आम बजट पेश करने के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने NDTV के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया से बजट की गई घोषणाओं को लेकर खास बातचीत की. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने NDTV को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा कि दुनिया में हम सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था हैं. NDTV के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया को दिए इंटरव्यू में वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी 2020 से ही जो लोग ईमानदारी से टैक्स देते थे, उनके लिए काम कर रहे थे. हम टैक्स पेयर को सर्टिफिकेट भी भेजते थे. हम ये सब शुरुआत से करते आ रहे हैं. टैक्स पेयर्स का सम्मान पीएम के मन में है. इस समय जब दुनिया की तुलना में तेजी से बढ़ती अर्थव्यस्था रह रहे हैं. हम अगले साल भी तेजी से बढ़ती अर्थव्यस्था रहेंगे. क्या हम टैक्स पेयर्स के सम्मान करने के लिए काम कर सकते हैं? इसे मूल में रखकर हमने काम किया है. इसी का परिणाम है 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं.
भारत रूलिंग इकोनॉमी कैसे बनेगी, विकसित भारत के लिए ये जो ग्रोथ रेट देगा, वो 8% से अधिक देगा क्या?
वित्त मंत्री ने कहा, '8 प्रतिशत देगा, ये तो हम सभी उम्मीद कर सकते हैं. मैं देख रही हूं कि अगले 20-25 साल के लिए भारत का फंडामेंटल ठीक है.... माइक्रो इकोनॉमिक फंडामेंटल्स. इसको और मजबूत करने के लिए हमें कदम उठाने चाहिए. इस दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमें पहले से ही गाइडेंस देते रहे हैं. उन्होंने हमसे कहा था कि इस साल के बजट में फंडामेंटल्स स्ट्रॉन्ग करने के लिए अच्छे से तैयारी कीजिए. एक बात और प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि मध्यम वर्ग का कर दाता, जो हमें पूरी ईमानदारी से टैक्स देता है, उनके लिए हमें कुछ करना है, तो हमें ऐसा क्या करना चाहिए? कुछ वर्कआउट करके आओ... ये शुरुआत से उनकी गाइडेंस थी.'
क्या ये कहा जाए कि मोदी सरकार का फोकस शुरुआत से, सबसे गरीब, दलित और पिछड़ों पर ज्यादा रहा है, ग्रामीण क्षेत्रों पर अधिक रहा, इस बीच मिडिल क्लास की कहीं न कहीं अनदेखी हो गई, जो भारत का कोर है... तो इस बजट में मिडिल क्लास को तवज्जो देने की कोशिश की गई है?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया, 'मैं स्पष्ट करना चाहती हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2020 से ही ईमानदार करदाताओं का सम्मान करते रहे हैं. टैक्स पेयर्स चार्टर्स हम लेकर आए. रेगुलर और समय पर टैक्स पेयर्स को हम सर्टिफिकेट भी भेजते थे. मोदी सरकार में करदाताओं का सम्मान हमेशा होता रहा है. हम दुनियाभर में तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में सबसे आगे है. आईएमएफ वर्ल्ड बैंक के अनुमान के मुताबिक, अगले साल भी हम इसी रफ्तार से आगे बढ़ने वाले हैं. ऐसे में क्या हम टैक्स पेयर्स को सम्मान देने का कोई काम कर नहीं सकते हैं? इस बात को ध्यान में रखकर हमने काम किया और ये टैक्स प्रपोजल हम लेकर आए हैं.'
लोगों में इस बात को लेकर उत्सुकता है कि आखिर 12 लाख रुपये के नंबर तक कैसे पहुंचा गया?
वित्त मंत्री ने कहा, 'इस सवाल के जवाब पर मुस्कुराते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया, 'मिडिल क्लास में ये चर्चा बहुत होती है कि आखिर उन्हें क्या मिला. हमार फोकस हर बार हर क्षेत्र के लोगों पर रहता है. इस बार हमने यह देखा कि कम से कम एक लाख रुपये कमाने वालों के लाइफ स्टाइल कैसा हैं? ये लोग कैसे रहते हैं... कैसा लाइफ स्टाइल मेंटेन करते हैं? ये सब देखने के बाद हम इस निर्णय पर पहुंचे कि हर महीने 1 लाख रुपये कमाने वालों को छूट दी जाए.'
