- संसद के शीतकालीन सत्र में लगातार हंगामे के बीच लगातार 10वें दिन SIR, चुनाव और मतदाता-सूची सुधार पर टकराव जारी.
- सरकार ने टैक्स, उपकर और सुरक्षा से जुड़े अहम विधेयक आगे बढ़ाए.
- वंदे मातरम् पर लोकसभा-राज्यसभा में लंबी बहस, विपक्ष-सरकार आमने-सामने.
संसद के शीतकालीन सत्र का आज 10वां दिन चल रहा है. लोकसभा में चुनाव सुधारों के मुद्दे पर विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच जबरदस्त हंगामा के बीच आज 10वें दिन 'चुनाव सुधार' पर चर्चा जारी है. विभिन्न दलों के सांसद इस विषय पर अपने विचार रख रहे हैं. अब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह लोकसभा में बहस का समापन करते हुए चुनाव सुधारों पर बोलेंगे. 1 से 19 दिसंबर 2025 तक चलने वाले इस सत्र के शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री, संसदीय कार्य मंत्री और अन्य मंत्रियों ने विपक्षी नेताओं के साथ ऑल-पार्टी बैठक भी की जिसमें करीब 50 नेताओं ने हिस्सा लिया और सरकार ने आर्थिक सुधार से जुड़े 10 प्रमुख विधेयकों को प्राथमिकता देने का लक्ष्य रखा, जबकि विपक्ष स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) और मतदाता सूची से जुड़े मसलों पर बहस करने की मांग पर अड़ा है. चलिए बताते हैं कि 10 दिनों के दरम्यान अब तक सदन की कार्यवाही के दौरान क्या-क्या हुआ और कौन-कौन से विधेयक सदन के पटल पर पेश किए गए हैं.
वंदे मातरम् पर राज्यसभा में खूब हुई चर्चा
इसके बाद 9 दिसंबर को वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर राज्यसभा में भी इस ऐतिहासिक राष्ट्रीय गीत पर विशेष चर्चा की गई. इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वंदे मातरम् की जरूरत थी, और आज भी है जब देश 2047 में विकसित भारत बनने जा रहा है."
उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग ‘वंदे मातरम्' को पश्चिम बंगाल में होने वाले चुनाव से जोड़ कर, इसके महत्व को धूमिल करना चाहते हैं.
उन्होंने कहा कि संसद के दोनों सदनों में ‘वंदे मातरम्' पर चर्चा भावी पीढ़ियों को इसके वास्तविक महत्व, इसके गौरव को समझने में मदद करेगी और इस राष्ट्रीय गीत को देश भक्ति, त्याग और राष्ट्र चेतना का प्रतीक बताते हुए बोले कि "जो लोग इस समय इसकी चर्चा करने के औचित्य और जरूरत पर सवाल उठा रहे हैं, उन्हें अपनी सोच पर नये सिरे से विचार करना चाहिए."
इस दौरान उन्होंने स्पष्ट किया, "हम न तो संसद से बचते हैं और न ही मुद्दों पर चर्चा करने से भागते हैं, हम संसद में किसी भी मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं."
एक से बढ़कर एक बयान
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे बोले, "प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह जवाहरलाल नेहरू और कांग्रेस के अन्य नेताओं का अपमान करने का कोई मौका नहीं छोड़ते."
खरगे ने यह भी कहा कि ‘वंदे मातरम्' के पहले दो छंदों को राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाने का निर्णय केवल नेहरू का नहीं था, बल्कि यह निर्णय महात्मा गांधी, रवींद्रनाथ टैगोर और अन्य नेताओं की सहमति से लिया गया था.
पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने राज्यसभा में सरकार को सुझाव दिया कि वंदे मातरम् को 150 विभिन्न गायन शैली में रिकार्ड करवाया जाना चाहिए.
वहीं राज्यसभा की मनोनीत सदस्य सुधा मूर्ति ने सरकार से प्राथमिक और उच्च विद्यालयों में 'वंदे मातरम्' का गायन अनिवार्य करने का आग्रह किया.
राज्यसभा में वंदे मातरम् पर करीब 10 घंटे चर्चा की गई. अंत में सभापति सीपी राधाकृष्णन ने वंदे मातरम् को अमर स्तुति गीत बताते हुए सभी से एक राष्ट्र के रूप में साथ खड़े हो कर राष्ट्रीय सेवा का संकल्प लेने को कहा.
शीतकालीन सत्र की अब तक की रिपोर्ट्स दिखाती हैं कि सरकार कुछ प्रमुख बिलों पर आगे बढ़ी है. वहीं विपक्ष SIR पर बहस की मांग पर टिके हुए है. सरकार का रुख रहा है कि आवश्यक कानूनी और प्रशासनिक मुद्दों पर काम चलता रहेगा. संसदीय चैनल और प्रमुख मीडिया हाउसों के कवरेज से यह स्पष्ट है कि सत्र की वास्तविक उत्पादकता इस विरोध-विवाद के बावजूद अगले कुछ दिनों में ही स्पष्ट होगी.
मॉनसून सत्र में लोकसभा-राज्यसभा दोनों में बहुत कम घंटे कामकाज हुए थे. लोकसभा में यह सिर्फ 37 घंटे था तो राज्यसभा में 41 घंटे के करीब. लिहाजा सरकार की रणनीति इस शीतकालीन सत्र में तेजी से काम करने की है. अगर अगले कुछ दिनों में सदन में मुद्दे आधारित बहस और कम स्थगन देखने को मिलते हैं, तो यह सत्र मॉनसून से बेहतर साबित हो सकता है.














