कंधार हाईजैक के आरोपी मुश्ताक जरगर की संपत्ति कुर्क, NIA ने कार्रवाई

एनआईए के एक प्रवक्ता ने कहा कि जरगर 1989 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी के अपहरण समेत आतंकवाद के कई मामलों में वांछित है.

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एनआईए की टीम ने फरार आतंकी की बहनों की मौजूदगी में उसके घर पर कुर्की का नोटिस चस्पा कर दिया.
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  • अल-उमर मुजाहिदीन का संस्थापक है मुश्ताक जरगर.
  • जम्मू-कश्मीर में हुए कई आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार है जरगर.
  • गृह मंत्रालय के निर्देश पर की गई यह कार्रवाई.
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नई दिल्ली:

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) ने गुरुवार को भगोड़े आतंकवादी मुश्ताक अहमद जरगर उर्फ लट्राम के श्रीनगर के नौहट्टा इलाके में स्थित मकान को कुर्क कर लिया. जरगर को 1999 में अफगानिस्तान के कंधार में हाईजैक हुए इंडियन एयरलाइंस के विमान के बंधक बनाए गए यात्रियों के बदले में दो अन्य आतंकवादियों के साथ रिहा किया गया था.

एनआईए के एक प्रवक्ता ने कहा कि जरगर 1989 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी के अपहरण समेत आतंकवाद के कई मामलों में वांछित है. पाकिस्तान से आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहे आतंकवादियों के खिलाफ इसे ‘बड़ा अभियान' बताते हुए प्रवक्ता ने कहा कि गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम (यूएपीए) अधिनियम के प्रावधानों के तहत गनी मोहल्ला नौहट्टा, श्रीनगर स्थित मकान को कुर्क किया गया.

प्रवक्ता ने कहा कि जिला प्रशासन के प्रतिनिधियों और स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर एनआईए की एक टीम ने यह कार्रवाई की. जरगर को यूएपीए के तहत आतंकवादी घोषित किया गया था. अपनी रिहाई के बाद से वह पाकिस्तान से आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है और घाटी में आतंकवाद का वित्तपोषण करता है.

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एनआईए की टीम ने फरार आतंकी की बहनों की मौजूदगी में उसके घर पर कुर्की का नोटिस चस्पा कर दिया. एनआईए और पुलिस टीम के चले जाने के बाद बहनों ने हंगामा करने का प्रयास किया, लेकिन स्थानीय लोगों का साथ नहीं मिलने पर वे घर लौट गईं.

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1990 के दशक की शुरुआत में जरगर ने जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) से नाता तोड़ लिया था और अपना खुद का अल-उमर मुजाहिदीन आतंकी समूह बना लिया. जरगर को 1992 में गिरफ्तार किया गया था. 1999 में अफगानिस्तान के कंधार में अपहृत इंडियन एयरलाइंस के विमान के यात्रियों को छोड़ने के बदले में जैश प्रमुख मसूद अजहर और हरकत-उल-मुजाहिदीन के प्रमुख उमर सईद शेख के साथ रिहा होने पर वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आया था. जरगर को तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह द्वारा 31 दिसंबर 1999 को अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया था.

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पिछले साल गृह मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया था कि जरगर अपने संपर्कों और अल-कायदा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे कट्टरपंथी आतंकवादी समूहों से निकटता के कारण न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में शांति के लिए खतरा है. केंद्र सरकार का मानना है कि वह आतंकवाद में शामिल है.

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