वंदे मातरम, चंडीगढ़ से SIR तक... संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष करेगा वार, सरकार धार कुंद करने को तैयार

Parliament winter Session: संसद के शीतकालीन सत्र को लेकर सरकार और विपक्ष अपनी रणनीति को धार देने में जुटे हैं. रविवार को सर्वदलीय बैठक भी बुलाई गई है.

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Parliament Winter Session
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  • संसद का शीतकालीन सत्र एक दिसंबर से शुरू होकर 19 दिसंबर तक चलेगा और यह अपेक्षाकृत छोटा सत्र होगा
  • विपक्ष तृणमूल कांग्रेस, डीएमके और सपा एसआईआर अभियान के खिलाफ संसद में विरोध करेंगे
  • सरकार इस सत्र में परमाणु ऊर्जा, उच्च शिक्षा, कॉरपोरेट कानून समेत दस बड़े विधेयक पेश करेगी
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नई दिल्ली:

संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार एक दिसंबर से शुरू होने जा रहा है. तृणमूल कांग्रेस, डीएमके और समाजवादी पार्टी ने देश के कई राज्यों में चलाए जा रहे मतदाता सूचियों के विशेष पुनरीक्षण अभियान यानी SIR को लेकर तीखा विरोध करने का फैसला किया है. विपक्ष की यह लड़ाई सड़क के बाद अब संसद में लाने की तैयारी है. यह सत्र वैसे ही छोटा है, क्योंकि यह 19 दिसंबर तक ही चलेगा. ऐसे में विपक्षी विरोध के बीच सरकारी कामकाज पर सवालिया निशान लगने की संभावना बन रही है. सरकार इस सत्र में 10 बड़े विधेयक पेश करने जा रही है. इनमें परमाणु ऊर्जा, उच्च शिक्षा, कॉरपोरेट कानून और प्रतिभूति बाजार से जुड़े अहम बदलाव शामिल हैं.

बुधवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर वरिष्ठ मंत्रियों की बैठक में शीतकालीन सत्र को लेकर सरकार की रणनीति को अंतिम रूप दिया गया. संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू ने रविवार को एक सर्वदलीय बैठक भी बुलाई है जिसमें विपक्ष से आमराय से सत्र चलाने की अपील की जाएगी. सरकार चाहती है कि राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150वें वर्ष और उसके संपूर्ण पाठ को लेकर भी सदन में चर्चा हो. प्रधानमंत्री मोदी कह चुके हैं कि 1937 में कांग्रेस ने वंदे मातरम की कई पंक्तियां हटा दी थीं जिससे विभाजन की नींव पड़ी.

सरकार का कहना है कि वह खुले मन से किसी भी विषय पर चर्चा करने को तैयार है. लेकिन जहां तक सर का मुद्दा है, यह चुनाव आयोग की सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है जिस पर संसद में चर्चा नहीं हो सकती. सरकार का यही रुख मॉनसून सत्र में भी था जब बिहार में सर को लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने जमकर हंगामा किया था और दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित हुई थी.

सरकार का यह भी कहना है कि सर के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश भी आ चुके हैं और उनके हिसाब से चुनाव आयोग ने आवश्यक व्यवस्था की है. यानी एक लिहाज से विपक्ष जिसे तूल देकर मुद्दा बनाना चाहता है उस पर सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था भी आ चुकी है. जहां तक इसे राजनीतिक मुददा बनाने की बात है, एनडीए के पक्ष में बिहार में आया प्रचंड जनादेश यह बता रहा है कि जनता इसे मुद्दा नहीं मानती. सरकार का यह कहना है कि अगर व्यापक चुनाव सुधार की बात हो तो उस पर चर्चा कराने को वह तैयार हैं लेकिन आयोग के किसी फ़ैसले या प्रक्रिया पर चर्चा नहीं हो सकती.

हालांकि तृणमूल कांग्रेस सर को लेकर आक्रामक है. आज उसके नेता चुनाव आयोग से मुलाकात भी कर रहे हैं. पश्चिम बंगाल में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं और बिहार की जीत से उत्साहित बीजेपी पश्चिम बंगाल का किला फतह करने की तैयारियों में जुट गई है. वहीं ममता बनर्जी सर को केंद्र सरकार की साजिश बता रही है. उसका आरोप है कि सर के जरिए मतदाता सूची में गड़बड़ी और बूथों की संख्या में कृत्रिम वृद्धि की जा रही है. तमिलनाडु में भी अगले साल चुनाव होने हैं और वहां सत्तारूढ़ डीएमके को भी सर में साजिश नजर आ रही है. वहीं समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में चलाए जा रहे विशेष पुनरीक्षण अभियान में कथित खामियों को लेकर हमलावर है. 

विपक्ष परमाणु ऊर्जा और भारतीय उच्च शिक्षा आयोग जैसे बिलों को लेकर भी विरोध कर रहा है. साथ ही चंडीगढ़ को लेकर प्रस्तावित संविधान संशोधन बिल को लेकर भी विपक्ष के मन में सवाल हैं. विपक्ष बेरोजगारी और दिल्ली एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर भी आक्रामक रहेगा. ऐसे में माना जा रहा है शीतकालीन सत्र हंगामेदार रह सकता है.

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