चीन से कोरोना से संबंधित सप्लाई के आयात की कट ऑफ डेट को आगे बढ़ाने का फैसला किया गया है. वित्त मंत्रालय के एक सूत्र ने गुरुवार को NDTV को यह जानकारी दी. यह डेट 31 मार्च को खत्म हो गई थी. सूत्रों ने बताया कि कई राज्यों की ओर से वैक्सीन के लिए वैश्विक टेंडर जारी करने के मद्देनजर केंद्र अब कोरोना से संबंधित सभी मेडिकल सप्लाई और वैक्सीन के लिए वैश्विक निविदाओं (global tender) को मंजूरी दे रहा है. खरीद की कोई सीमा तय नहीं है और यहां तक कि 200 करोड़ से कम की डील की भी इजाजत दी गई है.
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गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच के रिश्ते पिछले वर्ष अप्रैल के बाद तल्ख हुए थे जब चीनी सैनिकों ने लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल का उल्लंघन किया था. कोरोना के प्रकोप के बाद से भारत ने Land Border Agreement को लेकर अपने नियमों में बदलाव किया है. कोरोना से संबंधित मेडिकल सप्लाई के फ्लो को बनाए रखने के लिए ऐसा किया गया है. इसके बाद से दोनों देशों ने मेडिकल उपकरणों को लेकर एक-दूसरे की मदद की है लेकिन वैक्सीन में नहीं.
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मौजूदा वैक्सीन नियम उन वैक्सीन के आपात उपयोग को मंजूरी देते हैं, जिन्हें यूएस, यूके, यूरोप और जापान में ऐसी मंजूरी मिल चुकी है. जॉनसन एंड जॉनसन, फाइजर और मॉडर्ना को भारत में इस तरह के तत्काल उपयोग की मंजूरी के लिए आमंत्रित किया गया है.इन नियमों को अप्रैल में कोरोना की दूसरी लहर के समय संशोधित किया गया था. हालांकि चीन की वैक्सीन को ऐसी मंजूरी को लेकर कोई बात नहीं कही गई है.अमेरिका की ओर से भारत को उपलब्ध कराई गई मेडिकल मदद को लेकर चीन नाखुश है. अमेरिका के की ओर सप्लाई में कथित देरी के बाद चीन की सरकारी एजेंसी ने दावा किया था कि भारत की पश्चिम के साथ नजदीकी कमजोर और सतही (fragile and superficial) है. इस अधिकारी के अनुसार, फाइजर (Pfizer) ने भारत 'आने' से इनकार कर दिया था क्योंकि वे प्रति डोज (Per shot) 35 डॉलर चाहते हैं और हर किसी सरकारी कार्यक्रम के लिए इतनी अधिक राशि नहीं दे सकते. वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि कंपनी को प्राइवेट सेक्टर को सप्लाई करने को कहा गया था लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया.