धर्म संस्कृति संगम के राष्ट्रीय महासचिव राजेश लांबा और संगठन की राष्ट्रीय सचिव डॉ विशाखा सैलानी ने राजेंद्र पाल गौतम के मामले पर राष्ट्रपति को पत्र लिखा है. उनके अलावा बौद्ध धर्म से जुड़े 19 प्रमुख लोगों ने पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं. उन्होंने राजेंद्र पाल गौतम के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की मांग की है.
बौद्ध धर्म से जुड़े लोगों ने कहा है कि जो भी हुआ वह भगवान बुद्ध की शिक्षा के विपरीत है. बाबा साहब आंबेडकर का अपमान भी किया गया. दिल्ली सरकार में किसी ने राजेंद्र पाल गौतम के कदम की निंदा नहीं की है.
उन्होंने राष्ट्रपति से दिल्ली के पूर्व वरिष्ठ मंत्री राजेंद्र पाल गौतम के खिलाफ सरकार के लिए समर्थन पाने को जनता को उकसाने और समुदायों के बीच दरार और अशांति पैदा करने के लिए तत्काल कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है.
उन्होंने पत्र में कहा है कि सोशल मीडिया पर सामने आए एक वीडियो से हम काफी परेशान हैं. कुछ दिन पहले एक आस्था के खिलाफ शपथ लेने के दौरान दिल्ली सरकार के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम मौजूद थे. हमारी कई चिंताएं हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जो हुआ है वह पूरी तरह से भगवान बुद्ध की शिक्षाओं और बौद्ध धर्म के सिद्धांतों के खिलाफ है. बुद्ध धर्म किसी दूसरे धर्म के खिलाफ जहर उगलना नहीं सिखाता. बौद्ध धर्म अन्य देवी-देवताओं को "अस्वीकार" या अनादर करने का समर्थन नहीं करता है (जैसा कि उस विशेष वीडियो में कहा जा रहा था).
पत्र में कहा गया है कि भगवान बुद्ध की शिक्षाओं में 'अप्प दीपो भव', 'सर्व धम्म' - सर्व धर्म संभव (सभी धर्मों का सम्मान) की भावना है. सदियों से बौद्ध और हिंदू शांतिपूर्ण सहअस्तित्व में रहे हैं और समृद्ध अंतर-धार्मिक संवाद हुए हैं. महात्मा गांधी भगवान बुद्ध के विचारों से गहराई से प्रभावित थे.