20 सालों में पहली बार पाकिस्तानी सेना ने लश्कर के आतंकी का शव किया स्वीकार

अधिकारी ने कहा कि रविवार को मृत आतंकी का पोस्टमॉर्टम करने समेत सभी अन्य औपचारिकताएं पूरी कर ली गयीं और इसके बाद शव वापस करने के लिए पाकिस्तान की सेना से संपर्क किया गया.

विज्ञापन
Read Time: 24 mins
20 सालों में पहली बार पाकिस्तानी सेना ने लश्कर के आतंकी का शव किया स्वीकार
जम्मू:

पाकिस्तान ने दो दशक से अधिक समय में पहली बार सोमवार को आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के एक प्रशिक्षित आतंकवादी का शव स्वीकार किया, जिसने सेना की एक चौकी पर हमले के लिए जम्मू कश्मीर में घुसपैठ की थी. अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में कोटली के सब्जकोट गांव के रहने वाले तबाकर हुसैन (32) की दो दिन पहले राजौरी जिले में सेना के एक अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गयी थी.

अधिकारियों के अनुसार पिछले महीने सीमा पार से इस तरफ घुसपैठ की कोशिश के दौरान गोली लगने से वह घायल हो गया था और अस्पताल में उसकी सर्जरी हुई थी. सेना के जवानों ने उसकी जान बचाने के लिए खून भी दिया था.

सेना के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘भारतीय सेना ने पुंछ जिले में नियंत्रण रेखा पर चाकन दा बाग सीमा पार बिंदु पर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में हुसैन का शव पाकिस्तान को सौंपा.'' उन्होंने कहा कि पिछले दो दशक से अधिक समय में संभवत: यह पहली घटना है जिसमें पाकिस्तान ने एक आतंकवादी के शव को स्वीकार किया है.

Advertisement

अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान हमेशा से जम्मू कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त उसके नागरिकों के शव लेने से इनकार करता रहा है.

Advertisement

लश्कर-ए-तैयबा के प्रशिक्षित गाइड और पाकिस्तानी सेना के एजेंट हुसैन ने 21 अगस्त को राजौरी के नौशेरा क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश की थी, तभी वह भारतीय सैनिकों की गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हो गया. उसे बाद में सैन्य अस्पताल राजौरी में भर्ती कराया गया, जहां उसकी सर्जरी हुई. सैनिकों ने उसकी जान बचाने के लिए तीन यूनिट खून भी दिया. हालांकि तीन सितंबर को उसे दिल का दौरा पड़ा.

Advertisement

अधिकारी ने कहा कि रविवार को मृत आतंकी का पोस्टमॉर्टम करने समेत सभी अन्य औपचारिकताएं पूरी कर ली गयीं और इसके बाद शव वापस करने के लिए पाकिस्तान की सेना से संपर्क किया गया.

Advertisement

सेना की 80 इन्फेन्ट्री ब्रिगेड के कमांडर ब्रिगेडियर कपिल राणा ने 24 अगस्त को कहा था कि हुसैन ने दो अन्य लोगों के साथ भारतीय सेना की चौकी पर हमले की अपनी साजिश कबूल की थी. हालांकि नौशेरा क्षेत्र में एलओसी पर रोके जाने पर वे लौट गये थे.

ब्रिगेडियर ने कहा, ‘‘ज्यादा पूछताछ पर आतंकवादी ने भारतीय सेना की चौकी पर हमले की अपनी साजिश को कबूल किया था. हुसैन ने खुलासा किया कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के कर्नल यूनुस चौधरी ने उसे भेजा था और 30,000 रुपये (पाकिस्तानी मुद्रा) दिये थे.''

हुसैन ने लंबे समय से आतंकवाद से जुड़े होने की बात कबूल की और बताया कि पाकिस्तानी सेना के मेजर रज्जाक ने उसे प्रशिक्षण दिया है.
 

Featured Video Of The Day
Pope Francis Demise: अगला पोप चुनने के लिए भारत के 4 कार्डिनल्स करेंगे वोट, जानें कौन हैं ये ?