दिल्ली की एक अदालत ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के कोलोकेशन के मामले में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की पूर्व एमडी और सीईओ चित्रा रामकृष्ण (Chitra Ramakrishna) को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया. हालांकि अदालत ने सीबीआई को फटकार लगाते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि पिछले चार साल से घोटाले से फायदा उठाने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. विशेष जज ने आरोपी और सीबीआई की ओर से पेश वकीलों की दलीलें सुनने के बाद अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने पाया कि आरोपी गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं और जांच एकदम शुरुआती चरण में है. उन्होंने बाजार नियामक सेबी की भी खिंचाई करते हुए कहा कि वह आरोपियों के साथ बेहद दयालु और उदार रही. अदालत ने कहा कि आर्थिक अपराधों में गहरी साजिश की गई है, जिससे सरकारी धन का भारी नुकसान हुआ है. जमानत के मामले को एक अलग रुख के साथ देखने की जरूरत है, क्योंकि आर्थिक अपराध की गहरी जड़ें हैं, जिनमें सार्वजनिक धन की भारी हानि शामिल है.
NSE ने घोटाले की जांच के बीच एमडी और सीईओ पदों के लिए आवेदन मांगे
अदालत ने आगे कहा कि आरोपियों के न्याय से भागने की आशंका बहुत कम है, हालांकि पूर्व में एनएसई में अहम स्थिति में होने के कारण इस बात की प्रबल आशंका है कि वह सबूतों को प्रभावित कर सकती हैं, क्योंकि कोलोकेशन स्कैम के तहत जिनकी भूमिका की जांच की जा रही है, वह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की संयुक्त एमडी और सीईओ थीं.
उन्होंने कहा, मामले के सभी तथ्यों और हालात को ध्यान में रखते हुए और आवेदक / आरोपी के खिलाफ गंभीर आरोपों को देखते हुए, इस स्तर पर अग्रिम जमानत का कोई आधार नहीं बनता है. याचिका खारिज की जाती है. सीबीआई ने हाल ही में इस मामले में रामकृष्ण से पूछताछ की थी. आयकर विभाग ने पहले मुंबई और चेन्नई में चित्रा रामकृष्ण से जुड़े विभिन्न परिसरों पर छापा मारा था. रामकृष्ण बाजार नियामक सेबी की जांच के घेरे में भी हैं.