"बिहार और अपनी पार्टी संभल नहीं रही, बनना चाहते हैं प्रधानमंत्री" भाजपा का नीतीश कुमार पर तंज

नीतीश कुमार ने कांग्रेस से अपील की है कि वो विपक्षी एकता को लेकर जल्द से जल्द फ़ैसला लें. नीतीश कुमार ने कहा, "मैंने अपना संदेश कांग्रेस को भिजवाया है. ये एक अच्छी भारत जोड़ो यात्रा थी, लेकिन ये सोचना होगा कि आगे क्या?

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नीतीश बाबू आप तो ऐसे नहीं थे. देवगौड़ा बनना चाहते हैं?
नई दिल्‍ली:

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा कांग्रेस को दिए गए विपक्षी एकता के संदेश पर बीजेपी सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने निशाना साधा है. रविशंकर प्रसाद ने कहा कि नीतीश कुमार को क्या हो गया है, वो बिहार और अपनी पार्टी को संभाल नहीं पा रहे हैं. कांग्रेस भी उन्हें लिफ़्ट नहीं दे रही है. रविशंकर प्रसाद ने नीतीश कुमार से पूछा कि आप पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा या इंद्र कुमार गुजराल जैसा बनना चाहते हैं? लेकिन उन्हें ये दिखाई नहीं दे रहा कि देश मोदी की नेतृत्व में कैसे आगे बढ़ रहा है. 

रविशंकर प्रसाद ने कहा, "बिहार तो संभाल नहीं रहा, वहां के लोग परेशान हैं, उनकी पार्टी में भगदड़ मची हुई है और चले हैं देश को जोड़ने के लिए. वो ये बात नहीं समझते हैं कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अगवाई में भारत दुनिया की बड़ी ताकत बन गया है." 

उन्‍होंने कहा किअब ये वही देवगौड़ा और गुजराल की कहानी, नीतीश बाबू आप तो ऐसे नहीं थे. देवगौड़ा बनना चाहते हैं? इंद्र गुजराल बनना चाहते हैं? उसमें 5 से 6 महीने से ज्यादा नहीं चलता है. सवाल है कि नीतीश बाबू फंस गए हैं, लालू-तेजस्वी के चक्कर में. गए थे प्रधानमंत्री का सपना लेकर, उधर से भाव ही नहीं मिल रहा है. इस पर हम क्या बोलें.

बता दें कि नीतीश कुमार ने कांग्रेस से अपील की है कि वो विपक्षी एकता को लेकर जल्द से जल्द फ़ैसला लें. नीतीश कुमार ने कहा, "मैंने अपना संदेश कांग्रेस को भिजवाया है. ये एक अच्छी भारत जोड़ो यात्रा थी, लेकिन ये सोचना होगा कि आगे क्या? तुरंत निर्णय लें, और हम सब को बुलाएं, मिलकर चुनाव लड़ने पर फ़ैसला करें. 

इस पर कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि हम नीतीश जी के बयान का स्वागत करते हैं. उन्होंने माना की भारत जोड़ो यात्रा का प्रभाव ना केवल कांग्रेस, बल्कि पूरे देश में हुआ. कांग्रेस एकलौती पार्टी जिसनेभाजपा से समझौता नहीं किया. कई ऐसी विपक्षी पार्टी हैं, जो मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ बैठक में शामिल होती हैं, लेकिन काम सत्ता पक्ष के समर्थन में करती हैं. 

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