बड़े हथियारों की कमी झेल रहे पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर की फायरिंग
पाकिस्तान नियंत्रण रेखा पर फायरिंग से बाज नहीं आ रहा है और लगातार 11वें दिन भी सीजफायर का उल्लंघन किया गया है. पहलगाम हमले के बाद से पाकिस्तानी सेना लगातार फायरिंग कर संघर्ष विराम का उल्लंघन कर रही है. सेना के मुताबिक, पाकिस्तानी सैन्य चौकियों से 4-5 मई की रात के दौरान एक बार फिर से फायरिंग की गई. इस गोलीबारी का भारतीय सेना ने तुरंत कठोर जवाब दिया. जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना की चौकियों ने जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा, बारामूला, पुंछ, राजौरी, मेंढर, नौशेरा, सुंदरबनी और अखनूर के आसपास के इलाकों में नियंत्रण रेखा के पार से बिना किसी उकसावे के छोटे हथियारों से गोलीबारी की है. भारतीय सेना ने तुरंत और सटीक रूप से इसका जवाब दिया.
- लगातार 11वें दिन पाक ने किया युद्गविराम का उल्लंघन
- जम्मू के राजौरी, मेंढर, नौशेरा, सुंदरबनी, अखनूर, पुंछ और कश्मीर के कुपवाड़ा व बारामूला से पाक सेना ने की स्माल आर्म्स से गोलीबारी
- एलओसी पर आठ जगहों पर पाक ने सीजफायर का उल्लंघन किया
- भारतीय सेना ने दिया करारा जवाब
- पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकी हमले के बाद भारत पाक के बीच तनाव बढ़ा है.
- 24 अप्रैल की रात से लगातार एलओसी पर पाक सेना का फायरिंग जारी है
गौरतलब है कि आतंकवादियों ने 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 26 पर्यटकों की निर्मम तरीके से हत्या की थी. इसके बाद से पाकिस्तानी सेना नियंत्रण रेखा पर भी संघर्ष विराम का उल्लंघन कर रही है. इस नृशंस हत्या के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और बढ़ गया है. इस घटना से पूरे देश में गुस्सा फैल गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इन आतंकियों, उनके मददगारों और समर्थकों को कहीं से भी ढूंढ कर सजा दी जाएगी.
पाकिस्तानी सेना के पास गोला-बारूद की कमी
इंटेलिजेंस रिपोर्ट का साफ कहना है कि पाकिस्तानी सेना के पास गोला-बारूद की बहुत कमी है. यही कारण है कि पाकिस्तान की सेना चार दिन से अधिक समय तक युद्ध नहीं लड़ सकती. खुफिया सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान की सैन्य तैयारियां उसके तोपखाने के गोला-बारूद की गंभीर कमी के कारण अपने ही देश में सवालों के दायरे में आ गई हैं. पाकिस्तान ने यूक्रेन और इजरायल के साथ हथियारों के सौदे किए, जिससे उसकी समस्या और बढ़ गई है. पाकिस्तान के इस कदम ने उसकी रक्षा क्षमताओं को कमजोर कर दिया है. स्वयं पाकिस्तान को भी यह मालूम है कि महत्वपूर्ण तोपखाने के गोला-बारूद की कमी के कारण वह चार दिनों से अधिक समय तक लड़ने की स्थिति में नहीं है.