क्या अप्रोच के कोई बदलाव है, अभी तक इंफ्रास्ट्रक्चर लेडग्रोथ की तरफ सरकार का कोर फोकस था, लेकिन अब क्या कंजेक्शन लेड ग्रोथ देख रहे हैं... इसीलिए कैपेक्स (पूंजीगत व्यय) पर मामूली इंक्रिमेंट है?
उन्होंने बताया, 'कैपेक्स में मामूली... जब कोविड के समय हर साल 15-20 प्रतिशत इंक्रिमेंटल नंबर एड करते हुए ग्रोथ इन पब्लिक एक्सपेंडिचर ऑन कैपिटल एसेट्स इतनी दूर तक हम ले आए कि पिछले साल तक 11.11 लाख करोड़ का एनाउंसमेंट किये. इसके ऊपर जब हम इस साल 10 परसेंट से ज्यादा की बढ़ोतरी कर रहे हैं, तो यह 11.20 लाख करोड़ पहुंच जाएगा, क्या ये मामूली है? नहीं, ये बिल्कुल मामूली नहीं है. पब्लिक एक्सपेंडिचर ऑन कैपिटल एसेट्स पर हम लगातार उतना ही खर्च कर रहे हैं, इसे कम नहीं किया गया है. राज्यों को भी 50 साल के लिए ब्याज मुक्त कैपिटल एक्पेंडिचर का पैसा, तो ये कम नहीं है. लेकिन आपने जो पूछा कि कंजेक्शन पर फोकस कर रहे हैं क्या? तो हम कंजेक्शन को भी ग्रोथ के एक इंस्टूमेंट के तौर पर लेकर चल रहे हैं. एक ट्रिगर के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, इससे फायदा होगा, ऐसा हम मानकर चल रहे हैं.'
लोग जानना चाहते हैं कि अगर 1 लाख करोड़ रुपये खर्चे में शिफ्ट होता है, तो क्या जो हमारी ग्रोथ की जरूरत है... विकसित भारत का जो लक्ष्य है, उसके लिए ये क्या पर्याप्त है?
वित्त मंत्री ने कहा, 'अगर हमारे जैसे विकासशील देश इसमें और ज्यादा से खर्च करना, तेजी से खर्च करना... आंकड़ा इतना तक पहुंचना, तो कोई भी बोल सकता है कि इससे ज्यादा होना चाहिए. लेकिन सबका एक लिमिट भी है. हम अपने संसाधनों का भी ध्यान रखते हुए, किसी पर भार न बढ़ाते हुए अर्थव्यवस्था को आगे लेकर चलना है. एक और डेटा मैं आपको अंदाजन बताना चाहती हूं कि हमने इस बार 4.3 प्रतिशत तक जीडीपी के तुलना करने में कैपिटल एक्सपेंडिचर पर खर्च कर रहे हैं. आने वाले साल का अनुमानित फिस्कल डेफिसिट (राजकोषीय घाटा) क्या मानकर चल रहे हैं... 4.4%, जो हमारे ग्लाड पाथ के तहत 5% के नीचे पहुंचना है, उसके लिए हमने ये बोल दिया. उससे हमें क्या समझ में आ रहा है कि जीडीपी का 4.3 प्रतिशत हम कैपिटल एक्सपेंडिचर पर खर्च कर रहे हैं. फिस्कल डेफिसिट 4.4% अनुमानित है. इसका मलतब है कि हम उधार ले रहे हैं, जो सीधा अच्छे कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए जा रहा है. पीएम मोदी के सीएम से लेकर पीएम तक के अनुभव को देखिए, कि कोई समाज कल्याण की योजना को हम बंद नहीं कर रहे हैं, उधर करदाताओं को सम्मानित करने के लिए बड़ा कदम उठाया गया है. ये डेटा बहुत महत्वपूर्ण है.'
