Pfizer, Moderna ने हमें सीधे कोरोना वैक्सीन बेचने से किया मना, कहा केंद्र से करेंगे डील : CM केजरीवाल

दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने बताया कि Pfizer और Moderna ने दिल्ली को वैक्सीन देने से इनकार किया है. उन्होंने बताया कि 'Pfizer और मोडर्ना से हमारी बात हुई वैक्सीन खरीदने को लेकर लेकिन उन्होंने कहा आपको नहीं देंगे केंद्र सरकार से बात करेंगे.'

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अरविंद केजरीवाल ने बताया, उन्होंने मॉडर्ना और फाइज़र से की बात. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को जानकारी दी कि अमेरिकी वैक्सीन निर्माता कंपनियों- Pfizer और Moderna ने दिल्ली को वैक्सीन देने से इनकार किया है और कहा है कि वो इसे लेकर केंद्र सरकार से बात करेंगे. केजरीवाल ने बताया कि 'Pfizer और मॉडर्ना से हमारी बात हुई वैक्सीन खरीदने को लेकर लेकिन उन्होंने कहा आपको नहीं देंगे केंद्र सरकार से बात करेंगे.'

ऐसी ही बात पंजाब सरकार ने भी कही है. पंजाब के वरिष्ठ आईएएस और कोविड वैक्सीनेशन के नोडल अफसर विकास गर्ग ने रविवार को बताया कि सरकार ने मॉडर्ना से वैक्सीन को लेकर संपर्क किया था, लेकिन कंपनी ने उनसे सीधे डील करने से इनकार कर दिया और कहा कि वो वैक्सीन को लेकर बस केंद्र से बात करती है.

बता दें कि दिल्ली में वैक्सीन की जबरदस्त किल्लत चल रही है. 13 दिनों से कोवैक्सीन का स्टॉक खत्म है और सोमवार तक कोविशील्ड वैक्सीन भी खत्म होने की जानकारी थी.

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वैक्सीन की कमी से जूझ रहे राज्य

वैक्सीनेशन ड्राइव के तीसरे चरण में 18 से 44 आयुवर्ग के लोगों को भी टीका लग रहा है, लेकिन वैक्सीन की कमी के चलते राज्य फंसे हुए हैं. राज्यों का कहना है कि केंद्र सरकार को ही सभी आयुवर्ग के लोगों के टीकाकरण का भार उठाना चाहिए. विदेशी कंपनियों से भी वैक्सीन के लिए बातचीत भी केंद्र की जिम्मेदारी है.

देश में अभी दो कंपनियां भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट वैक्सीन बना रही हैं. लेकिन मांग बढ़ने से सप्लाई प्रभावित हुई है. मार्च-अप्रैल में बड़ी मात्रा में भारत ने कई दूसरे देशों को वैक्सीन का निर्यात भी किया है. लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के बीच शुरू हुए वैक्सीनेशन ड्राइव के तीसरे चरण में देश में वैक्सीन की कमी दिखाई दे रही है.

भारतीय ड्रग कंट्रोलर जनरल ने रूस की वैक्सीन स्पूतनिक V के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है, लेकिन सप्लाई का मुद्दा अभी भी बना हुआ है. ऐसे में राज्य खुद विदेशी कंपनियों से संपर्क करके यह समस्या दूर करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल कोई रास्ता नहीं नजर आ रहा, न ही वैक्सीनेशन की रफ्तार सुधरती दिख रही है.

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