"कोई अपराध नहीं पाया गया": नीरा राडिया टेप बातचीत मामले में सुप्रीम कोर्ट में CBI

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, "‘हम अवकाश के बाद इसे लेंगे क्योंकि अगले सप्ताह संविधान पीठ बैठ रही है.  इस बीच सीबीआई, स्‍टेटस रिपोर्ट पेश कर सकती है.’’

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सीबीआई की यह रिपोर्ट कारोबारी रतन टाटा की एक याचिका के जवाब में पेश की गई
नई दिल्‍ली:

केंद्रीय जांच ब्‍यूरो (CBI) ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि नेताओं, कारोबारियों और सरकारी अफसरों सहित अन्य लोगों के साथ जनसंपर्क पेशेवर (Public relations professional)नीरा राडिया की टेप बातचीत की 14 जांच के बाद भी "कोई मामला नहीं बनता." सीबीआई की यह रिपोर्ट कारोबारी रतन टाटा की एक याचिका के जवाब में पेश की गई थी जो इस बात की जांच चाहते थे कि  2008-09 में सरकार द्वारा मूल रूप से टैक्स चोरी के संदेह में फोन पर इंटरसेप्‍ट की गई बातचीत को कैसे लीक किया गया? निजता के अधिकार की रक्षा का अनुरोध करते हुए उनकी ओर से 2011 में यह याचिका दाखिल की गई थी. इस साल लिस्‍टेड होन से पहले इसे आखिरी बार 2014 में सुना गया था. उधर, नीरा राडिया के लॉबिंग कारोबार में एक बड़ा मुद्दा देख रहे एनजीओ, सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) ने अपनी याचिका में मांग की है कि इन रिकॉर्डिंग्‍स को सावर्जनिक किया जाए और इसकी जांच की जाए.

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, "‘हम अवकाश के बाद इसे लेंगे क्योंकि अगले सप्ताह संविधान पीठ बैठ रही है.  इस बीच सीबीआई, स्‍टेटस रिपोर्ट पेश कर सकती है.''मामले की अगली सुनवाई 12 अक्टूबर को होगी. केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एश्वर्य भाटी ने कहा कि शीर्ष अदालत की ओर से निजता के अधिकार के संबंध में दिए गए फैसले के आलोक में याचिका का निपटारा किया जाए. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) के एस पुट्टास्वामी मामले में अपने आदेश में कहा था कि निजता संविधान संरक्षित अधिकार है।

भाटी ने कहा, ‘‘ मुझे आपको सूचित करना है कि सीबीआई को न्यायाधीशों ने सभी बातचीत की जांच करने के निर्देश दिए थे. 14 प्रारंभिक मामले दर्ज किए गए और सील बंद लिफाफे में रिपोर्ट आपके समक्ष पेश की गई, उनमें कोई अपराध नहीं पाया गया. साथ ही अब तो फोन टैप करने के दिशानिर्देश भी हैं.''टाटा की ओर से पेश वकील ने सुनवाई शुरू होने के साथ ही स्थगन की मांग की, वहीं भाटी ने कहा कि निजता पर फैसले के बाद कुछ नहीं बचता. याचिकाकर्ता के वकील ने शीर्ष कोर्ट को सूचित किया कि गैर सरकारी संगठन ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन' (सीपीआईएल) ने भी एक याचिका दाखिल की है, जिसमें कहा गया है कि इन टेप की बातचीत को व्यापक जनहित में सार्वजनिक किया जाए. सीपीआईएल की ओर से जिरह अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने की. (भाषा से भी इनपुट)

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