क्या विधानसभा चुनावों के बाद बढ़ जाएंगे पेट्रोल-डीजल के दाम? पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने दिया ये जवाब

ऐसा माना जा रहा है कि चूंकि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं, इसीलिए पिछले तीन महीनों से ज्यादा वक्त से देश में तेल के दाम नहीं बढ़ाए जा रहे, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल सात सालों के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया है.

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नई दिल्ली:

देश में 100 दिन हो चुके हैं, जब पेट्रोल-डीजल के दामों में आखिरी बार बदलाव किया गया था. पिछले 100 दिनों से ऑयल मार्केटिंग कंपनियां फ्यूल के रिटेल प्राइस में कोई संशोधन नहीं कर रही हैं. ऐसा माना जा रहा है कि चूंकि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं, इसीलिए पिछले तीन महीनों से ज्यादा वक्त से देश में तेल के दाम नहीं बढ़ाए जा रहे, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल सात सालों के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया है. शनिवार को पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी NDTV से खास बातचीत में इसे लेकर उठ रहे सवालों पर जवाब दिया.

उनसे हुई बातचीत के अंश :

सवाल- आप पेट्रोलियम मंत्री हैं और देश में लोगों को लग रहा है कि चुनाव के बाद कहीं पेट्रोल डीजल के दाम तो नहीं बढ़ जाएंगे.

जवाब- मैंने संसद में भी कहा है कि पेट्रोल के दाम सरकार नहीं तय करती. कांग्रेस सरकार ने 2010 में पेट्रोल के दाम डी रेगुलेट कर दिए थे. इसका मतलब अंतरराष्ट्रीय बाजार में जो दाम होता है उस पर आप फ्रेट जोड़िए डीलर कमीशन जोड़िए और उसके साथ एक्सचेंज रेट जोड़िए. कांग्रेस सरकार ने अपने समय में ऑयल बॉन्ड जारी किए थे जिसका मतलब यह था कि 1,41,000 करोड़ के ऑयल बॉन्ड पेट्रोल सस्ता रखने के लिए जारी किए थे. उस पर हमारी कुल देनदारी बढ़कर 3,20,000 करोड़ रुपये हो गयी. हम दाम तय नहीं करते हम केवल एक्साइज तय करते हैं और राज्य सरकारें अपना टैक्स तय करती हैं.ऑयल मार्केटिंग कंपनियां तेल के दाम तय करती हैं.

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सवाल- आपकी सारी बात ठीक है और प्रैक्टिकल भी और जनता भी यह मानती है और यह दिखाई भी देता है कि उपचुनाव में BJP का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा जिसके बाद से पेट्रोल-डीजल के दाम कम हुए, और 3 महीने से बढ़े भी नहीं और अब सबको लग रहा है जैसे ही चुनाव हो जाएंगे पेट्रोल डीजल महंगे हो जाएंगे.

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जवाब- आपको जानकारी की कमी है. अंतर्राष्ट्रीय दाम हम नहीं तय करते बल्कि OPEC करता है. वह यह तय करता है कि कितना तेल मार्केट में जारी होगा. तेल का अंतरराष्ट्रीय दाम उस पर तय होता है. ऑयल मार्केटिंग कंपनी यह कर सकती हैं कि मान लीजिए कि दाम आज बहुत ऊंचा है तो अभी जो बढ़ोतरी है वह पास और मत करो जिससे उनकी अंडर रिकवरी होगी और कल को जब हालात सुधर रहे हैं तो तब वह पैसा कमा सकती हैं.

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पेट्रोल-डीजल के दाम ऑयल मार्केटिंग कंपनी ही तय करती हैं लेकिन हां कभी बहुत ज्यादा स्थिति खराब होती है तो हम भी जाते हैं सरकार के पास वित्त मंत्री के पास की एक्साइज थोड़ा कम करो वरना हालत खराब हो रही है. हमारी ऑयल इंपोर्ट पर निर्भरता 85 फ़ीसदी है. हम कहीं तरह की कोशिशें कर रहे हैं जिससे हमारी इंपोर्ट पर निर्भरता कम हो उसके ऊपर हम कदम उठा सकते हैं

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