पंजाब की रंजीत सागर झील में दुर्घटनाग्रस्त हुए सेना के हेलिकॉप्टर के लापता पायलट कैप्टन जयंत जोशी का शव सेना और वायुसेना के लगातार प्रयास के बाद 75 दिन के बाद बरामद हुआ. यह शव पूरी तरह क्षत-विक्षत हो चुका है. जब से हेलीकॉप्टर हादसे का शिकार हुआ था तब से लापता कैप्टन को ढूंढने का प्रयास जारी था. तीन अगस्त की सुबह सेना का हेलिकॉप्टर दुघर्टनाग्रस्त होने के बाद रणजीत सागर झील में गिर गया था. हादसे के बाद हेलिकाप्टर के साथ पायलट और को-पायलट लापता हो गए थे. पहले पायलट लेफ्टिनेंट कर्नल ए एस बाथ का शव दो हफ्ते बाद 16 अगस्त को मिला था. लेकिन दूसरे पायलट का शव काफी खोजबीन के बाद मिल नहीं रहा था.
झील की गहराई 65-70 मीटर होने की वजह से कोई सुराग नहीं मिल पा रहा था. जोशी को ढूंढ़ने के लिए सेना और नौसेना 75 दिनों से अपना ऑपरेशन चला रहे थे. आज झील के तल में उनका शव मिला. बांध के विशाल विस्तार और गहराई के कारण, खोज और बचाव दल झील को स्कैन करने के लिए अत्याधुनिक मल्टी बीम सोनार उपकरण का इस्तेमाल कर रहा था. बाद में रिमोट से संचालित होने वाले व्हीकल ने 17 अक्टूबर को शव ढूंढ़ निकाला.
तलाशी के दौरान 65-70 मीटर की गहराई में उनका शव मिला. स्थानीय मेडिकल जांच के बाद अब आगे की जांच के लिए उनका शव सैन्य अस्पताल पठानकोट भेजा गया है. यह बांध पंजाब के पठानकोट जिले और जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले की बसोहली तहसील में स्थित है.
आर्मी एविएशन विंग का रुद्र हेलीकॉप्टर झील में उस वक्त दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जब वह एक प्रशिक्षण उड़ान पर था. कई एजेंसियों की टीम मिलकर ऑपरेशन चला रही थी.
इससे पहले रक्षा पीआरओ लेफ्टिनेंट कर्नल देवेंद्र आनंद द्वारा जारी एक बयान में सेना ने कहा था, 'रक्षा बलों ने मलबे का पता लगाने के लिए देश में उपलब्ध सर्वोत्तम उपकरणों का इस्तेमाल किया था.'