Pegasus Report : राहुल गांधी, प्रशांत किशोर, दो केंद्रीय मंत्रियों को भी कथ‍ित रूप से बनाया गया निशाना

द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक, लीक हुए डेटा में 300 भारतीय मोबाइल नंबर शामिल हैं, जिनमें 40 मोबाइल नंबर भारतीय पत्रकारों के हैं.

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रिपोर्ट के मुताबिक इन नंबरों को 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले निशाना बनाया गया था.

नई दिल्ली:

पेगासस स्पाइवेयर मामले में खुलासा हुआ है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और दो मंत्रियों को भी निशाना बनाया गया है. इन मंत्रियों में अश्विनी वैष्णव और प्रह्ललाद पटेल का नाम सामने आया है. द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक, लीक हुए डेटा में 300 भारतीय मोबाइल नंबर शामिल हैं, जिनमें 40 मोबाइल नंबर भारतीय पत्रकारों के हैं. इनके अलावा तीन बड़े विपक्षी नेता, मोदी सरकार में दो केंद्रीय मंत्री, सुरक्षा एजेंसियों के मौजूदा- पूर्व प्रमुख और अधिकारी, बिजनेमैन शामिल हैं. रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि इन नंबरों को 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले 2018-2019 के बीच निशाना बनाया गया था.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी को भी टारगेट बनाया गया है. 

इस लिस्ट में सबसे चौंकाने वाला नाम केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव का है, जिन्हें पीएम मोदी ने हालही अपने कैबिनेट में शामिल किया है. उन्होंने आईटी मंत्री के रूप में रविशंकर प्रसाद की जगह ली. इनको जब 2018-19 में निशाना बनाया गया, तब ये सांसद थे.

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प्रशांत किशोर ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी के प्रचार में बड़ी भूमिका निभाई थी, जिसके बाद भाजपा स्पष्ट बहुमत के साथ सत्ता में आई थी. इसके बाद से भाजपा की कई विरोधी पार्टियों ने उनसे संपर्क किया. हालही में पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और तमिलनाडु में एमके स्टालिन की जीत का भी श्रेय उन्हें दिया गया.

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पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के खिलाफ शिकायतों पर चुनाव आयोग के फैसले पर असहमतिपूर्ण राय दर्ज करवाई थी. उन्होंने चुनाव आयोग की बैठकों में भाग लेना भी बंद कर दिया था, उनका कहना था कि उनकी बात नहीं सुनी जाती है. 

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बता दें, रविवार को न्यूज वेबसाइट 'द वायर' समेत कई मीडिया संस्थानों ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया था कि एक अज्ञात एजेंसी ने Pegasus स्पाइवेयर का इस्तेमाल करते हुए भारतीय पत्रकारों और नेताओं को निशाना बनाया है. हालांकि, इस मामले पर सरकार की ओर से भी सफाई आई थी. सरकार ने हैकिंग में शामिल होने से इनकार करते हुए कहा, 'विशेष लोगों पर सरकारी निगरानी के आरोपों का कोई ठोस आधार या इससे जुड़ी सच्चाई नहीं है.' 

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