भारत में व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी (Whatsapp New Privacy Policy) के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. खुदरा कारोबारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने शनिवार को व्हाट्सएप को नई निजता नीति को ख़ारिज करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है.
कैट ने अपनी याचिका में कहा है क़ी व्हाट्सएप की प्रस्तावित निजता नीति भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त नागरिकों के विभिन्न मौलिक अधिकारों का अतिक्रमण कर रहा है. कैट ने यह भी प्रार्थना की है कि वाट्सएप जैसी बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों को संचालित करने के लिए केंद्र सरकार को दिशा-निर्देश तैयार करने चाहिए और ऐसी नीतियां बनानी चाहिए जो नागरिकों और व्यवसायों की गोपनीयता की रक्षा करें.
कैट ने कहा, व्हाट्सएप का रुख अनुचित
याचिका में विशेष रूप से यूरोपीय संघ और भारत के देशों में व्हाट्सएप की निजता नीति में पूरी तरह अंतर का हवाला देते हुए कहा गया है की भारतीय उपयोगकर्ताओं के डेटा का इस तरह की बड़ी तकनीकी कंपनियों द्वारा दुरुपयोग कैसे किया जा सकता है.कैट ने आरोप लगाया कि व्हाट्सएप ने ‘माई वे या हाई वे 'के दृष्टिकोण को अपनाया है, जो मनमाना, अनुचित, असंवैधानिक है और इसे भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में स्वीकार नहीं किया जा सकता है. व्हाट्सएप व्यक्तिगत उपयोगकर्ता के डेटा को धोखे से इकट्ठा कर रहा है.
भारत में लांच करते समय किया था प्राइवेसी में दखल न देने का वादा
भारत में अपने लॉन्च के समय, व्हाट्सएप ने उपयोगकर्ताओं को उपयोगकर्ता डेटा और मजबूत निजता सिद्धांतों को साझा न करने के वादे के आधार पर आकर्षित किया. 2014 में फेसबुक द्वारा व्हाट्सएप के अधिग्रहण के बाद, जब उपयोगकर्ताओं ने अपने डेटा की गोपनीयता पर संदेह करना शुरू कर दिया था, क्योंकि उन्हें भय था कि उनके व्यक्तिगत डेटा को फेसबुक के साथ साझा किया जाएगा, तो व्हाट्सएप ने वादा किया कि अधिग्रहण के बाद निजता नीति में कुछ भी नहीं बदलेगा.
हालांकि अगस्त 2016 में, व्हाट्सएप अपने वादे से पीछे हट गया और एक नई निजता नीति पेश की जिसमें उसने अपने
उपयोगकर्ताओं के अधिकारों से गंभीर रूप से समझौता किया और उपयोगकर्ताओं के निजता अधिकारों को पूरी तरह से कमजोर कर दिया.
फेसबुक के साथ भी डेटा साझा होगा
नई निजता नीति के तहत, इसने वाणिज्यिक विज्ञापन और मार्केटिंग के लिए फेसबुक और इसकी सभी समूह कंपनियों के साथ व्यक्तिगत डेटा साझा करना है. तब से, कंपनी अपनी नीतियों में बदलाव कर रही है, ताकि सूचनाओं की एक विस्तृत श्रृंखला को इकट्ठा और संसाधित किया जा सके, और तीसरे पक्ष को डेटा दिया जा सके. किसी भी कॉर्पोरेट या बड़ी विदेशी कम्पनी को भारत के लोगों के कंधे पर बंदूक रख अनैतिक तरीके से लाभ कमाने के लिए अपनी अप्रिय नीतियों और भयावह डिजाइनों को लागू करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।