गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने शनिवार को कहा कि यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के वार्ता समर्थक गुट के साथ शांति समझौते का पूरे पूर्वोत्तर में व्यापक प्रभाव पड़ेगा. वहीं, असम के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने उल्फा के वार्ता समर्थक गुट के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर को मील का पत्थर करार दिया है.
शांति समझौते के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कई नेताओं द्वारा दिये गये बधाई संदेशों का ‘एक्स' पर जवाब देते हुए शर्मा ने कहा कि शांतिपूर्ण, समृद्ध और विकसित पूर्वोत्तर हर भारतीय का सपना है और यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अथक प्रयासों से पूरा हो रहा है. उन्होंने कहा कि उल्फा के साथ समझौते पर हस्ताक्षर से न केवल असम बल्कि पूरे क्षेत्र का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित होगा.
शर्मा ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी के आशीर्वाद से, पूर्वोत्तर क्षेत्र मिलकर एक विकसित भारत के निर्माण में योगदान देगा.'' उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है. मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि इससे अन्य लोगों को मुख्यधारा में आने और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने की प्रेरणा मिलेगी.
उन्होंने कहा, ‘‘लोग उल्फा के साथ स्थायी शांति चाहते हैं ताकि विकास यात्रा लगातार जारी रह सके.'' असम के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने उल्फा के वार्ता समर्थक गुट के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने की ‘‘महत्वपूर्ण पहल'' करने के लिए शनिवार को केंद्र सरकार की सराहना की.
कटारिया ने यहां एक बयान में कहा, ‘‘शांति समझौता असम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, और निश्चित रूप से इससे शांति और विकास का एक नया अध्याय शुरू होगा. यह महत्वपूर्ण पहल क्षेत्रीय शांति और स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण विकास का प्रतीक है.''
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की दृढ़ प्रतिबद्धता और मुख्यमंत्री शर्मा के ठोस प्रयासों'' ने इस सफलता को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.''
उल्फा के वार्ता समर्थक गुट ने हिंसा छोड़ने, संगठन को भंग करने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने पर सहमति व्यक्त करते हुए शुक्रवार को केंद्र और असम सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये थे.