राष्ट्रपति चुनाव के लिए अधिसूचना जारी हो चुकी है. इसके बाद जेडीयू के अंदरखाने से पार्टी सुप्रीमो और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राष्ट्रपति पद के लिए उपयुक्त बताने की आवाजें आने लगी थीं, लेकिन अब उनके ही मंत्री ने नीतीश का नाम ये कहते हुए वापस ले लिया कि उन्हें 2025 तक बिहार की जनता की सेवा का मौका मिला हुआ है वही करेंगे. अचानक ऐसा क्या हुआ कि पहले तो उनकी ही पार्टी से राष्ट्रपति पद के लिए उन्हें दावेदार के तौर पर दिखाया जा रहा था, लेकिन अब उनका नाम वापस ले लिया है. वैसे इस मामले पर भाजपा के मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने व्यंग्य किया कि लाखों लोग इसके लिए योग्य हैं, लेकिन ये भाजपा का सामूहिक निर्णय होगा. कहीं यहां दबाव की राजनीति या यूं कहें कि जेडीयू और नीतीश कुमार को साफ साफ तो नहीं दिख गया कि राष्ट्रपति चुनाव में कूदकर कहीं उन्हें लाभ हो ना हो नुकसान ना उठाना पड़ जाए.
दरअसल, नीतीश के करीबी और उनकी कैबिनेट में वरिष्ठ मंत्री श्रवण कुमार ने भी कहा था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार में राष्ट्रपति बनने की सारी काबिलियत है. उनको इस पद पर बैठने का फायदा श्रवण कुमार के अनुसार पूरे देश को मिलेगा, हालांकि श्रवण कुमार का कहना है कि ना तो नीतीश कुमार ने दावेदारी की है और ना ही उनकी कोई इच्छा है, लेकिन निश्चित रूप से निजी तौर पर इस बयान पर राजनीतिक टिप्पणियों का दौर शुरू हो गया था.
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वहीं भाजपा के नेताओं का कहना है कि उम्मीदवार कौन होगा ये फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा करेंगे. एनडीए के घटक दल के रूप में नाम का ऐलान होने के पूर्व उनसे विचारविमर्श की औपचारिकता जरूर निभाएंगे, लेकिन वो चाहे राष्ट्रपति हों या उपराष्ट्रपति आखिरकार वो कोई भाजपा का ही होगा.
वहीं इस राष्ट्रपति पद के लिए नीतीश कुमार के नाम के चर्चा पर भाजपा के मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने व्यंग्य किया कि लाखों लोग इसके लिए योग्य हैं, लेकिन ये भाजपा का सामूहिक निर्णय होगा.
इन नेताओं के अनुसार- भाजपा क्यों ये मौक़ा और ऐसे महत्वपूर्ण पद पर नीतीश कुमार जैसे राजनीतिक रूप से सबसे कमजोर और विश्वास के पैमाने पर निचले पायदान के व्यक्ति को देकर जोखिम उठाएंगे, हालांकि शुरुआती प्रतिक्रिया में राष्ट्रीय जनता दल ने माना है कि बिहार का कोई व्यक्ति अगर राष्ट्रपति होता है तो ये खुशी की बात होगी. वहीं कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि ये एनडीए का अंदरूनी मामला है, इसलिए उनके पास प्रतिक्रिया देने की कोई बात नहीं, लेकिन जनता दल यूनाइटेड के नेता कहते हैं कि अब श्रवण कुमार के बयान के बाद पार्टी के अंदर से इस विषय पर अधिक बयानबाज़ी नहीं होगी, क्योंकि भाजपा द्वारा खारिज किया जाना स्वाभाविक है और उसके बाद मीडिया में गठबंधन में दरार जैसी खबरें चलना शुरू हो जाती हैं.
भाजपा नेताओं के अनुसार-निजी बातचीत में नीतीश के करीबी मंत्री उनकी उपराष्ट्रपति बनने की उनकी दिली इच्छा का जिक्र जरूर करते हैं. नीतीश को मालूम है कि वो प्रधानमंत्री बन नहीं सकते और अगर उपराष्ट्रपति पद के लिए भाजपा उन पर मेहरबान हो जाए, जिसकी संभावना फिलहाल कम दिखती है तो उनके अगले पांच साल अच्छे से राजनीतिक रूप से गुजर सकते हैं.नीतीश को मालूम है कि वो प्रधानमंत्री बन नहीं सकते और अगर उपराष्ट्रपति पद के लिए भाजपा उन पर मेहरबान हो जाए, जिसकी संभावना फिलहाल कम दिखती है तो उनके अगले पांच साल अच्छे से राजनीतिक रूप से गुजर सकते हैं.