New Coronavirus variant: केरल में कोरोना के बढ़ते मामलों के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने तमाम राज्यों को एडवाइजरी जारी की. जिसमें कहा गया है कि नए वेरिएंट JN.1 को लेकर चिंता है, जो चीन, सिंगापुर और यूएसए के बाद भारत में मिला है.इसकी वजह से मामलों के बढ़ने का अंदेशा है.लिहाज़ा आने वाले दिनों में त्योहार को लेकर भीड़भाड़ के बीच राज्यों को हिदायत कि ट्रांसमिशन कम से कम हो इसको लेकर व्यवस्था करें.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को दिए ये निर्देश
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि सर्विलांस स्ट्रेटजी को अमल में लाएं और ज़िले के स्तर पर ILI और SARI के मरीजों की स्थिति रोज़ाना बताएं. इसके अलावा पर्याप्त संख्या में जिलेवार तरीके पर टेस्टिंग बढ़ाएं. वहीं, आरटी-पीसीआर के पॉजिटिव सैंपल को जीनोमिक सीक्वेंसिंग के लिए भेजें ताकि नए वेरिएंट की मौजूदगी का पता चल पाए.
अब तक इससे मृत्यु बढ़ने की पुष्टि नहीं
राज्यों को जारी एडवाइजरी में स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि मंत्रालय द्वारा हॉस्पिटल को लेकर किए जाने वाले ड्रिल में भागीदारी रखें. नया वेरिएंट JN.1 ऑमिक्रॉन का sub lineage है और स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन की वजह से बना है. इस बात को लेकर इशारा है कि ये मामले बढ़ा सकता है और यही वजह की ज्यादा से ज्यादा जोर जेनोमिक सीक्वेंसिंग पर है. हालांकि, जानकार अब तक इसको ज़्यादा खतरनाक नहीं मान रहे, क्योंकि अब तक इससे मृत्यु बढ़ने की पुष्टि नहीं हुई है.
नया वैरिएंट JN.1 पहले चीन, यूके और यूएसए में भी पाया गया
नेशनल सेंटर फॉप डिजीजी कंट्रोल (NCDC) के एक्स डायरेक्टर डॉ सुजीत सिंह ने इस बारे मे NDTV से खास बात की. उन्होंने कहा कि कोविड का नया वैरिएंट JN.1 पहले चीन, यूके और यूएसए में भी पाया गया है. जुलाई से ही ये वैरिएंट डिटेक्ट हो चुका है. इसमें म्यूटेशन स्पाइक प्रोटीन रीजन में है जो L 445S है. इस म्यूटेशन से ट्रांसमिशन बढ़ने का अंदेशा देता है. लेकिन ट्रांसमिशन को कम्युनिटी सेटिंग में देखने की जरूरत है.
हॉस्पिटल बेस्ड टेस्टिंग को कम्युनिटी से तुलना करना गलत
उन्होंने कहा कि हॉस्पिटल बेस्ड टेस्टिंग को कम्युनिटी से तुलना करना गलत होगा. ILI और SARI के मामलों को देखना होगा क्या उसके केस हॉस्पिटल में बढ़ रहे हैं? अगर ये बढ़ रहे हैं तो ये देखने की जरूरत है कि क्या ये JN.1 के चलते हैं. कुछ देशों के डेटा इस तरफ इशारा ज़रूर कर रहे हैं कि JN.1 से मामले बढ़े हैं. अपने देश में जब तक न देख लें तो बढ़ोतरी को लेकर साइंटिफिकली नहीं कह सकते. हर देश की आबादी का स्टेटस अलग है, उदाहरण के तौर पर टीका लगने का स्टेटस हो या फिर वैक्सीन किस तरह की है.एक्सपोजर किस्से हुआ और वैक्सीन कब लगी, इम्यूनिटी कितनी रह गई है ये देखना होगा.
उम्रदराज लोगों, बच्चों को एहतियात बरतनी ज़रूरी
डॉ सुजीत सिंह ने कहा कि अभी मैं इस वेरिएंट को घातक नहीं मानता. मीडिया में कोरोना से 5 मौत की बात है. अगर इन मामलों के सैंपल में JN.1 मिलता है तो कहा जा सकता है ये मोर्टैलिटी के लिए जिम्मेदार है पर जीनोमिक सीक्वेंसिंग के ज़रिए इसको देखना होगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए सीक्वेंसिंग बढ़ाने की जरूरत है. खासकर उम्रदराज लोगों, बच्चों को एहतियात बरतनी ज़रूरी है.