‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ लोकतंत्र और देश के संघीय ढांचे के लिए खतरा है: माकपा

माकपा ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की अवधारणा को ‘‘लोकतंत्र एवं देश के संघीय ढांचे’’ के लिए खतरा बताते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि यदि केंद्र की भाजपा सरकार संसद में इस मामले पर कोई प्रस्ताव लाती है, तो विपक्ष को मिलकर उसे खारिज कर देना चाहिए.

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माकपा ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की अवधारणा को ‘‘लोकतंत्र एवं देश के संघीय ढांचे’’ के लिए खतरा बताया है
नई दिल्ली:

माकपा ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव' की अवधारणा को ‘‘लोकतंत्र एवं देश के संघीय ढांचे'' के लिए खतरा बताते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि यदि केंद्र की भाजपा सरकार संसद में इस मामले पर कोई प्रस्ताव लाती है, तो विपक्ष को मिलकर उसे खारिज कर देना चाहिए.पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘पीपल्स डेमोक्रेसी' में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव: लोकतंत्र एवं संघीय ढांचे के लिए खतरा' शीर्षक के तहत प्रकाशित संपादकीय में आरोप लगाया कि केंद्र सरकार और भाजपा ‘‘भारत के संविधान और संसदीय लोकतंत्र के आधार पर एक और गंभीर हमला'' करने की योजना बना रही है. पार्टी ने कहा, ‘‘भाजपा ने दिसंबर 2020 के आखिरी सप्ताह में 25 डिजिटल सम्मेलन आयोजित किए, जिनमें ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव' के विचार का प्रचार किया गया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव' की आवश्यकता के बारे में समय-समय पर बात करते रहे हैं. ये सम्मेलन इसी की पृष्ठभूमि में किए गए. प्रधानमंत्री ने हाल ही में संविधान दिवस पर 26 नवंबर को पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में इस संबंध में अपनी बात रखी थी.'' संपादकीय में आरोप लगाया गया है कि इसके पीछे यह विचार है कि लोकतंत्र के लिए बहुत अधिक चुनाव नहीं, बल्कि शासन अहम है. उसने कहा, ‘‘संदेश बिल्कुल साफ है कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव' की अवधारणा ‘एक राष्ट्र, एक नेता' का तार्किक विस्तार ही है.''

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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