पीएम मोदी ने राजधानी दिल्ली में चल रही नीति आयोग की बैठक की अध्यक्षता की. नीति आयोग ने इसकी गवर्निंग काउंसिल की बैठक के दौरान नागरिकों से "विकसित भारत" के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में काम करने के लिए कहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक भारत को वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीवीआर सुब्रमण्यम ने कहा कि पीएम मोदी ने अपने संबोधन के दौरान इस बात पर जोर दिया कि चुकि इस बैठक की थीम विकसित भारत है, इसलिए सिर्फ राष्ट्रीय स्तर के लिए ही विजन तय किया जाए ये जरूरी नहीं है. अगर हमें इस लक्ष्य को हासिल करना है तो हमें राज्य और जिला स्तर के लिए भी सोचना होगा.
उन्होंने कहा कि अगर आप बैठक में शामिल नहीं होते हैं तो आप चर्चा से और समृद्ध सोच से चूक जाते हैं. ऐसा नहीं है कि हम किसी का बहिष्कार करेंगे, हम मिलकर काम करेंगे. भारत सरकार नीतियां बनाती हैं और ऐसा नहीं है कि जो राज्य शामिल नहीं हुए वे छूट जाएंगे लेकिन नुकसान उनका है जो ऐसी बैठकों में भाग नहीं लेते.
गौरतलब है कि इस बैठक में कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के नहीं पहुंचने को लेकर बीजेपी ने कड़ा ऐतराज जताया. पार्टी की तरफ से वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि जो मुख्यमंत्री नीति आयोग की बैठक में गैर हाजिर रहे हैं वो "गैर-जिम्मेदार" और "जनता विरोधी" हैं. नीति आयोग की इस बैठक में पीएम मोदी 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य, कौशल विकास, महिला सशक्तिकरण और बुनियादी ढांचे के विकास से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की.
बैठक के लिए 100 से ज्यादा मुद्दे तक किए गए
रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि नीति आयोग की बैठक देश के विकास के लिए बेहद जरूरी है. इस बैठक में देश के विकास के लिए ऑब्जेक्टिव्स, फ्रेमवर्क और रोड मैप तैयार किया जाता है. नीति आयोग की आठवीं बैठक के लिए 100 से ज्यादा मुद्दे तक किए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद भी 11 राज्यों के मुख्यमंत्री इस बैठक में नहीं आए.
सीएम केजरीवाल, भगवंत मान और ममता नहीं आईं
बता दें कि जिन मुख्यमंत्रियों ने इस बैठक से दूरी बनाई है उनमें खास तौर पर अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान और ममता बनर्जी शामिल हैं. रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जिस बैठक में 100 से ज्यादा मुद्दों पर चर्चा होनी हो, उस बैठक में ये मुख्यमंत्री क्यों नहीं आए. अगर इतनी बड़ी संख्या में मुख्यमंत्री इतनी बैठक से दूर रहेंगे तो वो अपने राज्य के लोगों की बात को केंद्र तक कैसे पहुंचा पाएंगे.
ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण, गैर-जिम्मेदाराना और आम जनता के खिलाफ है. ये लोग पीएम मोदी के विरोध में आखिर कहां तक जाएंगे. आपको (सीएम जो बैठक में नहीं आए) पीएम मोदी के विरोध करने के कई मौके मिलेंगे लेकिन इस वजह से अपने राज्य की जनता का नुकसान क्यों कर रहे हैं.