कोरोनिल विवाद पर IMA से भिड़ा दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन, कहा- 'स्वास्थ्य मंत्री के कार्यक्रम में जाने से...'

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने पतंजलि के कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन के शामिल होने पर सख्त आपत्ति जताई थी, जिसके बाद दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने इसका विरोध किया है.

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पतंजलि के कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री के शामिल होने पर उठा है विवाद.
नई दिल्ली:

बाबा राम की संस्था पतंजलि की ओर से कोरोनावायरस के खिलाफ लाई गई दवा कोरोनिल पर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के उस आपत्ति पर आपत्ति जताई है, जिसमें IMA ने स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन के पतंजलि के कार्यक्रम में शामिल होने का विरोध किया था.

DMA के अध्यक्ष डॉक्टर बी बी वाधवा ने कहा कि 'हम लोग इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के खिलाफ नहीं है लेकिन उनके इस बयान के खिलाफ हैं. उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन के बारे में बहुत गलत बोला, डॉक्टर हर्षवर्धन दिल्ली के नहीं बल्कि पूरे देश के स्वास्थ्य मंत्री हैं और एक स्वास्थ्य मंत्री के नाते उन्हें बहुत सारे कार्यक्रमों में जाना पड़ता है. कार्यक्रम में जाने का मतलब यह नहीं है कि डॉक्टर हर्षवर्धन उसको एंडोर्स कर रहे हैं या इस्तेमाल करने की बात कह रहे हैं. उनका कार्यक्रम में जाना यह दिखाता है कि स्वास्थ्य मंत्री होते हुए वह सभी मेडिसिन सिस्टम को विकसित होते हुए देखना चाहते हैं.'

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वाधवा ने आयुर्वेदिक दवा का स्वागत करते हुए कहा कि 'और मान लीजिए कोई आयुर्वेदिक कंपनी कोई दवाई बनाती है तो उस दवाई को अगर सारी एजेंसी सर्टिफाई कर रही हैं और उसको बाजार में लेकर आए हैं तो उसकी सराहना करनी चाहिए. मेडिसिन का इंटीग्रेटेड सिस्टम विकसित होना चाहिए इसमें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इसके लिए डॉक्टर हर्षवर्धन को इस तरह से टारगेट किया जाना या उनके बारे में कुछ गलत बात लिखना या कहना बहुत गलत है इसलिए हम इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का विरोध कर रहे हैं.'

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उन्होंने कहा कि एक स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर किसी कार्यक्रम में जाना एंडोर्समेंट नहीं होता. वाधवा ने कहा कि कोई भी मेडिसिन सिस्टम अपने आप में संपूर्ण नहीं होता, सबकी अपनी सीमाएं होती हैं, इसलिए मरीज़ को दूसरे सिस्टम के बारे में भी बताना होता है जिससे वो ठीक हो जाए.

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DMA का कहना है कि कोरोनिल एक आयुर्वेदिक दवाई है जिसके बारे में दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती क्योंकि इसके बारे में वही टिप्पणी कर सकता है जो इसके प्रभाव के बारे में बता सकता है.

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बता दें कि IMA ने सवाल उठाया था कि स्वास्थ्य मंत्री गलत तरीके से गढ़े हुए, अवैज्ञानिक उत्पाद को देश के सामने कैसे बढ़ावा दे सकते हैं. दरअसल, पतंजलि ने कहा था कि उसे COVID-19 के इलाज में सहायक दवा के रूप में उसके कोरोनिल टैबलेट को आयुष मंत्रालय से प्रमाण पत्र मिला है और यह प्रमाण पत्र विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की प्रमाणन योजना के तहत मिला है. लेकिन WHO ने बाद में कहा था कि संगठन ने COVID-19 के उपचार या रोकथाम के लिए किसी भी पारंपरिक दवा की समीक्षा या उसे प्रमाणित नहीं किया है. जिसपर IMA ने ट्वीट करते हुए स्वास्थ्य मंत्री को घेरा था.

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