राजस्थान के भरतपुर जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां झाड़ियों के की बीच एक नवजात शिशु बुरी हालत में पड़ा मिला. महज एक-दो दिन पहले जन्मे इस बच्चे के शरीर में कई जख्म मिले और उसकी जिंदगी बचाने के लिए डॉक्टर जी-जान से जुटे हैं. लेकिन उस बच्चे के मां-बाप कौन हैं. किसने किस वजह से ये क्रूरता वाला काम किया, ये अभी पता नहीं चला है. भरतपुर जिले के सेवर थाना इलाके के झीलरा इलाके की ये घटना है. जहां एक नवजात शिशु झाड़ियों के बीच था. मासूम के मुंह पर महिला का अंडर गारमेंट बंधा था.
सुनसान इलाके में फेंके जाने के कारण जंगली जानवरों ने उसे कई जगहों पर बुरी तरह नोंचा गया था. जब ग्रामीण महिलाएं वहां लकड़ियां काटने पहुंचीं तो बच्चे के रोने, चीखने की आवाज सुनाई दी तो वो चौंक उठीं. फिर घनी झाड़ियों के बीच पहुंचीं तो जख्मों से कराह रहे बच्चे को देखकर वो सन्न रह गईं. महिलाओं ने बच्चे को तुरंत उठाया. फिर उसे अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है.
कांटों से भरी झाड़ियों में मिला बच्चा
नगला झीलरा गांव के भीम सिंह ने बताया कि झीलरा गांव के मोड़ पर कांटों से भरी झाड़ियां हैं. वहां पर ये नवजात पड़ा मिला था. बच्चे के मुंह को बांधा गया था, ताकि वो रो न सके. लेकिन गांव की महिलाओं को लकड़ी काटते वक्त बच्चे की सिसकियां सुनाई दीं तो उसकी जान बचाने के लिए तुरंत ही बड़े बुजुर्गों को जानकारी दी. फिर उसे प्राथमिक उपचार के लिए नजदीकी अस्पताल ले जाया गया और फिर भरतपुर के बड़े अस्पताल भेजा गया.
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हाथ पैर पर काटने के निशान
डॉक्टरों ने बताया कि दोपहर को नवजात बच्चे को अस्पताल लाया गया था. देखकर लग रहा था कि एक या दो दिन पहले ही उसका जन्म हुआ था. शिशु की हालत गंभीर थी. बच्चे के शरीर पर जख्मों से खून बह रह था. ऐसा लग रहा था कि किसी जानवर से उस पर हमला किया था. उसके हाथ पैर पर जानवर के काटने के निशान दिखाई दे रहे थे. उसके पैरों की उंगली से भी खून बह रहा था. बच्चे की हालत नाजुक है. उसे गहन चिकित्सा कक्ष के NICU वार्ड में रखकर उसकी जिंदगी बचाने की जद्दोजहद में डॉक्टर जुटे हैं.
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जिंदगी बचाने की कोशिश
बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष राजा राम भुतौली ने कहा कि उन्हें अस्पताल से इसकी जानकारी मिली. बाल कल्याण समिति और चाइल्ड लाइन का स्टाफ अस्पताल में बच्चे की हालत देखने पहुंचा. जंगली पशुओं के हमले से उसके शरीर पर घाव हैं, लेकिन हम सब उसकी जिंदगी बचाने के लिए पूरी मेहनत कर रहे हैं.
मध्य प्रदेश में भी ऐसा वाकया
अभी कुछ दिनों पहले मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से भी ऐसा ही मामला सामने आया था, जहां एक बच्चे को जंगल में फेंक दिया गया था. उसके मुंह में कंकड़ ठूंस दिए गए थे, ताकि वो रो न सके. उसे पत्थरों के बीच दबाकर रखा गया था, लेकिन जाको राखे साइयां मार सके न कोय की कहावत चरितार्थ हुई और उसकी जान बचा ली गई थी. हैरत की बात है कि बच्चे को मरने के लिए छोड़ने वाले उसके मां-बाप दोनों सरकारी टीचर थे. उनके तीन बच्चे पहले ही थे. सरकारी नौकरी जाने के डर से उन्होंने बच्चे को सुनसान इलाके में फेंक दिया था.
इनपुट ललितेश कुशवाहा