उत्तराखंड में नई आबकारी नीति को मंजूरी, ओवररेट बेचन पर लाइसेंस हो जाएगा रद्द

आबकारी नीति के तहत नवीनीकरण, लॉटरी और अधिकतम ऑफर जैसी पारदर्शी प्रक्रियाओं के माध्यम से दुकानें आवंटित की जाएंगी.

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(प्रतीकात्मक फोटो)

उत्तराखंड में कैबिनेट बैठक में नई आबकारी नीति को मंजूरी दी गई है. नई आबकारी नीति में  कई बड़े बदलाव किए गए है. नई नीति में राज्य के धार्मिक क्षेत्रों के निकटवर्ती शराब की दुकानें  को बंद करने का निर्णय लिया गया है और इसके साथ वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 5060 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य रखा गया है. शराब की दुकानों में ओवररेटिंग की शिकायत सही पाए जाने पर दुकान का लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा. वहीं नई आबकारी नीति में उप-दुकानों और मेट्रो मदिरा बिक्री व्यवस्था को समाप्त किया गया है. नई आबकारी नीति में किसी दुकान पर MRP से अधिक कीमत ली जाती है तो लाइसेंस निरस्त करने का प्राविधान किया गया है. डिपार्टमेंटल स्टोर्स पर भी MRP लागू होगी, जिससे उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा होगी.

प्रदेश में नई आबकारी नीति के तहत स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता और रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे. थोक मदिरा अनुज्ञापन केवल उत्तराखंड निवासियों को जारी किए जाएंगे, जिससे राज्य में आर्थिक अवसर बढ़ेंगे. पर्वतीय क्षेत्रों में वाइनरी को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य में उत्पादित फलों से वाइनरी इकाइयों को अगले 15 वर्षों तक आबकारी शुल्क में छूट दी जाएगी. इससे कृषकों और बागवानी क्षेत्र में कार्य करने वालों को आर्थिक लाभ मिलेगा. मदिरा उद्योग में निवेश को प्रोत्साहित करने के निर्यात शुल्क में कटौती की गई है. माल्ट एवं स्प्रिट उद्योगों को पर्वतीय क्षेत्रों में विशेष सुविधाएं प्रदान की जाएंगी.

आबकारी नीति के तहत नवीनीकरण, लॉटरी और अधिकतम ऑफर जैसी पारदर्शी प्रक्रियाओं के माध्यम से दुकानें आवंटित की जाएंगी. आवंटन प्रक्रिया को पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी बनाया गया है. स्थानीय कृषि उत्पादों को डिस्टिलरी (आसवनी इकाइयों) द्वारा प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी और उन्हें नए बाजार उपलब्ध होंगे.
 

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