भारत सरकार महाराष्ट्र के पश्चिम तट पर मेगा ऑयल रिफाइनरी प्रोजेक्ट बनना चाहती है. 2015 में ही ऐलान किया गया था कि रत्नागिरी में इसका निर्माण किया जाएगा. पहले ये प्रोजेक्ट रत्नागिरी के नाणार में बनने वाला था, लेकिन शिवसेना और स्थानीय लोगों के विरोध की वजह से इस प्रोजेक्ट को उस वक़्त ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था. लेकिन ठाकरे सरकार जब सत्ता में आई, तो इस प्रोजेक्ट को नाणार के बजाय बारसू-सोलगांव में बनाने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा. नई सरकार के गठन के बाद एक बार फिर इस प्रोजेक्ट के शुरू होने की हलचल तेज हुई. लेकिन अब बारसू गांव की साइट पर स्थानीय लोगों ने इस प्रोजेक्ट का विरोध शुरू कर दिया है. लोगों को डर है कि इस प्रोजेक्ट की वजह से यहां का वातवरण और पानी दूषित हो जाएगा.
पवार ने सावंत को दी जल्दबाजी न करने की सलाह
इस मुद्दे पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने सरकार को सलाह दी थी कि वो स्थानीय लोगों से बातचीत के माध्यम से इस मुद्दे का हल निकालें. अब महाराष्ट्र सरकार के मंत्री उदय सावंत इस मुद्दे पर चर्चा के लिए शरद पवार के घर उनसे मिलने पहुंचे. मुलाक़ात के बाद शरद पवार ने कहा कि सरकार द्वारा विरोध प्रदर्शन करने वालों पर बल प्रयोग को लेकर उनसे चर्चा हुई. पवार ने सावंत को इस मुद्दे पर जल्दबाजी नहीं करने की सलाह दी. शरद पवार ने इस मुलाकात के बारे में कहा, "उदय सामंत से कल रिफायनरी मुद्दे पर हुए बल प्रयोग पर चर्चा हुई. पुलिस बल के प्रयोग पर उन्होंने कहा कि सभी को घर छोड़ दिया गया है. दूसरी बात कि अभी सॉइल टेस्टिंग का काम चल रहा है. सरकार की इच्छा है कि प्रोजेक्ट होना चाहिए. मैंने उन्हें कहा है कि जल्दबाजी मत कीजिए. स्थानीय लोगों से बात कीजिए. सरकार बैठकर सोचे और फिर निर्णय ले. उन्होंने कहा कि कल ही प्रशासन मीटिंग लेगा.
हमने कभी भी उद्योग और इंडस्ट्री का विरोध नहीं किया- संजय राउत
इसके पहले मंगलवार को संजय राउत ने भी NDTV के साथ बातचीत में इस प्रोजेक्ट को लेकर बातचीत से हल निकालने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि महाराष्ट्र में हमने कभी भी उद्योग और इंडस्ट्री का विरोध नहीं किया. महाराष्ट्र इंडस्ट्री का बहुत बड़ा हब है. मुंबई के आस-पास पूरे शहरों में पूरे इंडस्ट्री लगे हुए हैं. कोकण ऐसा इलाका है जहां आम का उत्पादन होता है. फिशिंग का उत्पादन होता है. इस प्रकार की रिफाइनरी आने से, वहां प्रदूषण से जो आम का उत्पादन है. वहां का जो फिशनमैन समाज है, उनके ऊपर बहुत बड़ा संकट आता है. ये स्थानीय लोगों का विरोध है. ये कोई पॉलिटिकल पार्टी का विरोध नहीं है. कोकण को भारी नुकसान होगा. इसलिए वहां के लोग विरोध करते हैं, ये लोगों का विरोध है.