मेडिकल कॉलेजों में अब फैकल्टी के खाली पदों पर 30% तक गैर-चिकित्सक शिक्षकों की होगी भर्ती, NMC ने जारी किया आदेश

देश में तेजी से मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन योग्य शिक्षकों की संख्या उतनी तेजी से नहीं बढ़ पाई है. एनाटॉमी और माइक्रोबायोलॉजी जैसे विषयों में शिक्षकों की भारी कमी पहले से चिन्हित थी. ऐसे में इस फैसले के बाद मेडिकल कॉलेजों को नए MBBS कोर्स शुरू करने और पुराने को सुचारु रखने में मदद मिलेगी.

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  • राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग ने मेडिकल कॉलेजों में गैर-चिकित्सक शिक्षकों के कोटे को पंद्रह प्रतिशत से बढ़ाकर तीस प्रतिशत कर दिया है.
  • यह बदलाव उन विभागों में लागू होगा जहां एमबीबीएस या एमडी योग्य शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं, जैसे एनाटॉमी और फिजियोलॉजी.
  • नए आदेश के तहत माइक्रोबायोलॉजी और फार्माकोलॉजी विभागों को भी शामिल किया गया है, जहां गैर-चिकित्सक शिक्षक नियुक्त किए जा सकेंगे.
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राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (NMC) ने देश में शिक्षकों की कमी को देखते हुए मेडिकल कॉलेजों में गैर-चिकित्सक शिक्षकों के कोटे को 15% से बढ़ाकर 30% कर दिया है. यह फैसला उन विभागों में लागू होगा, जहां एमबीबीएस या एमडी योग्य शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं. एनएमसी ने बीते दो जुलाई को इस संशोधन को अधिसूचित भी कर दिया है.

किन विभागों में लागू होगा बदलाव? 

राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग के फैसले के असर मेडिकल कॉलेजों के एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी और फार्माकोलॉजी बिभाग पर लागू होगा, अभी तक एनाटॉमी, फिजियोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री विभाग में ही अधिकतम 15 फीसदी पदों पर गैर चिकित्सक शिक्षकों की नियुक्ति की जा सकती थी. लेकिन एनएमसी के नए आदेश के बाद न सिर्फ कोटा बढ़कर 30 फीसदी तक पहुंचा है, बल्कि इसमें दो और विभाग माइक्रोबायोलॉजी और फार्माकोलॉजी को भी शामिल किया गया है. अब इन पांच विभागों में जरूरत पड़ने पर 30 प्रतिशत तक पदों पर गैर-चिकित्सक शिक्षक नियुक्त किए जा सकेंगे. हालांकि, यह केवल शिक्षक न मिलने की स्थिति में ही किया जाएगा और नियुक्त शिक्षकों के पास संबंधित विषय में मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से पीएचडी या उपयुक्त डिग्री होनी चाहिए. 

NMC ने क्यों उठाया कदम?

देश में तेजी से मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन योग्य शिक्षकों की संख्या उतनी तेजी से नहीं बढ़ पाई है. एनाटॉमी और माइक्रोबायोलॉजी जैसे विषयों में शिक्षकों की भारी कमी पहले से चिन्हित थी. ऐसे में इस फैसले के बाद मेडिकल कॉलेजों को नए MBBS कोर्स शुरू करने और पुराने को सुचारु रखने में मदद मिलेगी.

आदेश पर उठ रहे हैं सवाल

राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (NMC) के फैसले को लेकर मेडिकल शिक्षकों और संगठनों में मिली-जुली प्रतिक्रिया है. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि गैर-चिकित्सक शिक्षक छात्रों को क्लीनिकल दृष्टिकोण ठीक से नहीं दे पाएंगे, खासकर एनाटॉमी और फिजियोलॉजी जैसे मूल विषयों में. हालांकि, गैर-चिकित्सक शिक्षकों का पक्ष है कि अगर उनके पास विषय की गहरी विशेषज्ञता है और उन्हें शिक्षण पद्धति का ठीक प्रशिक्षण मिले, तो वे भी प्रभावी ढंग से पढ़ा सकते हैं. कुल मिलाकर देखें तो NMC का यह फैसला मेडिकल शिक्षा क्षेत्र के लिए एक बड़ा प्रशासनिक बदलाव है. इससे शिक्षक की कमी से जूझ रहे मेडिकल कॉलेजों को राहत मिलेगी, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखना अब मेडिकल कॉलेजों के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी बन गया है.
 

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