राष्ट्रीय राजधानी की तिहाड़ जेल ने कारागार में बंद गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया की हत्या जैसी घटनाओं को रोकने के लिए कई उपाय किये हैं जिनमें हाल ही में 2,000 से अधिक ‘एग्जॉस्ट फैन' को प्लास्टिक वाले पंखों से बदलने और ‘डार्क स्पॉट्स' पर पर्याप्त रोशनी के इंतजाम शामिल हैं. अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी.
अधिकारियों ने बताया कि दो मई को जेल के अंदर ताजपुरिया की नृशंस हत्या के बाद, दिल्ली जेल महानिदेशक संजय बेनीवाल ने तिहाड़ जेल के वार्डों से ‘खतरनाक वस्तुओं' को हटाने के लिए एक परिपत्र जारी किया था, जिसका इस्तेमाल कैदी ‘कामचलाऊ हथियार' के रूप में कर सकते हैं.
अधिकारियों के अनुसार, लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को यह जिम्मा दिया गया है और इसने तिहाड़ की केंद्रीय कारागार संख्या-एक और अन्य के लिए निविदाएं जारी की हैं. उन्होंने कहा कि निविदा मंजूर किये जाने के एक महीने के भीतर काम पूरा करना होगा.
जेल अधिकारियों के अनुसार, तिहाड़ जेल प्रशासन ने कैदियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए और निकट भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए 2,000 से अधिक एग्जॉस्ट फैन को बैरकों के उन वार्डों से हटा दिया, जहां कैदी बंद हैं.
एक वरिष्ठ जेल अधिकारी ने कहा, ‘‘तिहाड़ जेल के वार्डों में लगे 2,000 से अधिक एग्जॉस्ट फैन को हटा दिया गया है और इनकी जगह प्लास्टिक के एग्जॉस्ट फैन लगाए जाएंगे, जो इस महीने तक पीडब्ल्यूडी द्वारा स्थापित किए जाएंगे. गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया की हत्या के बाद एग्जॉस्ट फैन को हटाने की प्रक्रिया शुरू हुई है.'
उन्होंने कहा कि एग्जॉस्ट फैन केवल तिहाड़ जेल के वार्डों से हटाए गए हैं, क्योंकि रोहिणी और मंडोली जेलों में लगे पंखे वहां बंद कैदियों की पहुंच से बाहर हैं.
उन्होंने कहा कि ताजपुरिया के हमलावरों ने उसकी कोठरी तक पहुंचने के लिए कुछ 'डार्क स्पॉट्स' का भी फायदा उठाया था और इसलिए ऐसे इलाकों में गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के लिए एलईडी लाइट भी लगाई जाएंगी.
अधिकारी ने कहा, ‘‘हमने वार्डों के अंदर कुछ अंधेरे स्थानों की पहचान की है और जल्द ही इन क्षेत्रों को एलईडी लाइट से रोशन किया जाएगा. इससे सुरक्षाकर्मियों को परिसर के अंदर किसी भी संदिग्ध गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने में भी मदद मिलेगी.''
जेल अधिकारियों ने कहा कि वाटर कूलर के लोहे के ग्रिल को भी प्लास्टिक से ढक दिया गया है, ताकि कोई कैदी इनका इस्तेमाल 'कामचलाऊ हथियार' के रूप में न कर सके.
गौरतलब है कि ताजपुरिया को प्रतिद्वंद्वी गोगी गिरोह के चार सदस्यों- दीपक उर्फ तितर, योगेश उर्फ टुंडा, राजेश और रियाज खान- ने कथित तौर पर 'कामचलाऊ हथियारों' से 92 वार करके मार डाला था.