भारत के साथ कोई भी गंभीर संघर्ष चीन की वैश्विक आंकाक्षा के लिए उपयुक्त नहीं है: वायुसेना प्रमुख

वायुसेना प्रमुख आर के एस भदौरिया ने मंगलवार को कहा कि भारत के साथ कोई भी गंभीर संघर्ष चीन की वैश्विक आकांक्षाओं एवं ‘‘बड़ी योजनाओं’’ के लिए उपयुक्त नहीं है

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वायुसेना प्रमुख आर के एस भदौरिया (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

वायुसेना प्रमुख आर के एस भदौरिया ने मंगलवार को कहा कि भारत के साथ कोई भी गंभीर संघर्ष चीन की वैश्विक आकांक्षाओं एवं ‘‘बड़ी योजनाओं'' के लिए उपयुक्त नहीं है और लद्दाख टकराव ‘‘सैन्य प्रभुत्व वाले दुस्साहस' समेत विभिन्न कारणों का परिणाम हो सकता है और इससे स्थिति बिगड़ी ही है.एअर चीफ मार्शल भदौरिया ने एक ऑनलाइन सेमिनार में अपने संबोधन में कहा कि चीन ने पूर्वी लद्दाख में सीमा टकराव के मद्देनजर अपनी सेना के सहयोग के लिए रडारों, सतह से हवा में एवं सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें एवं अन्य वायु आयुध भारी संख्या में तैनात किये .

उन्होंने कहा कि लेकिन भारत ने भी स्थिति से निपटने के हर (जरूरी) कदम उठाये. उन्होंने कहा कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) अमेरिका के वैश्विक वर्चस्व का मुकाबला करने के लिए क्षमताएं विकसित करने में लगी है जिसका भारत पर सुरक्षा प्रभाव हो सकता है. सेमिनार का आयोजन थिंक टैंक विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन ने किया. भदौरिया ने कहा कि चीन के लिए पूर्वी लद्दाख में सीमा टकराव पैदा करने की कई वजह हो सकती हैं जिनमें नयी स्थिति से भारत के साथ बातचीत के लिए युद्ध जैसे परिदृश्य में अपने सैन्य ढांचे एवं प्रौद्योगिकी का तालमेल कायम करने का प्रयास शामिल हो सकता है.

उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी के लिए महत्वपूर्ण सवाल यह है कि कोई भी बड़ा भारत-चीन संघर्ष चीन के लिए अच्छा नहीं है. यदि चीन की आकांक्षाएं वैश्विक हैं तो यह उसकी बड़ी योजनाओं के लिए ठीक नहीं है. तब उत्तर में चीन की कार्रवाइयों का संभावित उद्देश्य क्या हो सकता है. यह समझना महत्वपूर्ण है.'' उन्होंने कहा, ‘‘ क्या यह सामान्य सैन्य संकेत था, क्या यह स्थिति बिगाड़ने के पर्याप्त नियंत्रण के साथ क्षेत्र में वर्चस्व की कोशिश थी... क्या यह उनकी पश्चिमी कमान के लिए युद्ध जैसी असल स्थिति में तैनाती एवं प्रशिक्षण था... क्या यह सैन्य प्रौद्योगिकियों की कमी का पता लगाकर उन्हें दूर करने की कवायद थी.'' उन्होंने कहा कि किसी भी स्थिति में जो कुछ हुआ, वह इन चीजों से ऊपर था, भले ही उसके शुरूआती उद्देश्य कुछ भी रहे हों. उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में चीन की कार्रवाई पूरी तरह ‘‘सैन्य प्रभाव वाला दुस्साहस'' भी हो सकता है जो कोविड-19 के बाद उसके समक्ष पैदा हुए विश्वास के संकट का परिणाम हो सकता है. उन्होंने कहा कि भारत कई बार अपने क्षेत्रों एवं संप्रभुता का उल्लंघन करने की दुश्मन की निरंतर कोशिशों को विफल करता रहा है.

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वायुसेना प्रमुख ने कहा कि पाकिस्तान चीन की नीति में प्यादा बन गया है और चीन पर भविष्य में उनकी निर्भरता बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैन्य बलों के हटने के बाद चीन के लिए पाकिस्तान के रास्ते इस क्षेत्र में अपना वर्चस्व बढ़ाने का द्वार खुल गया है. वायुसेना प्रमुख ने कहा कि पाकिस्तान चीन की नीति का प्यादा बन गया है. उन्होंने ने यह भी कहा कि वायुसेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है. 

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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