क्या सिजेरियन के बाद नॉर्मल डिलीवरी कराई जा सकती है, ये मां बनने वाली महिलाओं के बीच एक बड़े सवाल की तरह था. लेकिन अब इसका जवाब मिला गया है. C section के इस दौर में सुनने में अचरज लगे कि सिजेरियन के बाद नॉर्मल डिलीवरी। पर ये मुमकिन है. इसको VBAC कहते हैं (Vaginal Birth After Cesarean). स्तुति जैन का पहला बच्चा सिजेरियन से है जबकि दूसरी बार नॉर्मल डिलीवरी से बेटा आया है. स्तुति अंबाला में स्कूल चलाती हैं जबकि पति पुलकित जैन CA हैं. पुलकित बताते हैं कि BVAC को लेकर दिल्ली के सीताराम भारतिया हॉस्पिटल की जानकारी उनकी पत्नी को पता चली और फिर अंबाला से दिल्ली आ गए.
कहानी यहीं नहीं थमती. दिल्ली के वसंत कुंज की आकांक्षा लाल जून में तीसरी बार मां बनी हैं. 2017 में बिटिया आई ऑपरेशन से. फिर दो बार VBAC यानी नॉर्मल डिलीवरी. आकांक्षा कहती हैं कि डिलीवरी के वक्त उनके पति को अस्पताल ने उनके पास रहने की इजाज़त दी. दर्द का अहसास बंट गया. जनवरी 2024 में बेटी आई और फिर इस साल जून में बेटा हुआ. आकांक्षा MNC में डायरेक्टर मार्केटिंग हैं.
दक्षिणी दिल्ली के सीताराम भारतिया इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड रिसर्च की ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर प्रीति अरोड़ा धमीजा कहती हैं कि VBAC की जगह TOLAC यानी ट्रायल ऑफ लेबर आफ्टर सिजेरियन कहना ज्यादा ठीक है और इसमें सीताराम भारतिया का ट्रैक रिकॉर्ड 80% का है. जो पहली बार डिलीवरी के लिए आते हैं उनका 87% का नॉर्मल डिलीवरी रेट है. बेहतर खाना, व्यायाम और इन सबसे ज़्यादा मरीज़ का मोटिवेशन बेहतर परिणाम देता है.
सिजेरियन के बाद आखिर कैसे नॉर्मल डिलीवरी
इसको लेकर डॉक्टर अलग अलग मानदंडों पर मरीज़ को देखते हैं.पहले बच्चे में सिजेरियन की ज़रूरत क्यों पड़ी थी.सिजेरियन और दूसरे बेबी की प्लानिंग में पर्याप्त गैप हो. सीजेरियन की तमाम फाइंडिंग्स स्टडी करते हैं. मसलन, चीरा कितना बड़ा है, सर्जरी के बाद कॉम्प्लिकेशन तो नहीं हुआ था, इन्फेक्शन तो नहीं हुआ था. बच्चे का वज़न और बच्चे की डिलीवरी में कोई कॉम्प्लिकेशन यानी जटिलता तो नहीं.
सीताराम भारतिया इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड रिसर्च की ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर राखी कहती हैं कि कई महिलाएं असहनीय pain के डर में सिजेरियन के लिए जाती हैं जबकि अब पेन रिलीफ इंजेक्शन मौजूद हैं. साथ ही शोध बताता है कि नॉर्मल डिलीवरी के वक्त पार्टनर, मां या कोई करीबी पास है.