एयर इंडिया के विमान के साथ उन आखिरी पलों में क्‍या हुआ था, री-क्रिएट हुआ सीन

कम से कम तीन एयर इंडिया ट्रेनी पायलट्स ने मुंबई में उन तस्‍वीरों को फिर से तैयार करने की कोशिश की जिसकी वजह से यह हादसा हुआ.

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  • एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 का क्रैश 12 जून को अहमदाबाद से लंदन के लिए हुआ था.
  • इस हादसे में 260 लोगों की जान गई, जिससे यह एक बड़ा हादसा बन गया है.
  • क्रैश की वजह इलेक्ट्रिक फेल्‍योर बताई जा रही है, जिसने दोनों इंजन में आग लग गई.
  • पायलटों ने मुंबई में हादसे के कारणों को सिमुलेट करके दोहराने की कोशिश की.
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नई दिल्‍ली:

12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 के क्रैश होने के एक हफ्ते बाद, एयरलाइन के बोइंग 787 बेड़े में कम से कम तीन एयर इंडिया ट्रेनी पायलट्स ने मुंबई में उन तस्‍वीरों को फिर से तैयार करने की कोशिश की जिसकी वजह से यह हादसा हुआ. इस क्रैश में 260 लोगों की मौत हो गई थी. पायलट्स ने इलेक्ट्रिक फेल्‍योर को दोहराने की कोशिश की. माना जा रहा है कि इलेक्ट्रिक फेल्‍योर जो दोनों इंजन में आग की वजह बन सकता है. इसकी वजह से शायद प्‍लेन टेकऑफ के बाद ऊपर चढ़ने में असमर्थ हो गया हो. 

हादसे की जांच जारी 

इस हादसे की जांच कर रहे जांचकर्ता बोइंग 787 पर फ्यूल स्विच की स्थिति की भी जांच करेंगे. उन्‍होंने जेटलाइनर के ब्लैक बॉक्स (फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर) से डेटा पहले ही डाउनलोड कर लिया है. वो इस डेटा को फ्यूल स्विच के किसी भी मलबे से जोड़ेंगे. उससे यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि उड़ान के महत्वपूर्ण चरण - टेकऑफ रन या अहमदाबाद से प्‍लेन के उड़ान भरने के तुरंत बाद पायलटों ने तो किसी भी इंजन को गलती से बंद नहीं कर दिया था. 

क्‍या-क्‍या किया पायलट्स ने 

यह सुनिश्चित करने के लिए कि वो अपने सिमुलेशन परिदृश्यों में सटीक थे, पायलटों ने AI-171 के सटीक ट्रिम शीट डेटा को दोहराया. ट्रिम शीट वह डॉक्‍यूमेंट है जिसका प्रयोग एविएशन में प्‍लेन के वजन और बैलेंस की गणना और रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है. यह सुनिश्चित करता है कि गुरुत्वाकर्षण का केंद्र टेकऑफ, उड़ान और लैंडिंग के लिए सुरक्षित सीमाओं के भीतर है. ट्रेनी पायलट्स ने एक इंजन के फेल होने को भी दोहराया, विमान के अंडरकैरिज को नीचे छोड़ दिया और 787 के फ्लैप को पूरी तरह से वापस ले लिया. 

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यह कनफ‍िगररेशन सामान्य टेकऑफ के लिए असुरक्षित और अनुचित मानी जाती है. इसका मकसद एक कम पावर वाले जेटलाइनर को उसके भारी अंडरकैरिज को तैनात (नीचे) करके उड़ान भरने को दोहराना था. जेटलाइनर एयरोडायनैमिक हो और कुशलता से ऊपर चढ़ सके, यह सुनिश्चित करने के लिए प्‍लेन के अंडरकैरिज को आमतौर पर टेकऑफ के तुरंत बाद उसके धड़ में रखा जाता है.

इसके अलावा, एक गलत टेक-ऑफ फ्लैप कनफ‍िगररेशन भी चुना गया था. इससे 787 के लिए एक इंजन पर चढ़ना और भी चुनौतीपूर्ण हो जाएगा. टेकऑफ फ्लैप प्लेन के पंखों पर समायोज्य सतहें होती हैं जिन्हें टेकऑफ के दौरान लिफ्ट बढ़ाने या विमान की चढ़ने की क्षमता बढ़ाने के लिए बढ़ाया जाता है. 

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क्‍या फेल हुए थे दोनों इंजन 

जितने भी सीन रीक्रिएट किए गए, उन सभी में AI-171, एक ही चालू इंजन के साथ, सुरक्षित रूप से ऊंचाई हासिल करने में सक्षम था. एयर इंडिया के बोइंग 787-8 के जनरल इलेक्ट्रिक GEnx-1B67-K टर्बो-फैन को 70,000 पाउंड का महत्वपूर्ण थ्रस्ट पैदा करने के लिए अपग्रेड किया गया है. ये बोइंग 787 की श्रेणी में नागरिक विमानों के लिए विकसित सबसे शक्तिशाली इंजनों में से हैं. हालांकि अनुमान लगाया जा रहा है कि प्‍लेन के दोनों इंजन फेल हो गए थे तो यह विफलता विनाशकारी होगी. 

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एयर इंडिया के बोइंग 787 बेड़े के पायलट्स को 400 फीट से कम की ऊंचाई पर ड्यूल इंजन फेल्‍योर से निपटने के लिए ट्रेनिंग नहीं दी गई है, जैसा कि AI-171 के मामले में हुआ. इसे 'निगेटिव ट्रेनिंग' माना जाता है.  आसान शब्‍दों में कहे तो जिस ऊंचाई पर AI-171 उड़ान भर रहा था, हो सकता है उस पर दोनों इंजन के फेल होने की वजह से यह विनाशकारी दुर्घटना हुई हो. 

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अगले हफ्ते तक आएगी जांच रिपोर्ट 

एनडीटीवी ने जिन कई पायलट्स से बात की है वो सभी विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) की शुरुआती रिपोर्ट के परिणाम पर बारीकी से नजर रख रहे हैं. माना जा रहा है कि रिपोर्ट अगले हफ्ते तक आ जाएगी. उम्मीद है कि ड्यूल इंजन की असफलता के कारणों का पता लग सकेगा. जांच के नतीजे एयर इंडिया के लिए महत्वपूर्ण होंगे, जो 33 बोइंग 787 ड्रीमलाइनर को ऑपरेट करती है. इसमें 26 बोइंग 787-8 और 7 बोइंग 787-9 शामिल हैं. 

एयरलाइन अपने बेड़े में किसी भी और ट्विन-आइल जेट की तुलना में ज्‍यादा ड्रीमलाइनर का संचालन करती है. ड्रीमलाइनर की विफलता बोइंग और दुनिया भर की दर्जनों एयरलाइनों पर प्रभाव डाल सकती है जो जेटलाइनर का संचालन करती हैं. AI-171 बोइंग 787 ड्रीमलाइनर का पहला क्रैश था, जब से विमान अक्टूबर 2011 में सेवा में आया था. 
 

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