर है और उनके रोडमैप में भी ये सूट नहीं करता क्योंकि जब इतना बड़ा दल, एक परिवार को समर्पित हो गया है, तो उसके लिए 'सबका साथ-सबका विकास' संभव ही नहीं है. ''
 

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