भारतीय लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला करने वाले बेनकाब हों : USAID फंडिंग पर मचे बवाल पर बोले धनखड़

पिछले सप्ताह अरबपति एलन मस्क के नेतृत्व में अमेरिकी सरकारी दक्षता विभाग (डीओजीई) ने खर्च में कटौती के कई उपायों की घोषणा की थी, जिसमें ‘‘भारत में मतदान के दौरान मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने’’ के लिए आवंटित 2.1 करोड़ अमेरीकी डॉलर की वित्तीय सहायता भी शामिल थी.

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नई दिल्ली:

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत में चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने में यू.एस. एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएड) द्वारा कथित तौर पर वित्त पोषण किए जाने को लेकर शुक्रवार को चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जिन लोगों ने देश के लोकतांत्रिक मूल्यों पर इस तरह के हमले की अनुमति दी, उन्हें बेनकाब किया जाना चाहिए.
उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी ताकतों पर प्रहार करना लोगों का ‘‘राष्ट्रीय कर्तव्य'' है.

अमेरिका के मियामी में बृहस्पतिवार को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत में मतदान में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए ‘यूएसएड' द्वारा दी गई 2.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर की वित्तीय सहायता पर सवाल उठाया और कहा, ‘‘मुझे लगता है कि वे किसी और को निर्वाचित कराने का प्रयास कर रहे थे.''

यहां ‘ध्यान' पर एक कार्यक्रम में धनखड़ ने कहा कि ‘यूएसएड' की वित्तीय सहायता पर टिप्पणी एक अधिकृत व्यक्ति की ओर से आई है और यह सच है कि पैसा दिया गया था.

विवाद की जड़ तक पहुंचने के लिए ‘‘चाणक्य नीति'' का उपयोग करने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि समस्या को जड़ से खत्म किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘जिन लोगों ने इस तरह के हमले (चुनावी शुचिता को नुकसान पहुंचाने के लिए) की अनुमति दी, उन्हें बेनकाब किया जाना चाहिए.''उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी ताकतों को करारा झटका देना लोगों का ‘‘राष्ट्रीय कर्तव्य'' है.

पिछले सप्ताह अरबपति एलन मस्क के नेतृत्व में अमेरिकी सरकारी दक्षता विभाग (डीओजीई) ने खर्च में कटौती के कई उपायों की घोषणा की थी, जिसमें ‘‘भारत में मतदान के दौरान मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने'' के लिए आवंटित 2.1 करोड़ अमेरीकी डॉलर की वित्तीय सहायता भी शामिल थी.

डीओजीई ने पिछले शनिवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर एक पोस्ट कर करदाताओं के करोड़ों डॉलर के कर से चलाए जा रहे कई कार्यक्रमों को रद्द करने की घोषणा की.

विभाग ने कहा, ‘‘अमेरिकी करदाताओं के पैसे जिन मदों पर खर्च किए जाने वाले थे उनमें से सभी को रद्द कर दिया गया है....''

इस सूची में अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन ‘कंसोर्टियम फॉर इलेक्शंस एंड पॉलिटिकल प्रोसेस स्ट्रेंथनिंग' (सीईपीपीएस) को अनुदान के रूप में 48.6 करोड़ अमेरीकी डॉलर और ‘‘भारत में मतदान के दौरान मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने'' के लिए 2.1 करोड़ अमेरीकी डॉलर की वित्तीय सहायता भी शामिल थी.
 

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