ये सवाल उठ रहे हैं कि मोदी सरकार हर बार काफी सामाजिक कल्याण योजनाएं लाती है, लेकिन इस बजट ऐसा ज्यादा देखने को नहीं मिला है.
वित्त मंत्री सीतारमण ने बताया, 'देखिए, जुलाई में जो अंतरिम बजट पेश किया गया था, उसमें सामाजिक कल्याण की कई योजनाएं लाई गई थीं. अब इसके सिर्फ 6 महीने बाद पूर्ण बजट आया है. अब हम विकसित भारत की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. फंडामेंटल्स को मजबूत करने की दिखा में काम कर रहे हैं. AI के क्षेत्र में दुनियाभर के देश आगे बढ़ रहे हैं, भारत उसके लिए कैसे सक्षम होगा? इसके लिए युवा कैसे ट्रैनिंग पाएंगे, इस क्षेत्र में हम और कितना इंवेस्ट कर सकते हैं, उसके ऊपर ध्यान दिया गया है. प्राइवेट सेक्टर में रिसर्च एंड डेवलेपमेंट पर ध्यान दिया गया है. रिसर्च सपोर्ट के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा गया था जुलाई के बजट में. इस बजट में भी इसे लेकर और प्रस्ताव रखे गए हैं. हेल्थकेयर सेक्टर में डेकेयर सेंटर दे रहे हैं हर जिले में. इसके अलावा मेडिकल सीट्स को बढ़ा रहे हैं. हम शिक्षा और पोषण के हर स्तर पर खर्च कर रहे हैं. इसलिए आप 20-25 साल के लिए कुल मिलाकर हमारा नजरिया देखते, तो वो फंडामेंटल्स को मजबूत करने के लिए है. इस बजट में शिक्षा, पोषण, डिजिटल बुक्स का वितरण, AI निर्माण करने वाले स्किल्स हो, इन सब क्षेत्रों के लिए देते हुए, दूसरी तरफ शिप बिल्डिंग में भी काम हो रहा है. भारत के आज के हालात में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल आयात करो या अपने कंटेनर्स ढूंढ लो.. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आज कंटेनर्स की बड़ी समस्या है. शिप का बड़ा प्रॉब्लम है. भारत में शिप बिल्डिंग कैपेसिटी होने के बावजूद हम उस क्षेत्र में ज्यादा आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं. अगर हमारे पास बड़े कंटेनर्स होते, तो हमारी ट्रेड पॉलिसी में कितना काम आएगा. इसलिए फंडामेंटल को मजबूत करते हुए विकसित भारत की दिशा में बढ़ रहे हैं. अब अगर आप अपने बच्चे की पढ़ाई के लिए विदेश में पैसे भेजना चाहते हैं, तो उसके ऊपर हमने TDS पूरी तरह से खत्म कर दिया है. वहीं, एमएसएमई से जुड़े लोग उत्पादन बढ़ाने के लिए विदेश से कच्चा माल लाना चाहते हैं, तो उसके लिए ड्यूटी को कम कर दिया है. इसलिए मेरा मानना है कि बजट में बैलेंस करने की कोशिश की गई है.
इंपोर्ट ड्यूटी घटने की टाइमिंग बहुत इंट्रेस्टिंग है, अब टेस्ला कारें और हार्ले डेविडसन बाइक्स पर सस्ती होंगी. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ बढ़ाने की बात बार-बार कर रहे हैं, तो क्या कहा जाए कि ये भारत, अमेरिका को संकेत दे रहा है?
भारत इस समय अपने अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, आत्मनिर्भर भारत की नीति को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहा है. हम अगले 25 सालों के लिए अपने फंडामेंटल मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं. साथ ही हमारी कोशिश है कि हमारे एमएसएमई को सस्ते में कच्चा माल मिले. क्रिटिकल मिनिरल्स, जो हमारे देश में नहीं हैं, उसको लेकर आएं, इसके लिए कस्टम ड्यूटी में बदलाव किया है. इस दौरान हमने नंबर ऑफ ड्यूटिस को कम किया है, जिन-जिन पर है, उनको भी कम किया, जिससे हमारा उत्पादन बढ़ेगा.