ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर स्वर्ण मंदिर में देशविरोधी नारे के पीछे कौन? समझिए क्यों होता है ऐसा?

Operation Blue Star: ऑपरेशन ब्लू स्टार की 41वीं बरसी पर अमृतसर के स्वर्ण मंदिर परिसर में खालिस्तान के समर्थन में नारेबाजी की गई. यह नारेबाजी एक सांसद की मौजूदगी में हुई. समझिए इसके पीछे की कहानी.

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ऑपरेशन ब्लू स्टार की 41वीं बरसी पर शुक्रवार को अमृतसर में भारी सुरक्षा के बीच समारोह आयोजित हुआ. इस बार अकाल तख्त के कार्यवाहक जत्थेदार कुलदीप सिंह गरगज ने पहली बार समुदाय को सीधा संदेश नहीं दिया, बल्कि उन्होंने अरदास की, जिसमें उन्होंने दावा किया कि संदेश समुदाय को दिया गया. कुछ सिख संगठनों का कहना है कि गरगज की नियुक्ति धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार नहीं हुई, इसलिए वे नहीं चाहते कि वे समुदाय को संदेश दें. इस विवाद से बचने के लिए गरगज ने संदेश देने से परहेज किया. यह शर्त कथित तौर पर दमदमी टकसाल के प्रमुख हरनाम सिंह धुमा ने रखी थी, जो मार्च में गरगज की नियुक्ति का विरोध कर रहे हैं.

अरदास के दौरान गरगज ने भारत और विदेश में सिखों पर निशाना बनाए जाने, सिख होमलैंड की अवधारणा और सिखों के साथ भेदभाव जैसे मुद्दे उठाए. एनडीटीवी से बात करते हुए गरगज ने कहा, “मैंने अरदास में अपना संदेश दे दिया है. मैं सिख समुदाय में किसी के साथ टकराव नहीं चाहता.”

ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर आज स्वर्ण मंदिर में क्या हुआ?

  • खालिस्तान नारे: स्वर्ण मंदिर में अरदास के दौरान कुछ सिख संगठनों ने खालिस्तान के नारे लगाए, क्योंकि भावनाएं बहुत उफान पर थीं. 
  • बंद का आह्वान: ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी के मद्देनजर विभिन्न सिख संगठनों ने अमृतसर में बंद का आह्वान किया था.
  • भारी सुरक्षा: शहर के कोने-कोने में भारी सुरक्षा बल तैनात किए गए थे. स्वर्ण मंदिर के अंदर सादे कपड़ों में भी पुलिसकर्मी तैनात थे ताकि किसी अप्रिय घटना को रोका जा सके.

अकाली दल के सांसद के पहुंचते ही शुरू हुई नारेबाजी

ऑपरेशन ब्लू स्टार की 41वीं बरसी पर अमृतसर के स्वर्ण मंदिर परिसर में खालिस्तान के समर्थन में नारेबाजी की गई. शिरोमणि अकाली दल, अमृतसर के प्रमुख और सांसद सिमरनजीत सिंह मान जैसे ही स्वर्ण मंदिर पहुंचे...उनके समर्थकों ने 'खालिस्तान जिंदाबाद' की नारे शुरू कर दिए.

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जरनैल सिंह भिंडरांवाला और ऑपरेशन ब्लू स्टार की कहानी

दरअसल, पंजाब में अस्सी के दशक में जो उग्रवाद पनपा था, उसकी अगुआई जरनैल सिंह भिंडरांवाला ने की थी. भिंडरांवाला अपनी गतिविधियां अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से चलाता था. तब की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसी भिंडरांवाला के खिलाफ 1 जून 1984 को ऑपरेशन ब्लू स्टार शुरू किया था. जिसमें भिंडरांवाला मारा गया था. तभी से हर साल 6 जून को कुछ कट्टरपंथी ताकतें स्वर्ण मंदिर  में जमा होकर ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी मनाती हैं.

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लेकिन सवाल उठता है कि अब खालिस्तान जिंदाबाद के नारे क्यों?

इस मामले में पंजाब के वरिष्ठ पत्रकार जगदीप संधू ने कहा कि जिस तरह से नारे लगाए गए, इनका कोई महत्व पंजाब में बचा नहीं है. या जो सिख दर्शन में कोई महत्व मुझ नहीं लगता कि होगा. पॉलिटिकल नरेटिव को बनाने के लिए इनके समर्थक अवसर का लाभ उठाते हैं, उससे ज्यादा कुछ भी नहीं है.

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पंजाब के मन को समझने वाले पत्रकार की बात माने तो खालिस्तान जिंदाबाद के नारे, एक फर्जी नरेटिव गढ़ने की कोशिश से ज्यादा कुछ भी नहीं हैं. खुद केंद्र सरकार भी कई बार कह चुकी है कि अस्सी का दशक अब इतिहास है.

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ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर अमृतसर में हर साल ये कार्यक्रम आयोजित होता है. जिस तरह से यहां देशविरोधी नारे लगाए गए और सांसद सिमरनजीत सिंह मान की मौजूदगी में लगाए गए, यह चौंकाने वाली बात है. लेकिन यहां आपको सिमरनजीत सिंह मान के बारे में भी जानना चाहिए.

सांसद के नाना ने जनरल डायर को किया था सम्मानित

वरिष्ठ पत्रकार जगदीप संधू ने सांसद सिमरनजीत सिंह मान के बारे में बताया कि उनको पंजाब में खालिस्तान के प्रो खालिस्तानी होने को तवज्जो नहीं दी जाती. उनके नाना ने जनरल डायर को अखाल तख्त साहब पर बुलाया था. ये बात बहुत गैर मानी जाती है. एक ऐसे व्यक्ति जिनसे जलियांवाला बाग कांड हुआ, उसे सांसद सिमरनजीत सिंह मान के नाना ने सम्मानित किया था.