आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के विधायक और प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज (Saurabh Bhardwaj) ने NDTV से कहा है कि जिस ऑक्सीजन रिपोर्ट पर हाय-तौबा मचाई जा रही है, उस पर पैनल के सदस्यों के दस्तखत हैं ही नहीं. उन्होंने कहा कि जब पैनल के सदस्यों ने उस पर हस्ताक्षर किए ही नहीं तो उसे पैनल की रिपोर्ट कैसे माना जा सकता है. सौरभ भारद्वाज ने कहा, "जिस रिपोर्ट को भारतीय जनता पार्टी दिखा रही है, उस रिपोर्ट के लिए जो सदस्य नियुक्त किए गए हैं, जब उनसे हमने आज बात की तो उन्होंने बोला ऐसी कोई रिपोर्ट है ही नहीं. कोई रिपोर्ट अभी तक बनी ही नहीं है."
भारद्वाज ने दावा किया कि वह कह रहे हैं कि अगर कोई रिपोर्ट बनी हो तो दिखाइए कि हमारे साइन उस पर कहां है? भारद्वाज ने कहा, "पैनल में 5 सदस्य हैं लेकिन उस रिपोर्ट पर किसी भी सदस्य का दस्तखत नहीं है. बिना दस्तखत हुए यह रिपोर्ट रिपोर्ट कैसे मानी जाएगी?"
उन्होंने कहा, "अप्रैल और मई के महीने में दिल्ली के लगभग सभी प्राइवेट अस्पताल ट्विटर पर SOS भेज रहे थे, रेडियो पर मदद मांग रहे थे. बड़े-बड़े पत्रकारों से मदद मांग रहे थे. यह सब दस्तावेज आज भी मौजूद हैं कि किसी के पास 1 घंटे की ऑक्सीजन थी तो किसी के पास 3 घंटे की ऑक्सीजन थी. किसी अस्पताल में 2 लोग मर गए, किसी में 15 लोग मर गए. लाइन में लगकर लोग सिलेंडर भरवाने के लिए परेशान थे. यह सिर्फ दिल्ली का हाल नहीं था बल्कि यूपी हरियाणा जैसी जगहों पर भी ऑक्सीजन के लिए मारामारी चल रही थी."
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भारद्वाज ने कहा, "दिल्ली के अंदर मरीज ज्यादा थे, इसलिए दिल्ली में मारामारी भी ज्यादा थी, दिल्ली में दूसरे राज्यों से मरीज़ भी आते हैं. दिल्ली हाईकोर्ट में याचिकाएं लग रही थीं. अस्पताल भी अदालत पहुंच रहे थे, जिनको ऑक्सीजन की जरूरत थी वह अस्पताल पहुंच रहे थे. सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका में लगी हुई थी और वह रोजाना सुनवाई कर रहा था. क्या ऐसा संभव है कि वह सब नकली था?"
आप विधायक ने सवालिया लहजे में पूछा, "क्या यह संभव है कि अरविंद केजरीवाल ने वह सब मैन्युफैक्चर कर दिया था और दिल्ली के अंदर लबालब ऑक्सीजन भरा हुआ था और सब लोग कह रहे थे कि ऑक्सीजन नहीं है? ये मानने योग्य नहीं है."
बता दें कि कोरोना संकट में ऑक्सीजन की किल्लत से जुड़ी उस रिपोर्ट पर सियासी हंगामा मचाहुआ है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा ऑक्सीजन को लेकर गठित उप-समिति ने दिल्ली सरकार पर सवाल उठाए हैं. सुप्रीम कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट में समिति ने कहा है कि 25 अप्रैल से 10 मई तक दूसरी कोविड लहर के चरम के दौरान दिल्ली सरकार ने ऑक्सीजन की मात्रा को जरूरत से चार गुणा अधिक बढ़ाकर बताया था.