- यमन में हत्या के दोषी निमिषा प्रिया की मौत की सजा को "पलट" दिया गया है और "पूरी तरह से" रद्द कर दिया गया है.
- भारतीय ग्रैंड मुफ्ती, कंथापुरम एपी अबुबक्कर मुसलियार के ऑफिस ने निमिषा को मिले जीवनदान की यह जानकारी दी.
- निमिषा प्रिया को जून 2018 में एक यमनी नागरिक की हत्या का दोषी ठहराए जाने के बाद फांसी की सजा सुनाई गई थी.
यमन में हत्या के दोषी भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की मौत की सजा को "पलट" दिया गया है और इसे "पूरी तरह से" रद्द कर दिया गया है, भारतीय ग्रैंड मुफ्ती, कंथापुरम एपी अबुबक्कर मुसलियार के ऑफिस ने सोमवार को यह जानकारी दी. न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रैंड मुफ्ती के ऑफिस द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, यह निर्णय यमन की राजधानी सना में आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद लिया गया. यहां निमिषा की मौत की सजा को पूरी तरह से रद्द करने का निर्णय लिया गया, जिसे पहले अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया था.
ग्रैंड मुफ्ती के ऑफिस द्वारा जारी बयान में कहा गया है, "निमिषा प्रिया की मौत की सजा, जिसे पहले निलंबित कर दिया गया था, अब पलट दी गई है. सना में आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में मौत की सजा को पूरी तरह से रद्द करने का फैसला किया गया, जिसे पहले अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया था."
केरल की 37 वर्षीय भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को जून 2018 में एक यमनी नागरिक की हत्या का दोषी ठहराए जाने के बाद 16 जुलाई 2025 को फांसी दी जानी थी. इस फैसले को यमन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने नवंबर 2023 में बरकरार रखा था. हालांकि, भारत सरकार के "सम्मिलित प्रयासों" के बाद, उनकी फांसी स्थगित कर दी गई.
इससे पहले 17 जुलाई को, विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा था कि वह निमिषा प्रिया को सपोर्ट देने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है और मामले में हर संभव सहायता प्रदान कर रहा है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि विदेश मंत्रालय ने यमन में जटिल कानूनी प्रक्रिया को सुलझाने में प्रिया के परिवार की सहायता के लिए एक वकील नियुक्त किया था. इसमें शरिया कानून के तहत दया या माफी के विकल्प तलाशना शामिल है.
फांसी की सजा तक कैसे पहुंच गई थी निमिषा?
मूल रूप से केरल के पलक्कड़ जिले के कोल्लेनगोडे की रहने वाली निमिषा प्रिया अपने दिहाड़ी कमाने वाले माता-पिता को सपोर्ट करने के लिए अपने पति और बेटी के साथ 2008 में यमन चली गई. लेकिन पति और बेटी वित्तीय कारणों से 2014 में भारत लौट आए. उसी वर्ष, यमन गृहयुद्ध की चपेट में आ गया और वे वापस नहीं जा सके क्योंकि देश ने नए वीजा जारी करना बंद कर दिया था. निमिषा ने अलग-अलग अस्पतालों में काम करने के बाद उसने पार्टनरशिप में अपना क्लिनिक खोलना चाहा.
2015 में, निमिषा ने सना में अपना क्लिनिक स्थापित करने के लिए एक यमनी नागरिक, तलाल अब्दो मेहदी से हाथ मिलाया. यमन में केवल वहीं के नागरिकों को क्लीनिक और व्यावसायिक फर्म स्थापित करने की अनुमति है. निमिषा की मां प्रिया द्वारा दायर याचिका में कहा गया था, "कुछ समय बाद, निमिषा का क्लिनिक शुरू हुआ, लेकिन मेहदी ने क्लिनिक के स्वामित्व वाले कागजातों में हेरफेर किया. उसने सभी को यह बताकर मासिक कमाई से पैसे निकालना शुरू कर दिया कि निमिषा उसकी पत्नी है. निमिषा ने आरोप लगाया था कि मेहदी उसे और उसके परिवार को सालों से परेशान कर रहा था. मेहदी ने उसका पासपोर्ट भी अपने पास रख लिया और यह सुनिश्चित किया कि वह यमन नहीं छोड़ेगी. उसने ड्रग्स के प्रभाव में उसे प्रताड़ित किया. उसने कई बार बंदूक की नोक पर उसे धमकी दी. उसने क्लिनिक से सारे पैसे और उसके गहनों को ले लिया."
यातना से निपटने में असमर्थ निमिषा ने सना में पुलिस से शिकायत की लेकिन पुलिस ने मेहदी के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय उसे ही गिरफ्तार कर लिया और छह दिनों के लिए जेल में डाल दिया. आगे आरोप लगाया गया कि जेल से लौटने पर यातना कई गुना बढ़ गई. जुलाई 2017 में, निमिषा ने अपने क्लिनिक के पास स्थित एक जेल के वार्डन की मदद ली. वार्डन ने सुझाव दिया कि उसे मेहदी को बेहोशी की दवा दे दे और फिर उसे अपना पासपोर्ट देने के लिए मनाना चाहिए. हालांकि, ड्रग्स लेने वाले महदी पर बेहोश करने की दवा का कोई असर नहीं हुआ. उसने अपना पासपोर्ट वापस पाने के लिए हाई डोज देकर उसे फिर से बेहोश करने की कोशिश की, लेकिन दवा की अधिक मात्रा के कारण कुछ ही मिनटों में उसकी मृत्यु हो गई.
निमिषा प्रिया को यमन से निकलने की कोशिश करते समय गिरफ्तार किया गया था और 2018 में हत्या का दोषी ठहराया गया था. 2020 में सना की एक ट्रायल कोर्ट ने उन्हें मौत की सजा सुनाई.