कश्मीर में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की हत्या से जुड़े मामलों की जांच राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) अपने हाथ में ले सकती है. अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी. घाटी के विभिन्न हिस्सों में इस महीने आतंकवादियों ने दो शिक्षकों और एक दवा विक्रेता समेत कुल 11 लोगों की हत्या कर दी है. आतंकवादियों के हमलों में मारे गए लोगों में से पांच प्रवासी मजदूर थे, जिनमें से चार लोग बिहार के थे. इन हत्याओं के कारण जीविका कमाने के लिए कश्मीर जाने वाले प्रवासी मजदूरों में भय व्याप्त हो गया है और बड़ी संख्या में वे पलायन कर रहे हैं.
गौरतलब है कि देश के विभिन्न हिस्सों से लाखों मजदूर हर साल मार्च की शुरुआत में चिनाई, बढ़ईगीरी, वेल्डिंग और खेती जैसे कुशल और अकुशल नौकरियों के लिए घाटी में आते हैं और दिसंबर में सर्दियों की शुरुआत से पहले घर वापस चले जाते हैं.
एक प्रमुख कश्मीरी पंडित और श्रीनगर की सबसे प्रसिद्ध फार्मेसी के मालिक माखन लाल बिंदरू की पांच अक्टूबर को उनकी दुकान पर आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. इसके दो दिन बाद सुपिंदर कौर और दीपक चंद की यहां एक सरकारी स्कूल में हत्या कर दी गई. दोनों ही शिक्षक थे.
अधिकारियों के मुताबिक इन तीन हत्याओं की जांच एनआईए द्वारा किए जाने की संभावना है. इस बारे में हालांकि अभी तक अधिसूचना जारी नहीं की गयी है. एनआईए प्रवासी मजदूरों की हत्याओं की जांच भी अपने हाथ में ले सकती है.
जिस दिन बिंदरू की हत्या हुई थी, उसी दिन बिहार के चाट विक्रेता वीरेंद्र पासवान और टैक्सी चालक मोहम्मद शफी लोन की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
पांच हत्याओं के अलावा, आतंकवादियों ने दो अक्टूबर को श्रीनगर के करण नगर इलाके में माजिद अहमद गोजरी और शहर के बटमालू इलाके में मोहम्मद शफी डार की हत्या कर दी थी. श्रीनगर और पुलवामा जिलों में 16 अक्टूबर को बिहार के अरविंद कुमार साह और उत्तर प्रदेश के सगीर अहमद की हत्या कर दी गई थी.