'...संघ के एजेंडे में भी नहीं था अयोध्या', ज्ञानवापी विवाद को लेकर RSS प्रमुख मोहन भागवत पर ओवैसी ने साधा निशाना

कहा, "विश्व हिंदू परिषद (आरएसएस का एक संगठन) बनने से पहले, अयोध्या मंदिर संघ के एजेंडे में भी नहीं था. 1989 में ही बीजेपी के पालनपुर प्रस्ताव में कहा गया था कि अयोध्या एजेंडे का हिस्सा बन गया है."

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अखिल भारतीय मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (फाइल फोटो)
हैदराबाद (तेलंगाना):

अखिल भारतीय मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने शुक्रवार को ज्ञानवापी विवाद (Gyanvapi Masjid Controversy) पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) की टिप्पणियों पर जमकर आलोचना की. उन्होंने कहा, "विश्व हिंदू परिषद के गठन से पहले, अयोध्या संघ के एजेंडे में भी नहीं था." एएनआई के साथ वर्चुअल बातचीत में, ओवैसी ने कहा, "ज्ञानवापी पर भागवत के भाषण को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. बाबरी मस्जिद के लिए आंदोलन को याद करें जो ऐतिहासिक कारणों से आवश्यक था. उस समय, आरएसएस ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सम्मान नहीं किया और इसमें भाग लिया. फैसले से पहले मस्जिद को तोड़ा. क्या इसका मतलब यह है कि वे ज्ञानवापी पर भी कुछ ऐसा ही करेंगे?"

पीएमओ से एक स्पष्ट संदेश आना चाहिए

बातचीत के दौरान ओवैसी ने बीजेपी (BJP) प्रमुख जगत प्रकाश नड्डा (JP Nadda) और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की ओर से देश में शांति और सद्भाव सुनिश्चित करने की नसीहत पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा, " इन मुद्दों पर नसीहत देने वाले मोहन या नड्डा कौन हैं? उनके पास कोई संवैधानिक पद नहीं है. प्रधान मंत्री कार्यालय को इस मुद्दे पर और पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के संबंध में एक स्पष्ट संदेश आना चाहिए. उन्होंने संविधान की शपथ ली है. ऐसे में अगर वह इसके साथ खड़े होते हैं, तो इन मुद्दों का निदान हो जाएगा." 

उन्होंने कहा, "विश्व हिंदू परिषद (आरएसएस का एक संगठन) बनने से पहले, अयोध्या मंदिर संघ के एजेंडे में भी नहीं था. 1989 में ही बीजेपी के पालनपुर प्रस्ताव में कहा गया था कि अयोध्या एजेंडे का हिस्सा बन गया है. ऐसा करके आरएसएस ने अपना राजनीतिक दोहरापन साबित किया है. काशी, मथुरा, कुतुब मीनार आदि जैसे मुद्दे को उठाने वाले सभी लोगों का संघ से सीधा संबंध है." ओवैसी ने कहा, "बाबरी मस्जिद आंदोलन के दौरान भी, कुछ लोगों ने कहा कि वे शीर्ष अदालत के आदेशों का पालन करेंगे, जबकि अन्य ने कहा कि यह आस्था का मामला है और अदालत फैसला नहीं कर सकती. आप जानते हैं कि ये लोग कौन हैं."

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मोहन भागवात ने कही थी ये बात

यह कहते हुए कि ज्ञानवापी मस्जिद का एक इतिहास है, जिसे कोई बदल नहीं सकता, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा था कि मस्जिदों में शिवलिंग ढूंढने की कोई जरूरत नहीं है. ये अनावश्यक रूप से विवाद को बढ़ा देता है. आरएसएस के एक प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह के दौरान नागपुर में बोलते हुए भागवत ने कहा कि संघ की राम जन्मभूमि आंदोलन के बाद कोई और आंदोलन शुरू करने में कोई दिलचस्पी नहीं है. 

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