रक्षाबंधन पर्व पर बाबा महाकाल को लगा सवा लाख लड्डुओं का भोग, हुआ विशेष श्रंगार

मंगलवार से ही मंदिर में पुजारी कक्ष के पीछे लड्डू बनाना शुरू हो गया था. 60 डिब्बे देसी घी और 40 क्विंटल बेसन से 4 दिन में हुए तैयार लडडू प्रसाद भोग के लिए दिए गए.

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  • उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती के साथ बाबा महाकाल को राखी बांधकर त्योहार की शुरुआत की जाती है
  • भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार किया गया और सवा लाख देशी घी के लड्डुओं का भोग लगाया गया
  • लड्डू बनाने की तैयारी चार दिनों से चल रही थी जिसमें 60 डिब्बे देसी घी और 40 क्विंटल बेसन का उपयोग किया गया
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मध्य प्रदेश के उज्जैन में किसी भी पर्व की शुरुआत विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर से होती है. यही वजह है कि शनिवार को रक्षाबंधन के दिन तड़के भस्म आरती में बाबा महाकाल को राखी बांधने के साथ ही त्यौहार की शुरुआत हुई. इस दौरान बाबा का विशेष श्रृंगार किया गया और बाबा को सवा लाख लड्डू का भोग भी लगाया गया. महाकाल मंदिर में शनिवार तड़के 3 बजे भस्म आरती के लिए पट खोले गए. इसके बाद पंचामृत से अभिषेक किया गया.

भस्म आरती के दौरान ही बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार किया गया. परंपरा के अनुसार पुजारी परिवार द्वारा बनाई आकर्षक राखी बाबा महाकाल को अर्पित की गई. साथ ही पुजारियों द्वारा चार दिन में बनाए शुद्ध देशी घी के सवा लाख लड्डुओं का भोग लगाया गया. इसके बाद लड्डू भोग प्रसाद के रूप में सभी भक्तजनों में बांट दिए गए.

मखमल के कपड़े पर राखी

पुजारियों के अनुसार किसी भी पर्व की शुरुआत महाकाल के दरबार से होने की परंपरा पुरानी है. इसी के चलते रक्षाबंधन के लिए पुजारी परिवार की महिलाएं मखमल के कपड़े और रेशम के धागे से सजाकर आकर्षक राखी बनती है. वहीं, रक्षाबंधन पर नंदीहॉल और गर्भ गृह को फूलों से विशेष रूप से सजाया गया. इसके बाद वो राखी बाबा को अर्पित कर पर्व की शुरुआत की गई.

4 दिन लगे लड्डू बनाने में

बाबा महाकाल को राखी बांधने बाद भस्मारती के दौरान सवा लाख लड्डुओं का महाभोग लगाया गया. इसकी तैयारी पिछले चार दिनों से चल रही थी. मंगलवार से ही मंदिर में पुजारी कक्ष के पीछे लड्डू बनाना शुरू हो गया था. 60 डिब्बे देसी घी और 40 क्विंटल बेसन से 4 दिन में हुए तैयार लडडू प्रसाद भोग के लिए दिए गए.

बड़े गणपति के लिए विदेश से राखी

महाकाल मंदिर के समीप स्थित प्रसिद्ध बड़े गणपति का मंदिर है. यहां की विशेषताओं की वजह से देश-विदेश की कई महिलाएं अपना बड़ा भाई मानती हैं. यही वजह है कि कई देशों से उनके लिए आकर्षक राखी भेजी जाती है. पुजारी गणपति को संबंधित महिलाओं के नाम से राखी बांधकर पूजा पाठ करते हैं. पुजारी के अनुसार जिन महिलाओं के भाई नहीं होते वो गणेश जी को भाई मानकर रक्षा का वचन लेती हैं.

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