उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत में चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने में यू.एस. एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएड) द्वारा कथित तौर पर वित्त पोषण किए जाने को लेकर शुक्रवार को चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जिन लोगों ने देश के लोकतांत्रिक मूल्यों पर इस तरह के हमले की अनुमति दी, उन्हें बेनकाब किया जाना चाहिए.
उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी ताकतों पर प्रहार करना लोगों का ‘‘राष्ट्रीय कर्तव्य'' है.
यहां ‘ध्यान' पर एक कार्यक्रम में धनखड़ ने कहा कि ‘यूएसएड' की वित्तीय सहायता पर टिप्पणी एक अधिकृत व्यक्ति की ओर से आई है और यह सच है कि पैसा दिया गया था.
विवाद की जड़ तक पहुंचने के लिए ‘‘चाणक्य नीति'' का उपयोग करने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि समस्या को जड़ से खत्म किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘जिन लोगों ने इस तरह के हमले (चुनावी शुचिता को नुकसान पहुंचाने के लिए) की अनुमति दी, उन्हें बेनकाब किया जाना चाहिए.''उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी ताकतों को करारा झटका देना लोगों का ‘‘राष्ट्रीय कर्तव्य'' है.
डीओजीई ने पिछले शनिवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर एक पोस्ट कर करदाताओं के करोड़ों डॉलर के कर से चलाए जा रहे कई कार्यक्रमों को रद्द करने की घोषणा की.
इस सूची में अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन ‘कंसोर्टियम फॉर इलेक्शंस एंड पॉलिटिकल प्रोसेस स्ट्रेंथनिंग' (सीईपीपीएस) को अनुदान के रूप में 48.6 करोड़ अमेरीकी डॉलर और ‘‘भारत में मतदान के दौरान मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने'' के लिए 2.1 करोड़ अमेरीकी डॉलर की वित्तीय सहायता भी शामिल थी.