बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए कफ सिरप बनाने वाली डिजीटल विजन कंपनी का पार्टनर गिरफ्तार

अब सरकार दवा की गुणवत्ता और उसकी निर्माता कंपनियों की निगरानी को लेकर नया कानून लाने की तैयारी में है. यह नया कानून पुराने दवा और प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 की जगह लेगा.

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  • NCB की चंडीगढ़ यूनिट ने कफ सिरप बनाने वाली कंपनी के पार्टनर अनुज कुमार को गिरफ्तार किया है
  • अनुज कुमार को देहरादून और राजस्थान में टैबलेट और कफ सिरप अवैध तरीके से बेचने के लिए गिरफ्तार किया गया
  • इस कंपनी के कफ सिरप से 2020 में जम्मू कश्मीर में दर्जनों बच्चों की मौत हो चुकी है, जिसके बाद विवाद हुआ था
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NCB की चंडीगढ़ जोनल यूनिट ने बड़ी कार्यवाही करते हुए कफ सीरप बनाने वाली कंपनी के एक पार्टनर को गिरफ्तार कर लिया है. यह कंपनी साल 2020 में भी विवादों में रही थी, जब इस कंपनी के कफ सीरप पीने से जम्मू कश्मीर में दर्जनों बच्चों की मौत हो गई थी. NCB ने अनुज कुमार नाम के इस कंपनी के एक पार्टनर को रुड़की से गिरफ्तार किया है. अनुज कुमार डिजीटल विजन सिरप कंपनी का पार्टनर है.

ये कंपनी बच्चों और बड़ों की गभीर खांसी के लिए कफ सिरप बनाती है.  अनुज कुमार को 50 लाख के करीब टैबलेट, 12 हजार कफ सिरप की बोतल देहरादून के तिवारी मेडिकल एजेंसी और राजस्थान में दो अलग एजेंसियों को गैर-कानूनी तरीके से बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. NCB का आरोप है कि ड्रग्स कारोबारी को भी यह टैबलेट और कफ सिरप बेचे जा रहे थे. आरोपी के खिलाफ पहले भी कई आपराधिक मामले दर्ज हैं. पुलिस अभी इससे पूछताछ जारी है. 

सरकार करने जा रही सख्ती

मध्य प्रदेश में कफ सिरप पीने हुई मौत के बाद अब सरकार दवा की गुणवत्ता और उसकी निर्माता कंपनियों की निगरानी को लेकर नया कानून लाने की तैयारी में है. यह नया कानून पुराने दवा और प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 की जगह लेगा. इसमें राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी किसी कंपनी पर कार्रवाई का अधिकार होगा. जानकारी के अनुसार, सरकार ने दवा, चिकित्सा उपकरण और कॉस्मेटिक अधिनियम 2025 लागू करने का फैसला किया है. इस 147 पन्नों के मसौदे में कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के प्रावधान रखे गए हैं. इसमें सबसे अहम गलती करने वाली कंपनियों का सिर्फ राज्य ही नहीं बल्कि केंद्र सरकार भी लाइसेंस रद्द कर सकती है.

नए कानून में क्या बदलेगा?

जानकारी के अनुसार, अभी तक लाइसेंस रद्द करने का अधिकार सिर्फ राज्य औषधि नियंत्रक विभाग के पास था. इसको लेकर राज्य और केंद्र के बीच अक्सर मामला फंसा रहता था. हाल ही में मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में हुई घटना के बाद भी ऐसा ही देखा गया, जब घटना की जांच में तमिलनाडु के राज्य औषधि नियंत्रक विभाग की लापरवाहियां सामने आई. दरअसल, 2011 से अब तक दो बार कंपनी का लाइसेंस रिन्यू किया गया लेकिन उसकी सूचना केंद्रीय एजेंसी को नहीं दी गई.

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