मध्यप्रदेश के 19वें मुख्यमंत्री के रूप में डॉक्टर मोहन यादव ने अपना एक माह का कार्यकाल पूर्ण कर लिया है. शुरुआती 30 दिनों में सीएम डॉ यादव ने जिस मजबूत इच्छाशक्ति के साथ जनता के हितों को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा है, उससे पूरे राज्य में एक सकारात्मक संदेश गया है कि यह सरकार जनता की सेवा के लिए है. यह सरकार जनभावनाओं के अनुरूप विकास के पथ पर आगे बढ़ेगी.
खास बात यह है कि डॉ मोहन यादव द्वारा अब तक लिए गए तमाम निर्णयों में प्रदेश की लंबित कई समस्याओं के निदान की चिंता भी दिखाई पड़ती है. नए मुख्यमंत्री ने प्रदेश की समस्याओं के निदान के लिए जैसी संजीदगी दिखाई है, उसकी दूसरी मिसाल देखने को नहीं मिलती.
मुख्यमंत्री की शपथ लेने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव का पहला फैसला मध्यप्रदेश में धार्मिक स्थानों पर जोर से लाउड स्पीकर बजाने और खुले में मांस और अंडे की बिक्री पर सख्ती से रोक का रहा. इस फैसले का सभी ने स्वागत किया. प्रदेश के धार्मिक स्थलों में लगाए गए कानफोड़ू लाउड स्पीकर लंबे समय से आम जनता की परेशानी का सबब बन गए थे. चूंकि यह मामला धार्मिक था, इसलिए इसके खिलाफ कोई कुछ नहीं कर पाता था, लेकिन मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने एक झटके में इस पर एक्शन लेकर अपने मजबूत इरादों को पहले दिन ही जता दिया. यही नहीं, खुले में मांस से लेकर अंडा बेचने पर भी उन्होंने रोक लगा दी.
विपक्षी दलों ने इस आदेश में भाजपा और उसके अनुषांगिक संगठनों का साम्प्रदायिक एजेंडा देखा और इसे मुसलमानों के खिलाफ बताने की भी कोशिश की, लेकिन प्रदेश की आम जनता ने इसका स्वागत ही किया, क्योंकि यह नियम प्रदेश के सभी धार्मिक स्थलों के लिए समान रूप से लागू किया गया था. स्वास्थ्य की दृष्टि से भी इस फैसले को देखें, तो खुल में मांस को बिक्री सेहत के लिए हानिकारक है. यही वजह रही कि जनता की तरफ से इस फैसले की सराहना हुई.
मोहन सरकार ने ध्वनि प्रदूषण के मामलों की जांच के लिए एक फ्लाइंग स्क्वॉड भी गठित किया, जो निर्धारित सीमा से अधिक ध्वनि प्रदूषण की शिकायत मिलने पर क्षेत्र में जाकर सीधे कार्रवाई कर रहा है. साथ ही धार्मिक स्थलों पर ध्वनि प्रदूषण की हर हफ्ते समीक्षा भी प्रदेश में शुरू की गई है, जिसका जमीनी असर दिखने लगा है.
मोहन सरकार का एक अहम फैसला राज्य में विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद भोपाल में एक भाजपा कार्यकर्ता पर हमला कर उसकी कलाई काटने के आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाने का था. अल्पसंख्यक समुदाय के आरोपियों के घर बुलडोजर चलवाकर मुख्यमंत्री ने यह संदेश दिया कि अपराध नियंत्रण के मामलों में किसी भी तरह की कोताही प्रदेश में अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी. आरोपी को हर कीमत पर सबक सिखाया जाएगा.
प्रदेश में इससे पहले मां, बहन और बेटियों के खिलाफ अत्याचार करने वाले आरोपियों के घर बुलडोजर चला करते थे, लेकिन मोहन सरकार ने एक माह के भीतर अवैध जगहों पर बुलडोजर चलाने का फैसला लेकर अपराधियों के मन में खौफ पैदा किया है. अपराधियों के नेटवर्क को तोड़ने और प्रदेश में आपराधिक गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए सरकार ने अपराधियों की जमानत निरस्त करने का भी बड़ा फैसला किया है.
बीआरटीएस कॉरिडोर खत्ममोहन सरकार का एक और बड़ा फैसला प्रदेश की राजधानी भोपाल में हमेशा सुर्खियों में रहने वाले बीआरटीएस (बस रैपिड ट्रासंपोर्ट सिस्टम) के खात्मे का रहा. भोपाल में निर्मित बीआरटीएस शुरू से विवादों में रहा. 13 वर्ष पहले शिवराज सरकार के कार्यकाल में बना यह बीआरटीएस 360 करोड़ रुपये खर्च के बाद भी सफल नहीं रहा. राजधानी के यातायात को सुगम बनाने के लिए इसे लाया गया था, लेकिन आए दिन लगने वाले जाम से ट्रैफिक व्यवस्था बेपटरी सी रही. शिवराज सरकार के साथ ही कमलनाथ सरकार भी इस मामले पर कोई एक्शन नहीं ले सकी, लेकिन मोहन सरकार ने ठोस निर्णय लेकर अपने भविष्य के एक्शन प्लान को बता दिया.
