मुंबई इंटरनेशनल लिटरेरी फेस्टिवल के संस्थापक और पत्रकार-लेखक अनिल धारकर का देहांत

पांच दशक से भी अधिक लंबे करियर में वह स्तंभकार और लेखक के रूप में सक्रिय रहे तथा फिल्म सेंसर बोर्ड की सलाहकार समिति के सदस्य समेत कई अन्य पदों पर रहे. धारकर कई प्रकाशनों के संपादक भी रहे जिनमें 'देबोनायर', 'मिड-डे' और 'संडे मिड-डे', 'द इंडीपेंडेंट' और 'द इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया' शामिल हैं.

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अनिल धारकर हर साल नवंबर में आयोजित होने वाले मुंबई अंतरराष्ट्रीय साहित्य महोत्सव के संस्थापक और निदेशक थे.
मुंबई:

मशहूर पत्रकार, लेखक और मुंबई इंटरनेशनल लिटरेरी फेस्टिवल के संस्थापक अनिल धारकर (Anil Dharker) का शुक्रवार (26 मार्च) को मुंबई में निधन हो गया. वह 74 वर्ष के थे. वह हर साल नवंबर में आयोजित होने वाले मुंबई अंतरराष्ट्रीय साहित्य महोत्सव के संस्थापक और निदेशक थे तथा साथ ही लिटरेचर लाइव के संस्थापक एवं निदेशक भी थे जो शहर में साल भर साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित करता है. धारकर के पूर्व सहकर्मी ने बताया कि उनकी बृहस्पतिवार को मुंबई के एक अस्पताल में बाइपास सर्जरी हुई थी.

पांच दशक से भी अधिक लंबे करियर में वह स्तंभकार और लेखक के रूप में सक्रिय रहे तथा फिल्म सेंसर बोर्ड की सलाहकार समिति के सदस्य समेत कई अन्य पदों पर रहे. धारकर कई प्रकाशनों के संपादक भी रहे जिनमें 'देबोनायर', 'मिड-डे' और 'संडे मिड-डे', 'द इंडीपेंडेंट' और 'द इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया' शामिल हैं. वह 'द इंडियन एक्सप्रेस' अखबार में स्तंभकार रहे और उन्होंने महात्मा गांधी के दांडी मार्च पर किताब ‘द रोमांस ऑफ सॉल्ट' भी लिखी थी.

धारकर ने टीवी धारावाहिक के प्रोड्यूसर और एंकर के तौर पर भी काम किया था और एक समाचार टेलीविजन चैनल का भी नेतृत्व किया था. धारकर के निधन पर शोक जताते हुए स्तंभकार बच्ची करकरिया ने ट्वीट किया, ‘‘बहुमुखी प्रतिभा के धनी अनिल धारकर के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ. उन्हें 50 वर्षों से जानती थी. प्रिय अनिल जहां भी रहे उतने ही फलें-फूलें.''

धारकर को श्रद्धांजलि देते हुए लेखक और स्तंभकार शोभा डे ने ट्वीट किया, ‘‘अलविदा प्रिय अनिल. एक कुशाग्र बुद्धि वाले आधुनिक लेखक और एक सच्चे मित्र. वे सभी लोग आपको याद करेंगे जिनकी जिंदगियों पर आपने असर डाला. आपकी आत्मा को शांति मिले.''

गीतकार और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के चेयरमैन प्रसून जोशी ने ट्वीट किया, ‘‘अनिल धारकर के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ. जिंदगी के बारे में हमारे बीच जो चर्चा होती थी उसे याद करूंगा. वह एक प्रेरक सोच वाले, साहित्य एवं कला को संवारने वाले शख्स थे.'' (भाषा इनपुट्स के साथ)

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