नयी जलवायु कार्य योजनाओं में सभी तरह की गैसों और अर्थव्यवस्था को शामिल किया जाना चाहिए: COP के अध्यक्ष देश

सीओपी29 के अध्यक्ष नामित किये गए एम बाबयेव ने कहा कि अजरबैजान में अगले संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में नये जलवायु वित्त लक्ष्य पर बातचीत सदस्य देशों के बीच विश्वास बनाने का अवसर प्रदान करेगा तथा वित्तपोषण का मार्ग प्रशस्त करेगा.

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जलवायु परिर्वतन के कारण ही दुनिया भर में भूस्खलन, अत्यधिक बारिश या कम बारिश जैसी चीजें हो रही हैं. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

सीओपी (COP) 28 और आगामी दो संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिर्वतन सम्मेलनों के अध्यक्षों ने बृहस्पतिवार को कहा कि ‘ग्लोबल वार्मिंग' को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए विभिन्न देशों की राष्ट्रीय जलवायु योजनाओं के अगले चरण में मीथेन सहित सभी ग्रीनहाऊस गैसों और अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों को शामिल करना चाहिए. सीओपी के तीन अध्यक्ष देशों के समूह ‘ट्रोइका' ने बृहस्पतिवार को डेनमार्क के शहर में शुरू हुए दो दिवसीय कोपेनहेगन जलवायु मंत्रीस्तरीय बैठक के उद्घाटन सत्र में कहा कि जलवायु से संबंधित राष्ट्रीय लक्ष्यों में ऐसी नीतियां शामिल की जानी चाहिए, जो 2019 के स्तर से उत्सर्जन को 2035 से पहले 60 प्रतिशत घटाती हो.

‘ट्रोइका' में सीओपी28 का आयोजन करने वाला देश संयुक्त अरब अमीरात और अजरबैजान (सीओपी29 का आयोजन स्थल) तथा ब्राजील (सीओपी30 का आयोजन स्थल) शामिल है. दुबई में पिछले साल हुए सीओपी28 के बाद से यह पहली मंत्री स्तरीय बड़ी जलवायु बैठक है. यह जलवायु नेताओं के लिए अजरबैजान में नवंबर में आयोजित होने वाले सीओपी29 के वास्ते प्राथमिकताएं तय करने का भी एक अवसर है. चर्चा में अगले जलवायु वित्त लक्ष्य और 2025 की शुरूआत तक सभी देशों द्वारा अद्यतन किये जाने वाले राष्ट्रीय जलवायु लक्ष्यों पर मुख्य रूप से जोर रहेगा.

सीओपी28 के अध्यक्ष सुल्तान अल जाबेर ने कहा कि अगले चरण के राष्ट्रीय जलवायु लक्ष्य जलवायु कार्रवाई पर नीतियों में सुधार करने के लिए महत्वपूर्ण अवसर हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जलवायु लक्ष्यों में अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों और मीथेन सहित सभी ग्रीनहाऊस गैसों को शामिल करना चाहिए. ‘ट्रोइका' ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस को एक पत्र सौंपा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सदस्य देशों के राष्ट्रीय लक्ष्यों के अगले चरण को लागू करने के लिए विशेष रूप से विकासशील देशों को सहयोग करने के वास्ते एक एकीकृत और प्रभावी तकनीकी सहयोग सुनिश्चित किया जा सके. भारत सहित विकासशील देश अपनी जलवायु योजनाओं में सहयोग के लिए 1,000 अरब अमेरिकी डॉलर की मांग की है. वहीं, जलवायु प्रभावों से निपटने के लिए विकाशील देशों को 100 अरब अमेरिकी डॉलर मुहैया करने के अपने वादे को अमीर देशों ने अब तक पूरा नहीं किया है.

सीओपी29 के अध्यक्ष नामित किये गए एम बाबयेव ने कहा कि अजरबैजान में अगले संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में नये जलवायु वित्त लक्ष्य पर बातचीत सदस्य देशों के बीच विश्वास बनाने का अवसर प्रदान करेगा तथा वित्तपोषण का मार्ग प्रशस्त करेगा. उन्होंने कहा कि जोखिम का सामना कर रहे समुदाय बढ़ते तापमान के कारण एक के बाद एक संकट का सामना कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘इन समुदायों को बाकू में होने वाली बैठक में हमारी चर्चा के केंद्र में रखना चाहिए.'' उन्होंने कहा कि कई देश अपनी जरूरतों और उपलब्ध उपायों के बीच बढ़ती खाई के कारण जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कंवेंशन (यूएनएफसीसी) में कई देश विश्वास खो रहे हैं. उन्होंने संसाधन जुटाने के लिए अथक काम किये जाने की अपील की.
 

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