G20 विदेश मंत्रियों की बैठक की शुरुआत करने से पहले तुर्की और सीरिया में हाल ही में आए भूकंपों में जान गंवाने वाले लोगों के लिए एक मिनट का मौन रखा गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ताकतवर देशों के विदेश मंत्रियों को संबोधित करते हुए कहा, "मैं G20 विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए भारत में आपका स्वागत करता हूं. मुझे उम्मीद है कि आज की आपकी बैठक आम और ठोस उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एक साथ आने की भावना को दर्शाएगी. सामान्य हित के मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देंगे."
वैश्विक शासन अपने दोनों जनादेशों में विफल रहा
भारत यूएन और इससे जुड़े संगठनों में सुधार का हिमायती रहा है. भारत का लगातार कहना रहा है कि यूएन को द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद बनाया गया और ये उस समय के हिसाब से बनाई व्यवस्था है. इसे युद्ध रोकने और अंतराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने जैसे दो मकसद के साथ बनाया गया था लेकिन ये व्यवस्था मौजूदा समय की चुनौतियों को नहीं संभाल पा रही. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि चाहे वो वित्तीय संकट हो, जलवायु परिवर्तन हो, महामारी हो, आतंकवाद हो या फिर युद्ध हो... ग्लोबल गवर्नेंस इन सब पर काबू पाने में नाकाम साबित हुआ है. सबसे अहम बात पीएम मोदी ने ये कही कि इस सबका खामियाज़ा आर्थिक रूप से कमज़ोर देशों को भुगतना पड़ रहा है. खाद्य और उर्जा की ज़रुरतें पूरी करने में भारी मुश्किल आ रही है. इसलिए भारत ने ग्लोबल साउथ के देशों के हितों की बात की है.
G20 की ओर देख रही दुनिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम सभी को अपने दृष्टिकोण रखने चाहिए कि इन तनावों को कैसे सुलझाया जाना चाहिए. हमें उनके बारे में भी सोचना चाहिए, जो कमरे में नहीं हैं. कोई भी समूह अपने निर्णयों से सर्वाधिक प्रभावित लोगों की बात सुने बिना वैश्विक नेतृत्व का दावा नहीं कर सकता. यह बैठक गहरे वैश्विक विभाजन के समय में हो रही है. विदेश मंत्रियों के रूप में ये स्वाभाविक है कि आपकी चर्चा भू-राजनीतिक तनावों से प्रभावित होगी. दुनिया विकास, आर्थिक लचीलापन, आपदा लचीलापन, वित्तीय स्थिरता, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, विकास की चुनौतियां को कम करने के लिए G20 की ओर देख रही है. इन सभी में G20 में आम सहमति बनाने और ठोस परिणाम देने की क्षमता है.
बुद्ध तथा महात्मा गांधी का उल्लेख किया
मोदी ने यूक्रेन या अन्य किसी विवादास्पद मुद्दे का जिक्र किए बिना कहा, ‘‘जी-20 में इन सभी क्षेत्रों में आम सहमति बनाने और ठोस परिणाम देने की क्षमता है। हम जिन मुद्दों को हल नहीं कर सकते, उन्हें उन मामलों के संदर्भ में बाधक नहीं बनने देना चाहिए, जिनका समाधान हम निकाल सकते हैं.'' जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक में अपने वीडियो संदेश में प्रधानमंत्री मोदी ने बुद्ध तथा महात्मा गांधी का उल्लेख किया और प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे भारत के सभ्यतागत लोकाचार से प्रेरणा लें ‘‘जो विभाजित करने वाले मुद्दों की बजाय एकजुट करने वाले मुद्दों पर ध्यान देने के लिए प्रेरित करता है.''
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