नौकरशाही पर सीधी नकेलमोहन सरकार ने नौकरशाही पर नकेल कसते हुए पारदर्शी प्रशासन और जीरो टॉलरेंस नीति के माध्यम से सुशासन का संदेश दिया है. मुख्यमंत्री ने इस दौरान सभी को यह संदेश दिया है कि जनता को किसी भी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए और जनता की समस्याएं अधिकारी तत्परता के साथ सुलझाने की कोशिश करें. मोहन सरकार ने एसीएस, एडीजी अधिकारियों को अपने कार्यालयों से बाहर निकलकर जमीन पर जाने के आदेश से प्रशासनिक गलियारों में हलचल मचाई है.
सीएम डॉ मोहन यादव ने गुना बस हादसे के लिए पूरी नौकरशाही को जिम्मेदार मानते हुए कलेक्टर पर एक्शन लेने के साथ ही अधिकारियों को सस्पेंड कर अपने बुलंद इरादे सभी के सामने जता दिए हैं. गुना में एक निजी बस और डंपर की टक्कर के बाद हुई जांच में सामने आया कि दोनों वाहनों का अवैध तरीके से संचालन किया जा रहा था. इसके बाद मुख्यमंत्री ने गुना जिले के कलेक्टर, एसपी के साथ-साथ ट्रांसपोर्ट कमिश्नर और प्रमुख सचिव परिवहन को भी पद से हटाकर समूची नौकरशाही को कड़क लहजे में अपना संदेश दिया. प्रदेश के किसी सड़क हादसे में सरकार द्वारा अब तक की गई यह सबसे बड़ी कार्रवाई थी.
जिलों, तहसीलों और थानों की सीमा का पुनर्निधारणप्रदेश में जन समस्याओं से जुड़ा एक मुद्दा जिलों, तहसीलों और थानों की सीमा के पुनर्निधारण का है, जिसके लिए एक कमेटी बनाने का फैसला मोहन सरकार ने किया है. इसकी शुरुआत पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इंदौर संभाग से की जाएगी. राज्य में कई तहसीलों और थानों की भौगोलिक सीमाएं ऐसी हैं जो स्थानीय नागरिकों की पहुंच से सरकार और प्रशासन की खाई को चौड़ा करती है. मोहन सरकार ने अपने दूरदर्शी फैसले से इसे पाटने की कोशिश की है. मोहन सरकार ने इस विषय में पहल कर जनता को प्रशासन के करीब लाने की दिशा में अपने कदम तेजी से आगे बढ़ा दिए हैं.
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने उच्च शिक्षा में गुणवत्ता के उद्देश्य से हर जिले में प्रधानमंत्री एक्सीलेंस कॉलेज खोलने का निर्णय भी लिया है. यही नहीं सरकार उच्च शिक्षा में प्रदेश के सभी सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों में डिजीलॉकर सिस्टम लाकर छात्र-छात्राओं की समास्याओं के निवारण हेतु गंभीर दिखी है. जमीनों के फर्जीवाड़े को रोकने की दिशा में रजिस्ट्री के साथ अब नामांतरण की प्रक्रिया भी शुरू होने जा रही है.
नए साल में देशभर में ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल से आम जनता को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा. मोहन सरकार ने इसे देखते हुए ट्रांसपोर्टरों से सीधे बातचीत करने का फैसला किया, जिसमें प्रशासन ने बड़ी भूमिका निभाई. ट्रांसपोर्टरों के साथ बातचीत में जब शाजापुर के जिलाधिकारी ने एक ड्राइवर को औकात बताने की नसीहत दी, तो मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने संवेदनशीलता को मिसाल पेश करते हुए जिलाधिकारी को पद से हटाने में देरी नहीं की. इससे मुख्यमंत्री ने यह संदेश देने की कोशिश की कि उनकी नई सरकार में ड्राइवर का भी महत्व है. आम जनता के साथ जो अफसर बद्तमीजी करेगा, उनकी सरकार में यह बर्दाश्त नहीं होगा. सरकार का मतलब जनता की सरकार है और अधिकारी को जनता का सम्मान भी करना होगा .
संवेदनशील मुखिया का ऐसा भरोसा जनता में भी नई आशा को जगाता है. डॉ मोहन यादव का स्वभाव ऐसा है कि वह जनता की समस्याओं के प्रति हर पल बेहद संवेदनशील रहते हैं. जनता की सेवा के लिए वह देर रात में भी औचक निरीक्षण करने से भी परहेज नहीं करते. जनता को किसी भी तरह का कष्ट न हो, इसके लिए उनकी मुस्तैदी देखते ही बनती है. वह खुद गरीबी में पले हैं और जनता के कष्टों को अपना कष्ट समझते हैं. इसके साथ ही उनकी संवेदना इसमें जुड़ जाती है. साथ ही सामाजिक सहभागिता के अवसर भी जुटाते हैं.
कुल मिलाकर मोहन सरकार ने अपने एक माह के कार्यकाल में कई साहसिक फैसलों के द्वारा जनता के दिल में विशेष छाप छोड़ने में सफलता पाई है.