Pfizer ने कहा, हमारी कोविड वैक्सीन अंतिम विश्लेषण में 95% प्रभावी, जल्द ही करेंगे मंजूरी के लिए आवेदन

फार्मास्युटिकल प्रमुख Pfizer ने बुधवार को कहा कि अंतिम विश्लेषण में COVID-19 वैक्सीन 95% प्रभावी पाई गई और कंपनी का कहना है कि वो एक द‍िन के भीतर ही जरूरी मंजूरी के लिए आवेदन करेगी.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:

फार्मास्युटिकल प्रमुख Pfizer ने बुधवार को कहा कि अंतिम विश्लेषण में COVID-19 वैक्सीन 95% प्रभावी पाई गई और कंपनी का कहना है कि वो एक द‍िन के भीतर ही जरूरी मंजूरी के लिए आवेदन करेगी.

अंतिम विश्लेषण के कुछ दिन पहले फार्मास्युटिकल दवा कंपनी फाइजर ने कहा था कि उसके टीका के विश्लेषण से पता चला है कि यह कोविड-19 को रोकने में 90 प्रतिशत तक कारगर हो सकता है. इससे संकेत मिलता है टीके को लेकर कंपनी का परीक्षण सही चल रहा है. इस वैक्सीन को लेकर अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ने फाइजर को बधाई भी दी थी. 

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अध्ययन के तहत अमेरिका और पांच अन्य देशों में करीब 44,000 लोगों को शामिल किया गया. फाइजर और जर्मनी की उसकी सहायक कंपनी बायोएनटेक भी कोविड-19 से रक्षा के लिए टीका तैयार करने की दौड़ में है. एक और अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना ने भी कहा है कि इस महीने नियामक खाद्य और औषधि प्रशासन के पास आवेदन दाखिल करने की संभावना है.

Pfizer ने कहा कि अध्ययन COVID-19 के 170 पुष्ट मामलों तक पहुंच गया, जिसमें टीके उम्मीदवार BNT162b2 की पहली खुराक के 28 दिन बाद 95 प्रतिशत प्रभावकारिता प्रदर्शित की गई. उन्होंने कहा, "इसके अतिरिक्त, आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण (ईयूए) के लिए यूएस एफडीए (फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) द्वारा आवश्यक सुरक्षा मील का पत्थर हासिल किया गया है. अभी तक, वैक्सीन उम्मीदवार से कोई भी गंभीर चिंता करने की सूचना नहीं मिली है."

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बता दें क‍ि 16 नवंबर को अमेरिका की ही कंपनी Moderna ने घोषणा की थी कि उसकी प्रायोगिक वैक्सीन कोरोना वायरस का खात्मा करने में 94.5 फीसदी असरदार साबित हुई है. मॉडर्ना ने करीब 30 हजार प्रतिभागियों पर क्लीनिकल ट्रायल Clinical Trial) पूरा करने के बाद यह प्रतिक्रिया दी थी. मॉडर्ना के सीईओ स्टीफेन बैंसेल ने कहा था, 'तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के अध्ययन से हमें सकारात्मक नतीजे मिले हैं और हमारी वैक्सीन कई गंभीर बीमारियों के साथ Covid-19 वैक्सीन को रोकने में कारगर साबित हो सकती है.'

भारत कोरोना वायरस के टीके के क्लीनिकल परीक्षण में प्रगति को लेकर अमेरिकी बायोटेक कंपनी मॉडर्ना के साथ संपर्क में है और कंपनी ने कहा है कि इस टीके ने 94.5 प्रतिशत प्रभाव दिखाया है. यह जानकारी आधिकारिक सूत्रों ने दी. मॉडर्ना ने सोमवार को कहा था कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान द्वारा कोविड-19 के खिलाफ टीके- एम आरएनए-1273 के तीसरे चरण के अध्ययन के लिए नियुक्त स्वतंत्र डेटा सुरक्षा निगरानी बोर्ड (डीएसएमबी) ने टीके को 94.5 प्रतिशत प्रभावी पाया है.

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वहीं, जब दुनियाभर में कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए कई संभावित टीके परीक्षण के आखिरी चरण में पहुंच रहे हैं, ऐसे में वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत के लिए वे टीके संभवत: कारगर नहीं होंगे, जिनके भंडारण के लिए बेहद कम तापमान की आवश्यकता है और प्रोटीन आधारित टीका देश के लिए उपयुक्त हो सकता है.

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वैज्ञानिकों ने अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स द्वारा विकसित किए जा रहे संभावित टीके को भारत के लिए सबसे उपयुक्त बताते हुए कहा कि कोविड-19 का सही टीका खरीदने का फैसला कई कारकों पर निर्भर करेगा. यह इस बात पर निर्भर करेगा कि टीका कितना सुरक्षित है, उसकी कीमत क्या है और उसे इस्तेमाल करना कितना सुविधाजनक है.

इससे वे तीन संभावित टीके संभवत: नकारे जा सकते हैं, जो पिछले कुछ दिन में 90 प्रतिशत से अधिक प्रभावी साबित हुए हैं. फाइजर-बायोएनटेक तीसरे चरण के अंतरिम परिणाम में 90 प्रतिशत, स्पूतनिक पांच 92 प्रतिशत और मोडेरना 94.5 प्रतिशत प्रभावी साबित हुआ है. इन संभावित टीकों के परीक्षणों ने उम्मीद जताई है कि जल्द ही कोरोना वायरस का टीका मिल सकता है.

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इन तीनों में से कोई भी प्रोटीन आधारित नहीं है, लेकिन भारतीय परिस्थितियों के लिए संभवत: अमेरिकी कंपनी मोडेरना सबसे उपयुक्त है, क्योंकि इसके लिए अन्य संभावित टीकों की अपेक्षा उतने कम तापमान की आवश्यकता नहीं है. (इनपुट भाषा से भी)

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