"लुंगी या नाइटी पहनकर न घूमें...": नोएडा की हाउसिंग सोसाइटी ने अजीबोगरीब ड्रेस कोड किया लागू

सोसायटी के आरडब्ल्यूए ने निवासियों से आग्रह किया है कि वे आम क्षेत्रों और पार्कों में अपने पहनावे का ध्यान रखें. आरडब्ल्यूए द्वारा 10 जून को जारी नोटिस में कहा गया है कि निवासी 'लुंगी और नाइटी' पहनकर अपने फ्लैट से बाहर न निकलें.

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सोसायटी के नोटिस की कुछ लोगों सराहना कर रहे हैं, तो कुछ इसकी आलोचना
नोएडा:

ग्रेटर नोएडा वेस्ट के हिम सागर अपार्टमेंट की रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) ने नया नियम बनाया है. इस नए नियम के मुताबिक, सोसाइटी में लुंगी और नाइटी पहनकर घूमना मना है. हिम सागर सोसाइटी की आरडब्लूए का ये फरमान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. ग्रेटर नोएडा में पी चार में हिम सागर अपार्टमेंट सोसाइटी स्थित है, जिसमें करीब 300 परिवार रहते हैं. 

सोसायटी के आरडब्ल्यूए ने निवासियों से आग्रह किया है कि वे आम क्षेत्रों और पार्कों में अपने पहनावे का ध्यान रखें. आरडब्ल्यूए द्वारा 10 जून को जारी नोटिस में कहा गया है कि निवासी 'लुंगी और नाइटी' पहनकर अपने फ्लैट से बाहर न निकलें. सोसायटी ने ये नोटिस 'ड्रेस कोड' शीर्षक के साथ जारी किया, जिसके बाद लोग इसे लेकर सोशल मीडिया पर काफी कमेंट कर रहे हैं. 

नोटिस में कहा गया है, "हमारा सभी हिम सागर वासियों से अनुरोध है कि आप सभी कोपरेटिव सोसायटी के माननीय सदस्‍य हैं. आप सभी से अपेक्षा की जाती है कि जब कभी आप सोसायटी में विचरण किसी भी समय करें, तो अपने आचरण और पहनावे का विशेष ध्‍यान रखें ताकि आपके व्‍यवहार से किसी को आपत्ति करने का मौका न मिले. आपके बालक / बालिकाएं भी आपसे सीखते हैं. अत: सभी से अनुरोध है कि लुंगी और नाइटी, जो कि घर का पहनावा है, इन्‍हें पहनकर विचरण न करें. 
आपका सहयोग करने के लिए धन्‍यवाद."

सोसायटी के नोटिस की कुछ लोगों सराहना कर रहे हैं, तो कुछ इसकी आलोचना. एक सोशल मीडिया यूजर ने लिखा, "सार्वजनिक जगहों पर चलने के लिए नाइटी और लुंगी थोड़ी अनुपयुक्त हैं, यह आजकल की पुरानी सोच है, लेकिन कुछ ड्रेसिंग प्रोटोकॉल का पालन करना पड़ता है."

एक अन्य यूजर ने लिखा, "मुझे खेद है, लेकिन यह ठीक नहीं है. उन्हें कार्टून प्रिंटेड बॉक्सर शॉर्ट्स और नाइट सूट पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत थी."

तीसरे उपयोगकर्ता ने लिखा, "खाप पंचायत की तरह काम करने वाली आरडब्ल्यूए का एक और उदाहरण." चौथे यूजर ने लिखा, "क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में सार्टोरियल(पहनावे) एक्सप्रेशन शामिल नहीं है?"

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