भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान द्वारा नई दिल्ली के खिलाफ दिए गए बयान को ‘‘विनाशकारी एवं हानिकारक'' बताया और उसे तीखा जवाब देते हुए कहा कि पाकिस्तान का सभी पहलुओं पर ‘‘सबसे संदिग्ध ट्रैक रिकॉर्ड'' रहा है. संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के दूत मुनीर अकरम ने ‘शांति की संस्कृति' पर महासभा में अपने संबोधन के दौरान कश्मीर, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम और अयोध्या में राम मंदिर जैसे मामलों का जिक्र किया था. इस दौरान उन्होंने भारत के खिलाफ लंबी टिप्पणी की थी जिस पर संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है.
भारत ने दिया दो टूक जवाब
कंबोज ने गुरुवार को कहा कि इस महासभा में हम आखिरी बात यह कहना चाहते हैं कि जब हम इस चुनौतीपूर्ण समय में शांति की संस्कृति विकसित करने की कोशिश करते हैं तो ऐसे समय में हमारा ध्यान रचनात्मक वार्ता पर केंद्रित रहता है. इसलिए हमने एक निश्चित प्रतिनिधि की उन टिप्पणियों को दरकिनार करने का विकल्प चुना जिनमें न केवल मर्यादा का अभाव है बल्कि अपनी विनाशकारी एवं हानिकारक प्रकृति के कारण वे हमारे सामूहिक प्रयासों में भी बाधक हैं.
उन्होंने कहा कि हम उस प्रतिनिधि को सम्मान और कूटनीति के उन केंद्रीय सिद्धांतों का पालन करने के लिए दृढ़ता से प्रोत्साहित करेंगे जिन्हें हमेशा हमारी चर्चाओं का मार्गदर्शन करना चाहिए या फिर क्या उस देश से यह अपेक्षा करना बहुत ज्यादा है जिसका स्वयं सभी पहलुओं पर सबसे संदिग्ध ‘ट्रैक रिकॉर्ड' है.
"मेरे देश का विश्वास एकजुटता में है"
कंबोज ने कहा कि आतंकवाद शांति की संस्कृति और सभी धर्मों की उन मूल शिक्षाओं का प्रत्यक्ष विरोधी है, जो करुणा, समझ और सह-अस्तित्व की वकालत करते हैं. यह झगड़े के बीज बोता है, शत्रुता पैदा करता है और सम्मान एवं सद्भाव के उन सार्वभौमिक मूल्यों को कमजोर करता है जो दुनिया भर में सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं का आधार हैं. सदस्य देश यदि वास्तव में शांति की संस्कृति को बढ़ावा देना चाहते हैं और दुनिया को एक एकजुट परिवार के रूप में देखना चाहते हैं तो इसके लिए उनका मिलकर सक्रिय रूप से काम करना आवश्यक है. इस एकजुटता में मेरे देश का दृढ़ विश्वास है।''
उन्होंने आगे कहा कि दुनिया को भू-राजनीतिक तनाव और असमान विकास के कारण बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. धर्म या विश्वास के आधार पर बढ़ती असहिष्णुता, भेदभाव और हिंसा पर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है. गिरजाघरों, मठों, गुरुद्वारों, मस्जिदों, मंदिरों सहित पवित्र स्थलों पर बढ़ते हमलों से हम विशेष रूप से चिंतित हैं.ऐसे कृत्यों के खिलाफ वैश्विक समुदाय को त्वरित और एकजुट होकर प्रतिक्रिया देनी चाहिए.
कंबोज ने यूएनजीए बैठक में कहा कि महात्मा गांधी द्वारा प्रतिपादित अहिंसा का सिद्धांत शांति के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का आधार है.भारत न केवल हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म का जन्मस्थान है, बल्कि इस्लाम, यहूदी धर्म, ईसाई धर्म और पारसी धर्म का भी गढ़ है. यह धर्म के आधार पर उत्पीड़न का शिकार हुए लोगों के लिए ऐतिहासिक रूप से शरणस्थली रहा है.
उन्होंने अपनी उल्लेखनीय धार्मिक और भाषाई विविधता के साथ भारत का सांस्कृतिक ताना-बाना सहिष्णुता और सह-अस्तित्व का एक प्रमाण है. दिवाली, ईद, क्रिसमस और नवरोज जैसे त्यौहार धार्मिक सीमाओं से परे हैं तथा ये विभिन्न समुदायों की साझा खुशियों का जश्न मनाते हैं. भारत ने ‘शांति की संस्कृति पर कार्रवाई के कार्यक्रम और घोषणा का अनुसरण' प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए बांग्लादेश की सराहना की, जिसे दिल्ली ने ‘‘गर्व से'' सह-प्रायोजित किया.